कफ सिरप से बच्चों की मौत: 2 साल पुरानी चेतावनी को नजरअंदाज कर राज्यों-कंपनियों की लापरवाही
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर 2025: मध्य प्रदेश में कफ सिरप से 20 से ज्यादा बच्चों की मौत ने सवाल खड़े कर दिए हैं—केंद्र की दो साल पुरानी चेतावनी को क्यों अनदेखा किया गया? कोल्ड्रिफ सिरप में जहरीला डीईजी और बैन किया हुआ फॉर्मूला (क्लोरफेनिरामाइन + फिनाइलफ्राइन) मिला, जिसने जांच एजेंसियों को हैरान किया। 2023 में केंद्र ने आदेश दिया था कि इस फॉर्मूले पर रोक है, लेकिन न लेबल पर चेतावनी थी, न गुणवत्ता प्रमाणपत्र। श्रीसन फार्मा पर कार्रवाई शुरू, लेकिन 1400 से ज्यादा दवा फैक्ट्रियां अभी भी बिना प्रमाणपत्र चल रही हैं। क्या यह सिर्फ एक कंपनी की गलती है या सिस्टम की नाकामी? पूरी सच्चाई आगे पढ़ें।
केंद्र की चेतावनी बेकार: बैन फॉर्मूला, फिर भी बाजार में सिरप2023 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को पत्र भेजकर चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट और फिनाइलफ्राइन एचसीएल वाले सिरप पर रोक लगाई थी। जांच में पाया गया कि ये सिरप फायदे से ज्यादा नुकसान करते हैं—सांस की दिक्कत, नींद और एलर्जी बढ़ाते। कंपनियों को लेबल पर चेतावनी लिखना अनिवार्य था: ‘4 साल से कम बच्चों को न दें।’ लेकिन मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप में यही फॉर्मूला था, बिना किसी चेतावनी। सितंबर 2025 से 20 बच्चों की मौत हुई—14 छिंदवाड़ा, 2 बेटूल, बाकी राजस्थान-महाराष्ट्र। मध्य प्रदेश ने 4 अक्टूबर को बैन लगाया, तमिलनाडु ने 1 अक्टूबर को। जागरूकता अभियान न होने से दवा बाजार में बिकी। 2019 में 12 बच्चों की मौत के बाद भी सबक नहीं लिया गया।
2. श्रीसन फार्मा की लापरवाही: 48% डीईजी मिलावट, कोई GMP सर्टिफिकेट नहींतमिलनाडु की श्रीसन फार्मा ने कोल्ड्रिफ सिरप में फिनाइलफ्राइन की जगह डीईजी मिलाया, जो टेस्ट में 48.6% पाया गया—जबकि लिमिट 0.1%। डीईजी, एक जहरीला केमिकल, किडनी फेल करता है। कंपनी के पास WHO-GMP सर्टिफिकेट नहीं था, फिर भी जेनेरिक दवाएं बेच रही थी। फैक्ट्री में बिना बिल के डीईजी कंटेनर मिले, 39 गंभीर और 325 छोटे उल्लंघन पाए गए। छिंदवाड़ा के डॉक्टर प्रवीण सोनी, जिन्होंने सिरप प्रिस्क्राइब किया, गिरफ्तार। मध्य प्रदेश पुलिस ने SIT बनाकर तमिलनाडु भेजी। देश की 5308 MSME दवा कंपनियों में 1470 बिना GMP के चल रही हैं। 2022 में गाम्बिया में 70 बच्चों की मौत के बाद WHO ने अलर्ट दिया था, लेकिन अनदेखी हुई।
राज्यों का ढीला रवैया: ऑनलाइन सिस्टम में 18 राज्य ही सक्रिय
केंद्र ने 2023 में ऑनलाइन नेशनल ड्रग लाइसेंसिंग सिस्टम (ONDLS) और CAPA पोर्टल शुरू किया, ताकि दवाओं के लाइसेंस और सुधार ट्रैक हों। लेकिन सिर्फ 18 राज्य इससे जुड़े, बाकी निष्क्रिय। ब्लड बैंक लाइसेंसिंग में सभी राज्य ऑनलाइन हैं, लेकिन दवाओं में नहीं। मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों ने चेतावनी लागू नहीं की, न जागरूकता अभियान चला। तमिलनाडु टेस्ट में कंटेमिनेशन पाया गया, केंद्र के 6 सैंपल साफ। अब 19 फैक्ट्रियों की जांच चल रही, मल्टीडिसिप्लिनरी टीम सैंपल चेक कर रही। मध्य प्रदेश सरकार ने मृतक परिवारों को 4 लाख मुआवजा दिया। यह हादसा सिस्टम की कमजोरी दिखाता है—1400+ बिना प्रमाणपत्र फैक्ट्रियां अभी भी खतरा हैं। स्रोत: न्यूज18, टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदू, और CDSCO की आधिकारिक जानकारी।
