भारत-चीन सीमा पर नई सहमति: तनाव कम, संवाद की राह पर दोनों देश
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर 2025: भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद में सकारात्मक मोड़ आया है। हालिया सैन्य वार्ता में दोनों देशों ने पश्चिमी सीमा क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा की और संवाद जारी रखने पर सहमति जताई। चीनी रक्षा मंत्रालय के बयान से संकेत मिले हैं कि सैन्य व कूटनीतिक चैनलों से शांति बनाए रखने के प्रयास तेज होंगे। गलवान झड़प के बाद ठंडे पड़े संबंधों में यह नरमी आशा जगाती है, लेकिन क्या यह स्थायी समाधान की दिशा में कदम है? आइए, इस सहमति के तीन प्रमुख आयामों को समझते हैं।
सैन्य वार्ता और सहमति का विवरण
29 अक्टूबर को चीनी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारत और चीन की सेनाओं ने 25 अक्टूबर को मोल्डो-चुशुल बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर उच्च स्तरीय वार्ता की। पश्चिमी सीमा खंड के प्रबंधन पर गहन चर्चा हुई, और दोनों पक्षों ने मौजूदा तंत्रों से ‘ग्राउंड इश्यूज’ सुलझाने पर सहमति जताई। रॉयटर्स के अनुसार, दोनों ने सैन्य व कूटनीतिक संवाद जारी रखने का वादा किया, ताकि सीमा पर स्थिरता बनी रहे। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर कहा कि यह ‘सक्रिय संवाद’ से शांति सुनिश्चित करेगा। गलवान घाटी (2020) में 20 भारतीय और 4 चीनी सैनिकों की मौत के बाद तनाव चरम पर था, लेकिन यह वार्ता डिसएंगेजमेंट की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, पूर्वी लद्दाख में अभी भी 50,000-60,000 सैनिक तैनात हैं।
संबंधों में सुधार की प्रक्रिया
पिछले पांच वर्षों में गलवान झड़प ने भारत-चीन संबंधों को गहरी चोट पहुंचाई थी, लेकिन अब नरमी के संकेत दिख रहे हैं। अगस्त 2025 में 24वीं राउंड की स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स वार्ता में 10 बिंदुओं पर सहमति बनी, जिसमें WMCC के तहत एक्सपर्ट ग्रुप बनाना और बॉर्डर मैनेजमेंट वर्किंग ग्रुप स्थापित करना शामिल है। जून 2025 में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि सीमा विवाद जटिल है, लेकिन डिलिमिटेशन पर चर्चा के लिए तैयार हैं। अमेरिका के चीन पर नए व्यापारिक प्रतिबंधों के बीच बीजिंग एशियाई पड़ोसियों से संबंध सुधारने पर जोर दे रहा है। भारत ने भी सीधी उड़ानों की बहाली की, जैसे इंडिगो की कोलकाता-ग्वांगझू फ्लाइट। चीनी दूतावास ने इसे ‘मील का पत्थर’ बताया। ये कदम आर्थिक व कूटनीतिक सहयोग को मजबूत करने की दिशा में हैं।
भविष्य की चुनौतियां और उम्मीदें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 में SCO सम्मेलन के लिए तियानजिन (चीन) का दौरा किया, जो 7 वर्षों में उनका पहला चीन दौरा था। वहां शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक में ‘ड्रैगन-एलिफेंट’ की तरह सह-अस्तित्व पर सहमति बनी। शी ने कहा कि दोनों देशों को आपसी सम्मान से आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीतिक रीसेट नहीं, बल्कि टैक्टिकल स्टेप है। USIP के अनुसार, डिसएंगेजमेंट की पूरी पुष्टि 2025 के वसंत तक हो पाएगी। सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार और सैन्य तैनाती अभी भी चिंता का विषय हैं। फिर भी, यह सहमति शांति की दिशा में सकारात्मक है, जो व्यापार (चीन भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार) और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देगी।