शेख हसीना का दिल्ली से बड़ा संकेत: ‘स्वदेश लौटूंगी, लेकिन कानून-व्यवस्था बहाल होनी चाहिए!’
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर 2025 बांग्लादेश की सियासत की धुरंधर शेख हसीना, जो 15 साल तक सत्ता की कुर्सी पर काबिज रहीं, आज दिल्ली की सड़कों पर टहलती नजर आ रही हैं। आर्थिक उछाल की तारीफ हो या तानाशाही के आरोप—उनका नाम विवादों से अछूता नहीं। लेकिन अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के बाद देश छोड़कर भारत आईं हसीना अब खुलकर बोल रही हैं। रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्वदेश लौटने का इशारा दिया, लेकिन शर्तों के साथ। क्या अवामी लीग पर बैन हटेगा? करोड़ों वोटरों का बहिष्कार होगा? परिवार का कत्लेआम और राजनीतिक साजिशों का डर—सब कुछ उजागर हो रहा है। लेकिन पूरी तस्वीर अभी बाकी है। आइए जानते हैं पूरी खबर क्या है।
दिल्ली में शांति या सतर्कता?
दिल्ली की खुली हवा में टहलती हसीना अब सोशल मीडिया की तस्वीरों में भी नजर आती हैं। रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कभी-कभी लोग उन्हें लोदी गार्डन में टहलते भी देख लेते हैं। उनके साथ सुरक्षा के 2-3 लोग रहते हैं। हसीना ने साफ कहा, “मुझे आजादी है, पर सावधानी मेरी मजबूरी है।” उनका डर सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक इतिहास और परिवार के कत्लेआम से जुड़ा है। अगस्त 2024 में छात्र विरोधी आंदोलन के बाद जब ढाका की सड़कों पर आग और हिंसा फैल गई, तब हसीना हेलिकॉप्टर से देश छोड़कर भारत पहुंचीं। अभी बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार देश चला रही है और अगले साल चुनाव का वादा किया गया है। हसीना ने कहा कि वे दिल्ली में “फ्री हैं लेकिन सतर्क भी।” परिवार के इतिहास की याद दिलाते हुए बताया कि उनके पिता शेख मुजीब और तीन भाई सेना के तख्तापलट में मारे गए थे।
अवामी लीग पर बैन: हसीना का तीखा प्रहार
हसीना ने कहा कि यूनुस सरकार द्वारा अवामी लीग पर पार्टी गतिविधि रोकना और रजिस्ट्रेशन निलंबित करना “लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन” है। 126 मिलियन वोटर्स वाले देश में यदि उनकी पार्टी चुनाव से बाहर रही, तो चुनाव की वैधता पर सवाल उठ सकते हैं। हसीना ने यह भी स्पष्ट किया कि देश की राजनीति किसी एक परिवार की गुलाम नहीं है, भले ही उनका बेटा सजीब वाजेद भविष्य में नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हो। उन्होंने चेतावनी दी कि अवामी लीग को बैन करना जनता को खामोश करना है और अगर पार्टी को चुनाव से रोका गया तो करोड़ों वोटर मतदान का बहिष्कार कर सकते हैं। रॉयटर्स इंटरव्यू में हसीना ने कहा, “मैं या मेरा परिवार अवामी लीग का नेतृत्व न भी करें, पार्टी की वापसी अवश्य होगी—चाहे सत्ता में हो या विपक्ष में।” यह बयान बांग्लादेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर रहा है।
2024 का खूनी दौर: आरोपों का बोझ
अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा हसीना की राजनीतिक छवि पर सबसे बड़ा दाग है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण और UN की रिपोर्ट में 1,400 लोगों की मौत और हजारों के घायल होने का जिक्र है। विपक्षी दलों का आरोप है कि हिंसा उनके इशारे पर हुई और ‘सीक्रेट डिटेंशन सेंटर्स’ चलाए गए। 13 नवंबर को फैसले की उम्मीद है, जो हसीना की राजनीतिक वापसी को प्रभावित कर सकता है। हसीना इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार देती हैं। उनका कहना है, “कंगारू कोर्ट चल रहा है। पहले फैसला लिखा गया, फिर ट्रायल हुआ। मुझे अपनी बात रखने का मौका भी नहीं मिला।” वे खुद को देश की रक्षक और अपने विरोधियों की कार्रवाई को लोकतांत्रिक राजनीति में बदला बताती हैं। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने हसीना के खिलाफ कार्रवाई पूरी कर ली है, जिसमें क्राइम्स अगेंस्ट ह्यूमैनिटी के आरोप हैं। UN रिपोर्ट के मुताबिक, 15 जुलाई से 5 अगस्त 2024 तक 1,400 मौतें हुईं।
स्वदेश वापसी का संकेत: शर्तें क्या?
हसीना ने कहा कि वे स्वदेश लौटना चाहती हैं, लेकिन केवल तब जब कानून-व्यवस्था बहाल हो और वैध सरकार बने। रॉयटर्स को ईमेल इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं निश्चित रूप से घर लौटना चाहूंगी, बशर्ते वहां की सरकार वैध हो, संविधान का पालन हो और कानून-व्यवस्था वास्तव में कायम हो।” उन्होंने भारत छोड़ने की कोई योजना नहीं बताईं। लंबे समय बाद मीडिया के सामने आई हसीना ने चेताया कि अवामी लीग को चुनाव से बाहर रखना “स्व-पराजयी” होगा, क्योंकि इससे करोड़ों वोटरों का बहिष्कार होगा। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने फरवरी 2026 में चुनाव की घोषणा की है, लेकिन हसीना का कहना है कि बिना उनकी पार्टी के यह वैध नहीं होगा। दिल्ली में रहते हुए हसीना शांति से जीवन बिता रही हैं, लेकिन बांग्लादेश की सियासत में उनका नाम अब भी तूफान का केंद्र है। यह इंटरव्यू उनके निर्वासन के बाद पहला प्रमुख बयान है।