रूस में ISI का जासूसी जाल बेनकाब: S-400 और Mi-8 की तकनीक चुराने की साजिश नाकाम
10 नवंबर 2025, मॉस्को: रूस ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के एक गुप्त नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो उन्नत हथियार प्रणालियों की गोपनीय तकनीक चुराने की कोशिश में लगा था। सेंट पीटर्सबर्ग में एक रूसी नागरिक की गिरफ्तारी से यह साजिश उजागर हुई, जो भारत की रक्षा क्षमताओं से जुड़ी संवेदनशील जानकारी को निशाना बना रही थी। रूसी खुफिया एजेंसियों ने इसे काउंटर-एंटेलिजेंस ऑपरेशन करार दिया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा था। लेकिन आखिर यह नेटवर्क क्या हासिल करने की फिराक में था? कैसे पकड़ा गया? और इसका भारत-रूस संबंधों पर क्या असर पड़ेगा? यह घटना जासूसी की दुनिया की पतली रेखाओं को उजागर करती है, जहां दोस्ती और दुश्मनी की सीमाएं धुंधली हो जाती हैं। इस लेख में हम इस रहस्यमयी साजिश की परतें खोलेंगे।
सेंट पीटर्सबर्ग में ISI का जाल: गिरफ्तारी से शुरू हुई जांच
रूसी खुफिया एजेंसियों ने सेंट पीटर्सबर्ग में एक रूसी नागरिक को गिरफ्तार किया, जो ISI के इशारे पर गोपनीय दस्तावेज तस्करी करने की कोशिश कर रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह व्यक्ति लंबे समय से सक्रिय नेटवर्क का हिस्सा था, जो रूस की एडवांस्ड डिफेंस टेक्नोलॉजी पर नजर रखे हुए था। गिरफ्तारी काउंटर-एंटेलिजेंस ऑपरेशन के दौरान हुई, जब एजेंसियों को संदिग्ध संचारों का पता चला। जांच में सामने आया कि नेटवर्क का फोकस भारत से जुड़ी रक्षा डील्स से संबंधित जानकारी हासिल करना था, खासकर हालिया ऑपरेशन सिंदूर के बाद। रूस ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया और तत्काल पूछताछ शुरू की। विशेषज्ञों का मानना है कि ISI ने रूसी हथियारों की कमजोरियों का फायदा उठाने की योजना बनाई थी। यह घटना जुलाई 2025 के एक समान केस से जुड़ी लगती है, जहां एक रूसी को स्मगलिंग के आरोप में सजा मिली। रूस की FSB ने नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश तेज कर दी है, जो पाकिस्तानी दूतावास से लिंक हो सकते हैं।
चुराई जाने वाली तकनीक: S-400 और Mi-8 की संवेदनशील फाइलें
गिरफ्तार व्यक्ति के पास से बरामद दस्तावेजों ने सबको चौंका दिया—इनमें S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और Mi-8 AMTShV तथा Mi-8 AMTShV (VA) मिलिट्री हेलिकॉप्टर्स की टॉप-सीक्रेट तकनीकी डिटेल्स शामिल थीं। S-400, जो भारत की एयर फोर्स का गेम-चेंजर है, सीमा सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है, जबकि Mi-8 वैरिएंट्स आर्कटिक मिशन्स के लिए अनुकूलित हैं। रिपोर्ट्स कहती हैं कि अगर ये फाइलें लीक हो जातीं, तो भारत की रक्षा रणनीति खतरे में पड़ जाती, क्योंकि भारत ने रूस से पांच अतिरिक्त S-400 यूनिट्स का ऑर्डर दिया है। ISI का मकसद इन सिस्टम्स की कमजोरियों का पता लगाना था, जो ऑपरेशन सिंदूर में साबित हुई ताकत को निशाना बनाता। रूसी जांचकर्ता यह भी खंगाल रहे हैं कि क्या अमेरिकी या अन्य तीसरे पक्ष की भूमिका थी। यह नेटवर्क डिजिटल ट्रांसफर और फिजिकल स्मगलिंग दोनों तरीके इस्तेमाल कर रहा था। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी जासूसी भारत-पाक तनाव को नई ऊंचाई दे सकती थी, जहां तकनीकी चोरी रणनीतिक लाभ का हथियार बन जाती।
भारत-रूस साझेदारी पर असर: ISI की साजिश का वैश्विक संदेश
भारत और रूस के बीच S-400 डील रणनीतिक साझेदारी की रीढ़ है, जो भारत को मजबूत एयर डिफेंस कवच देती है। ISI का यह प्रयास सीधे भारत की सैन्य बढ़त को कमजोर करने की कोशिश था, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब S-400 ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूस ने पाकिस्तानी मीडिया की एंटी-रशियन रिपोर्ट्स पर पहले ही आपत्ति जताई थी, और यह घटना मॉस्को-इस्लामाबाद संबंधों में दरार डाल सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर नेटवर्क सफल होता, तो न सिर्फ भारत की सुरक्षा प्रभावित होती, बल्कि रूस की तकनीकी गोपनीयता पर सवाल उठते। भारत ने इस खुलासे का स्वागत किया है, जो दोनों देशों की खुफिया सहयोग को मजबूत करेगा। वैश्विक स्तर पर, यह जासूसी के खेल में भरोसे की पतली रेखा दिखाता है—पाकिस्तान की साख को झटका लगा है। आने वाले दिनों में रूस की जांच के नतीजे और कूटनीतिक कदम इस साजिश के पूरे नक्शे को उजागर करेंगे, जो दक्षिण एशिया की सुरक्षा गतिशीलता बदल सकते हैं।