पाकिस्तान का गाजा में सैनिक तैनाती विवाद: अमेरिका-इजरायल डील या प्रोपेगैंडा? सच्चाई क्या है?
इस्लामाबाद, 29 अक्टूबर 2025
पाकिस्तान के गाजा पट्टी में 20,000 सैनिक भेजने की खबरें ने मुस्लिम दुनिया में हलचल मचा दी है। इंटेलिजेंस सोर्सेज के हवाले से दावा है कि सेना प्रमुख आसिम मुनीर की CIA-Mossad मीटिंग के बाद यह फैसला हुआ, जो हमास के खिलाफ हो सकता है। लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने इसे ‘फैब्रिकेटेड’ बताकर खारिज कर दिया। क्या यह ट्रंप की पीस डील का हिस्सा है, या भारत की तरफ से प्रोपेगैंडा? आइए, तीन हिस्सों में इस विवाद की सच्चाई समझते हैं।
पाकिस्तान के गाजा पट्टी में 20,000 सैनिक भेजने की खबरें ने मुस्लिम दुनिया में हलचल मचा दी है। इंटेलिजेंस सोर्सेज के हवाले से दावा है कि सेना प्रमुख आसिम मुनीर की CIA-Mossad मीटिंग के बाद यह फैसला हुआ, जो हमास के खिलाफ हो सकता है। लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने इसे ‘फैब्रिकेटेड’ बताकर खारिज कर दिया। क्या यह ट्रंप की पीस डील का हिस्सा है, या भारत की तरफ से प्रोपेगैंडा? आइए, तीन हिस्सों में इस विवाद की सच्चाई समझते हैं।
गाजा तैनाती की खबरें और CIA-Mossad मीटिंग का दावा
हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान 20,000 सैनिक गाजा भेजने की तैयारी कर रहा है, जो US-ब्रोकरड पीस प्लान का हिस्सा है। इंटेलिजेंस सोर्सेज का कहना है कि यह फैसला मिस्र में हुई सीक्रेट मीटिंग में लिया गया, जहां आसिम मुनीर ने CIA और Mossad अधिकारियों से बात की। मिशन का नाम ‘इंटरनेशनल स्टेबलाइजेशन फोर्स’ (ISF) बताया जा रहा है, जिसमें पाकिस्तानी सैनिक बफर फोर्स के रूप में काम करेंगे—हमास के बचे लड़ाकों को निष्क्रिय करना और पुनर्निर्माण सुनिश्चित करना। इंडोनेशिया और अजरबैजान भी शामिल हो सकते हैं। लेकिन पाकिस्तान की इंफो मिनिस्ट्री ने इसे ‘कंपलीटली फैब्रिकेटेड’ कहा, दावा किया कि कोई मीटिंग या डील नहीं हुई। यह विवाद ट्रंप के 20-पॉइंट गाजा प्लान के बाद तेज हुआ, जहां मुस्लिम देशों से पीसकीपिंग फोर्स की मांग की गई।
इजरायल मान्यता और पासपोर्ट विवाद की सच्चाई
रिपोर्ट्स में दावा है कि पाकिस्तान ने पासपोर्ट से ‘इजरायल के लिए वैलिड नहीं’ वाली लाइन हटा दी, जो इजरायल को मान्यता का संकेत है। लेकिन यह गलत है—पाकिस्तानी पासपोर्ट अभी भी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि वे इजरायल के लिए वैलिड नहीं हैं। फॉरेन ऑफिस ने मार्च 2025 में दोहराया कि पाकिस्तान इजरायल को मान्यता नहीं देता और फिलिस्तीन का समर्थन करता है। कोई आधिकारिक बदलाव नहीं हुआ। तैनाती अगर होती है, तो यह शांति मिशन के बहाने होगी, लेकिन असल में हमास-विरोधी देखी जा सकती है। ईरान, तुर्की और कतर ने इसे ‘बेट्रेयल’ कहा है। पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ ने कहा कि फैसला प्रोसेस में है, लेकिन कोई फाइनल नहीं। X पर यूजर्स इसे ‘डिसाइडर’ प्लान बता रहे हैं।
अमेरिकी डील का फायदा और पाकिस्तान की मजबूरी
अगर तैनाती होती है, तो बदले में पाकिस्तान को आर्थिक राहत मिलेगी—वर्ल्ड बैंक किस्तों में ढील, कर्ज माफी और गल्फ देशों से मदद। LoC पर भारत का दबाव कम करने का भी वादा। विश्लेषक इसे ‘सर्वाइवल डील’ बता रहे हैं—पाकिस्तान की इकोनॉमी संकट में है, और यह अमेरिका-इजरायल की कठपुतली बनने जैसा। लेकिन सरकार इसे प्रोपेगैंडा मानती है, खासकर इंडियन मीडिया का। X पर बहस तेज है—कुछ इसे फिलिस्तीन के लिए अच्छा मानते हैं, तो कुछ घरेलू सुरक्षा की विफलता बता रहे। सच्चाई: कोई फाइनल डील नहीं, लेकिन तनाव बढ़ रहा है। यह पाकिस्तान की विदेश नीति में बड़ा टर्निंग पॉइंट हो सकता है।