पाकिस्तान के दौरे पर किंग अब्दुल्ला, सऊदी के बाद अब इस मुस्लिम देश से क्यों हाथ मिला रहे PM शहबाज?
इस्लामाबाद, 16 नवंबर 2025: जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II की पाकिस्तान यात्रा ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक रिश्तों को नई ऊर्जा दी है। दो दशकों बाद उनकी यह यात्रा न केवल कूटनीतिक, बल्कि रणनीतिक और आर्थिक सहयोग की नई संभावनाओं को जन्म दे रही है। इस्लामाबाद में गर्मजोशी भरे स्वागत और उच्च स्तरीय बैठकों के बीच दोनों राष्ट्र एक-दूसरे के साथ भाईचारे और विश्वास को और गहरा करने को तैयार हैं। क्या है इस यात्रा का मकसद? क्या यह क्षेत्रीय राजनीति और सुरक्षा के लिए नए समीकरण बनाएगी? आइए, इस यात्रा के पीछे की कहानी को करीब से समझें।
कूटनीति का नया अध्याय
पाकिस्तान और जॉर्डन का रिश्ता दशकों पुराना है, जो आपसी सम्मान और भाईचारे की नींव पर टिका है। किंग अब्दुल्ला II की इस यात्रा को दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विश्वास को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। शनिवार को नूर खान एयरबेस पर उनके आगमन के दौरान राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया। पाकिस्तानी वायुसेना के लड़ाकू विमानों द्वारा शाही विमान को एस्कॉर्ट करना इस यात्रा की गरिमा का प्रतीक था। विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह दौरा दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। किंग अब्दुल्ला की प्रधानमंत्री शरीफ के साथ मुलाकात में क्षेत्रीय स्थिरता और द्विपक्षीय रिश्तों पर गहन चर्चा हुई। इस यात्रा का एक खास पहलू यह भी है कि यह जॉर्डन के एशियाई दौरे का हिस्सा है, जिसमें पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण पड़ाव बनकर उभरा है।
रक्षा और सुरक्षा में गहराता सहयोग
पाकिस्तान और जॉर्डन के बीच रक्षा सहयोग का इतिहास लंबा और मजबूत रहा है। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच नियमित आदान-प्रदान और संयुक्त अभ्यास इस साझेदारी की रीढ़ हैं। किंग अब्दुल्ला की यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग को और गहरा करने पर विशेष जोर दिया गया। उच्च स्तरीय बैठकों में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा और रणनीतिक समन्वय जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। जॉर्डन ने 1948 में पाकिस्तान को मान्यता देने वाले शुरुआती देशों में से एक होने का गौरव प्राप्त किया था, और यह यात्रा उस ऐतिहासिक बंधन को और मजबूत करती है। किंग अब्दुल्ला को पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाना भी इस रिश्ते की गहराई को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सहयोग न केवल द्विपक्षीय, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा, खासकर मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया के जटिल राजनीतिक परिदृश्य में।
आर्थिक और सामाजिक जुड़ाव की राह
पाकिस्तान और जॉर्डन के बीच आर्थिक रिश्ते भी इस यात्रा का एक अहम हिस्सा हैं। पिछले वर्ष दोनों देशों के बीच 46 मिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार दर्ज किया गया, जिसे और बढ़ाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। जॉर्डन में रहने वाले लगभग 16,000 पाकिस्तानी प्रवासी दोनों देशों के बीच सामाजिक और आर्थिक सेतु का काम करते हैं। किंग अब्दुल्ला और पाकिस्तानी नेतृत्व के बीच हुई चर्चाओं में व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति बनी। इस यात्रा से दोनों देश न केवल आर्थिक क्षेत्र में, बल्कि शिक्षा, पर्यटन और तकनीकी सहयोग में भी नए अवसर तलाशने को तैयार हैं। किंग अब्दुल्ला का यह दौरा जॉर्डन की व्यापक एशियाई कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में उभर रहा है। यह सहयोग भविष्य में दोनों देशों के लिए समृद्धि और स्थिरता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।