अफगान विदेश मंत्री के भारत समर्थन से पाकिस्तान में खलबली: राजदूत को तलब किया
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर 2025: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा ने क्षेत्रीय समीकरणों को हिला दिया है। छह दिवसीय दौरे के दौरान जारी भारत-अफगानिस्तान संयुक्त बयान ने पाकिस्तान को कड़ी चुभन पहुंचाई, जहां जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताने पर इस्लामाबाद ने कड़ी आपत्ति जताई। पाकिस्तान ने शनिवार को अफगान राजदूत को तलब कर संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के उल्लंघन का आरोप लगाया। मुत्ताकी ने पहलगाम हमले की निंदा की और अफगान मिट्टी से भारत-विरोधी गतिविधियों पर रोक का भरोसा दिलाया। यह यात्रा तालिबान शासन के बाद पहली उच्च स्तरीय यात्रा है, जो भारत की काबुल में दूतावास बहाली की घोषणा के साथ आई। क्या यह पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान का नया रुख है? आइए, इस कूटनीतिक तनाव के प्रमुख पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
मुत्ताकी का भारत दौरा: संयुक्त बयान ने खोला पिटारा
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी 9 अक्टूबर को नई दिल्ली पहुंचे, जो तालिबान शासन के बाद उनकी पहली आधिकारिक भारत यात्रा है। संयुक्त राष्ट्र की यात्रा प्रतिबंध में छूट के बाद संभव यह दौरा रूस से होते हुए हुआ, जहां उन्होंने क्षेत्रीय देशों के साथ बैठक की। भारत के विदेश मंत्री एस जयशankar से मुलाकात में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार और सुरक्षा पर चर्चा की। संयुक्त बयान में अफगानिस्तान ने अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और भारत के प्रति एकजुटता जताई। जयशankar ने काबुल में भारत के तकनीकी मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की, जो अफगानिस्तान की संप्रभुता और अखंडता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दर्शाती है। मुत्ताकी ने क्षेत्रीय शांति के लिए आतंकवाद-रोधी सहयोग पर जोर दिया, जो पाकिस्तान के लिए चेतावनी की घंटी बजा गया।
पाकिस्तान की कड़ी प्रतिक्रिया: राजदूत को तलब, UN प्रस्तावों का हवाला
संयुक्त बयान जारी होते ही पाकिस्तान ने तीखा रुख अपनाया। शनिवार को इस्लामाबाद ने अफगान राजदूत को विदेश मंत्रालय बुलाया और जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा बताने पर ‘कड़ी आपत्ति’ दर्ज कराई। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय ने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों का ‘स्पष्ट उल्लंघन’ है। अतिरिक्त विदेश सचिव (पश्चिम एशिया) ने राजदूत को अवगत कराया कि ऐसी भाषा क्षेत्रीय शांति को खतरे में डालती है। पाकिस्तान ने मुत्ताकी के आतंकवाद को पाकिस्तान का आंतरिक मुद्दा बताने वाले बयान को भी खारिज किया। यह घटना भारत-पाकिस्तान के अफगानिस्तान में शून्य-योग खेल को उजागर करती है, जहां पाकिस्तान तालिबान पर अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता है। भारत-अफगानिस्तान की नजदीकी पाकिस्तान के लिए झटका है, जो अफगानिस्तान पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है।
आतंकवाद पर अफगान प्रतिबद्धता: भारत की सुरक्षा चिंताओं का समर्थन
संयुक्त बयान का एक प्रमुख बिंदु अफगानिस्तान की प्रतिबद्धता थी कि वह अपनी मिट्टी का उपयोग भारत के खिलाफ किसी भी आतंकी गतिविधि के लिए नहीं होने देगा। मुत्ताकी ने भारत की सुरक्षा चिंताओं की सराहना की और आतंकवाद-रोधी अभियानों में सहयोग का भरोसा दिलाया। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय देशों से उत्पन्न आतंकी कृत्यों की निंदा की और शांति-स्थिरता के लिए आपसी विश्वास पर जोर दिया। पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए अफगानिस्तान ने भारत के साथ खड़े होने का संदेश दिया। यह बयान पाकिस्तान को निशाना बनाता नजर आया, जो अतीत में अफगान मिट्टी से भारत-विरोधी गतिविधियों का आरोप झेल चुका है। यात्रा से भारत-अफगानिस्तान संबंधों को नई गति मिलेगी, जबकि पाकिस्तान के लिए यह वैचारिक अलगाव का संकेत है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम तालिबान की स्वतंत्र विदेश नीति को मजबूत करेगा।
