तुर्की से कैसे जुड़े दिल्ली में धमाके के तार? यहां समझें जांच में कैसे मिला लिंक
नई दिल्ली, 18 सितंबर 2023 : दिल्ली के लाल किला के पास हुए धमाके ने न सिर्फ देश को हिलाया बल्कि अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन भी उजागर किए हैं। इस आतंकी कृत्य में 13 लोगों की मौत हुई और दर्जनों घायल हैं। जांच में सामने आया कि धमाके के तार तुर्की से जुड़े हैं। कौन था वह हैंडलर जिसने आदेश दिए? कैसे हुई यह साजिश? इस रिपोर्ट में जानिए धमाके की पूरी कहानी, जिसमें तुर्की का लिंक, कोड वर्ड और बड़ी साजिश का खुलासा है। यह मामला न सिर्फ सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ाता है बल्कि वैश्विक आतंकवाद की नई धारणा देता है। आइए, इस धमाके के पीछे की सच्चाई को खोलते हैं, जहां हर मोड़ पर नया रहस्य सामने आता है।
धमाके का दहशत फैलाने वाला दृश्य और तुर्की का पहला लिंक
दिल्ली के लाल किला के पास सोमवार शाम को सफेद i20 कार में विस्फोट हुआ, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई और 20 से ज्यादा घायल हैं। सरकार ने इसे आतंकी कृत्य घोषित किया, और जांच में कई राज्यों से संदिग्ध गिरफ्तार किए गए। अब जांच में बड़ा खुलासा हुआ कि धमाके के तार तुर्की से जुड़े हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार आतंकी और डॉक्टर उमर मोहम्मद एक हैंडलर से संपर्क में थे, जिसका नाम UKasa था, जो कोड नेम भी हो सकता है। यह हैंडलर तुर्की की राजधानी अंकारा में स्थित बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, मार्च 2022 में कुछ लोग भारत से अंकारा गए थे, जहां उनका ब्रेन वॉश किया गया। यह यात्रा धमाके की साजिश का आधार बनी। सुरक्षा एजेंसियां अब इन संपर्कों की गहराई से जांच कर रही हैं। क्या यह लिंक सिर्फ शुरुआत है? लोगों में डर का माहौल है, और सरकार ने अलर्ट बढ़ा दिया है। अगले हिस्से में जानिए कोड वर्ड और साजिश की डिटेल।
कोड वर्ड और विस्फोटक की साजिश: शिपमेंट और पैकेज का रहस्य
जांच में सामने आया कि आतंकी विदेशी हैंडलर्स से एन्क्रिप्टेड रूट माध्यम से बात करते थे, जहां आदेश मिलते थे। विस्फोटक जैसे अमोनियम नाइट्रेट, ऑक्साइड और फ्यूल ऑयल को कोड वर्ड में लिखा जाता था। डॉक्टर उमर और अन्य आतंकी इनको ‘शिपमेंट’ और ‘पैकेज’ कहते थे। इनके फोन से ये कोड वर्ड बरामद हुए हैं, जो धमाके की तैयारी का सबूत हैं। सूत्रों के अनुसार, करीब 8 संदिग्धों ने देश में 4 स्थानों पर सिलसिलेवार धमाके करने की साजिश रची थी। चार अलग-अलग शहरों में हमला करने की योजना थी, जहां प्रत्येक ग्रुप में दो-दो सदस्य थे। हर ग्रुप के पास कई आईईडी रखे जाने थे। प्लानिंग के मुताबिक, सभी टीमें एक साथ धमाके करने वाली थीं। यह साजिश बड़े पैमाने पर थी, और सुरक्षा एजेंसियां इनकी गतिविधियों की जांच में जुटी हैं। क्या ये ग्रुप अभी भी सक्रिय हैं? यह मामला आतंकवाद की नई चुनौती दिखाता है। अगले हिस्से में जानिए कैसे नाकाम हुआ यह हमला।
अलर्ट और भंडाफोड़: कैसे नाकाम हुआ बड़ा हमला?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 12 तारीख का अलर्ट दिया गया था। जांच में सामने आया कि डॉक्यूमेंट में 12 तारीख का उल्लेख था, जहां आतंकी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते थे। खुफिया एजेंसियों ने अलग-अलग राज्यों की पुलिस को अलर्ट जारी किया, और 12 तारीख के लिए खास इंतजाम किए गए। लेकिन उससे पहले ही डॉक्टर मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ, और 10 को उमर से पैनिक में ब्लास्ट हो गया। यह घटना साजिश को नाकाम कर दिया। पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की, जिससे बड़ा नुकसान टला। अब जांच में ये पता लगाया जा रहा है कि कैसे ये अलर्ट मिला और क्या और साजिशें हैं। सुरक्षा एजेंसियां इन संदिग्धों के नेटवर्क को तोड़ने में लगी हैं। यह मामला दिखाता है कि कैसे खुफिया जानकारी जीवन रक्षक हो सकती है। क्या भविष्य में ऐसी घटनाएं रोक पाई जाएंगी? जांच जारी है, और देश की सुरक्षा को मजबूत बनाने की कोशिशें हो रही हैं। (180 शब्द)