मोदी-अमरसूर्या शिखर वार्ता: पड़ोसी बंधन की नई कड़ी, जानें भारत-श्रीलंका के साझे सफर की दिशा
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2025: भारत और श्रीलंका के बीच सदियों पुरानी दोस्ती को नई ऊर्जा मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका की समकक्ष हरिनी अमरसूर्या का अपने आधिकारिक आवास पर गर्मजोशी से स्वागत किया। यह मुलाकात न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का संकेत है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण कदम। अमरसूर्या का यह पहला भारत दौरा, जो प्रधानमंत्री बनने के बाद का है, कई संभावनाओं से भरा है। शिक्षा से लेकर नवाचार तक, विकास की राह पर दोनों देशों के बीच क्या नई समझ बनी? मछुआरों की कठिनाइयों का समाधान कैसे होगा? और अमरसूर्या की दिल्ली की पुरानी यादें कैसे इस यात्रा को व्यक्तिगत रंग दे रही हैं? आइए, इस ऐतिहासिक मुलाकात की परतें खोलते हैं, जो न केवल राजनयिक स्तर पर, बल्कि लोगों के जीवन को भी छू सकती है।
स्वागत और वार्ता: विकास व सहयोग पर केंद्रित संवाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या का शुक्रवार को नई दिल्ली में जोरदार स्वागत किया, जो उनकी तीन दिवसीय यात्रा का प्रमुख हिस्सा था। यह मुलाकात अप्रैल में मोदी की श्रीलंका यात्रा के छह महीने बाद हुई, जब उन्होंने राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायका के साथ व्यापक चर्चा की थी। दोनों नेताओं ने शिक्षा, प्रौद्योगिकी, नवाचार और विकास सहयोग जैसे क्षेत्रों पर गहन बातचीत की। अमरसूर्या ने अपनी यात्रा के दौरान आईआईटी दिल्ली का दौरा भी किया, जहां शिक्षा और तकनीकी सहयोग की संभावनाओं पर जोर दिया गया। मोदी ने एक्स पर पोस्ट साझा कर कहा, “श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या का स्वागत करते हुए खुशी हुई। हमारी चर्चा में शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, नवाचार, विकास सहयोग और मछुआरों के कल्याण जैसे विषय शामिल थे।” उन्होंने जोड़ा कि पड़ोसी देश होने के नाते यह सहयोग दोनों राष्ट्रों और क्षेत्र की समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। अमरसूर्या ने भी कहा कि यह बैठक अच्छी रही और दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को बनाए रखने पर चर्चा हुई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी मछुआरों के मुद्दे पर मोदी को पत्र लिखा था, जिसका जिक्र वार्ता में हुआ। यह संवाद न केवल आर्थिक बंधनों को मजबूत करेगा, बल्कि युवाओं के भविष्य को भी नई दिशा देगा। कुल मिलाकर, यह मुलाकात भारत-श्रीलंका संबंधों को नई गति प्रदान करने वाली साबित हुई।
मछुआरों का कल्याण: संवेदनशील मुद्दे पर सकारात्मक कदम
वार्ता का एक प्रमुख पहलू भारतीय मछुआरों के कल्याण पर केंद्रित रहा, जो पाल्क बे क्षेत्र में पारंपरिक मछली पकड़ने के दौरान श्रीलंकाई नौसेना की कार्रवाई से प्रभावित होते रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संवेदनशील मुद्दे को उठाया, जबकि अमरसूर्या ने इसे “चल रही समस्या” बताते हुए दोनों पक्षों के मछुआरों की आजीविका की रक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “यह संवेदनशील मुद्दा है, जिस पर लगातार चर्चा जारी रहेगी।” तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने गुरुवार को ही मोदी को पत्र लिखकर मछुआरों की दुर्दशा पर ध्यान आकर्षित किया था, जिसमें पारंपरिक जलक्षेत्रों में उनकी सुरक्षा की मांग की गई। मोदी ने इस दौरान द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर बल दिया, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। अमरसूर्या ने भी सहमति जताई कि मछुआरों की सुरक्षा दोनों देशों के हित में है। यह चर्चा न केवल तत्काल राहत प्रदान कर सकती है, बल्कि लंबे समय में संयुक्त निगरानी तंत्र विकसित करने की दिशा में कदम हो सकती है। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय शांति और आर्थिक स्थिरता के संदर्भ में इस मुद्दे को देखा। कुल मिलाकर, यह वार्ता मछुआरों के लिए आशा की किरण बनी, जो वर्षों से चली आ रही तनाव को कम करने में सहायक सिद्ध होगी।
पुरानी यादें, नई शुरुआत: अमरसूर्या का दिल्ली दौरा
श्रीलंका की प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या का भारत दौरा न केवल राजनयिक था, बल्कि व्यक्तिगत स्पर्श से भी भरपूर। दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज में 1991 से 1994 तक समाजशास्त्र की पढ़ाई करने वाली अमरसूर्या ने गुरुवार को अपने पूर्व संस्थान का दौरा किया, जहां उन्होंने छात्र जीवन की यादें ताजा कीं। कॉलेज पहुंचते ही प्रधानाचार्य अंजू श्रीवास्तव ने उनका स्वागत किया, जबकि परिसर की दीवारें और गलियां उनके सम्मान में पोस्टरों से सजी थीं। संकाय सदस्यों और छात्रों में उत्साह की लहर दौड़ गई। अमरसूर्या ने छात्रों से कहा, “वापस आकर अच्छा लगा। वर्तमान छात्रों को देखकर आशावादी महसूस होता है।” उन्होंने राजनीतिक संस्कृति में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को जड़ से उखाड़ने और युवाओं को राजनीति में सक्रिय रहने की अपील की। दिल्ली विश्वविद्यालय में संबोधन के दौरान उन्होंने डिजिटलीकरण को सरकारों को अधिक पारदर्शी बनाने का उदाहरण बताया। यह दौरा शिक्षा सहयोग को मजबूत करने का प्रतीक बना। अमरसूर्या ने कहा कि भारत यात्रा से अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आर्थिक लचीलापन पर श्रीलंका के दृष्टिकोण साझा करने का अवसर मिला। दोनों नेता एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में भाग लेंगे, जहां क्षेत्रीय चुनौतियों पर चर्चा होगी। यह यात्रा नई शुरुआत का संकेत है, जो दोनों देशों के युवाओं को जोड़ेगी।
