जॉर्जिया में चुनावी जीत के बाद सड़कों पर आग: क्या लोकतंत्र पर संकट गहरा रहा है?
मॉस्को, 5 अक्टूबर 2025: जॉर्जिया के स्थानीय चुनावों में सत्तारूढ़ जॉर्जियन ड्रीम पार्टी की शानदार जीत के बाद राजधानी त्बिलिसी की सड़कें हिंसा और विरोध प्रदर्शनों की आग में झुलस रही हैं। हजारों की संख्या में उमड़े प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया, लेकिन पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों से उन्हें खदेड़ दिया। विपक्ष ने चुनाव को धांधलीपूर्ण बताते हुए ‘शांतिपूर्ण क्रांति’ का आह्वान किया है। आखिर क्यों फूटा यह आक्रोश? क्या रूस समर्थक सरकार यूरोपीय सपनों को कुचल रही है? आइए, इस उथल-पुथल की परतें खोलते हैं।
चुनावी जीत या धांधली का आरोप: विपक्ष का बहिष्कार
जॉर्जिया के 4 अक्टूबर को हुए स्थानीय चुनावों में जॉर्जियन ड्रीम ने हर नगर निगम में 80% से ज्यादा वोट हासिल कर भारी जीत दर्ज की। लेकिन विपक्षी दलों ने इसका बहिष्कार किया, इसे ‘नकली चुनाव’ करार दिया। त्बिलिसी में मेयर पद पर पार्टी के उम्मीदवार काखा कलाद्ज़े को 71% वोट मिले, जबकि मतदान प्रतिशत महज 32% रहा। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने दमनकारी कार्रवाइयों से लोगों को डराया, और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को रोका। जॉर्जियन ड्रीम पर रूसी प्रभाव का आरोप लग रहा है, जो यूरोपीय संघ (ईयू) की सदस्यता वार्ता रोक चुकी है। प्रदर्शनकारी यूरोपीय झंडे लहराते हुए ‘रूसी ड्रीम’ के खिलाफ नारे लगा रहे थे। प्रधानमंत्री इराकली कोबाखिद्ज़े ने इसे ‘मैदान का पांचवां प्रयास’ बताया, लेकिन विपक्षी नेता सालेमे ज़ुराबिचविली ने इसे लोकतंत्र पर हमला कहा। यह जीत सरकार को मजबूत बनाती दिख रही है, लेकिन सड़कों पर उबाल ने पूरे काकेशस को हिला दिया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका, यूके और ईयू ने चिंता जताई, जबकि हंगरी, चीन और तुर्की ने बधाई दी।
राष्ट्रपति भवन पर धावा: हिंसा की चरम सीमा
शाम ढलते ही त्बिलिसी के लिबर्टी स्क्वायर पर इकट्ठा हुई हजारों की भीड़ ने राष्ट्रपति भवन की ओर कूच किया। गेट तोड़ते हुए प्रदर्शनकारी अंदर घुसने लगे, लेकिन दंभल पुलिस ने पानी की तोपों, काली मिर्च स्प्रे और आंसू गैस से जवाब दिया। रात भर चली झड़पों में 21 पुलिसकर्मी और 6 प्रदर्शनकारी घायल हुए। पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया, जिनमें ओपेरा गायक और आयोजक पाता बुर्चुलाद्ज़े शामिल हैं। उन्होंने पार्टी नेताओं की गिरफ्तारी की मांग की थी। प्रदर्शनकारी बारिकेड्स जलाकर विरोध जता रहे थे, जबकि पुलिस ने सेंट्रल त्बिलिसी में ट्रैफिक रोक दिया। महिलाओं और पत्रकारों पर हमले की शिकायतें आईं, जो सरकार समर्थकों की ओर से हुए। यह दृश्य 2024 के संसदीय चुनावी प्रदर्शनों की याद दिला रहा है, जब विपक्ष ने वोट चोरी का आरोप लगाया था। छात्रों ने त्बिलिसी स्टेट यूनिवर्सिटी से मार्च निकाला, संसद की ओर बढ़े। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जहां लोग ‘लोकतंत्र बचाओ’ चिल्ला रहे हैं। यह हिंसा न सिर्फ घरेलू संकट है, बल्कि ईयू एकीकरण और रूसी प्रभाव की जंग का प्रतीक बनी हुई है।
रूसी झंडे vs यूरोपीय सपना: भविष्य का संकट
जॉर्जिया का यह बवाल साल भर से चल रहे आंदोलन का विस्तार है, जब जॉर्जियन ड्रीम ने ईयू वार्ता रोकी। विपक्ष का मानना है कि सरकार रूस की कठपुतली बन रही है, जो काला सागर क्षेत्र में अपना वर्चस्व बढ़ाना चाहता है। पिछले साल के चुनावों में धांधली के आरोपों के बाद से प्रदर्शन जारी हैं, और अब स्थानीय चुनावों ने आग में घी डाल दिया। सरकार ने विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया, मीडिया पर सेंसरशिप लगाई। लेकिन प्रदर्शनकारियों का संकल्प अटल है—वे नई चुनाव और ईयू पथ की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कोबाखिद्ज़े ने चेतावनी दी कि अपराधियों को सजा मिलेगी, और पार्टी लंबे समय तक सत्ता में रहेगी। अंतरराष्ट्रीय समर्थन में यूक्रेन, मोल्दोवा और जर्मनी ने जॉर्जियाई लोगों का साथ दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ‘शांतिपूर्ण क्रांति’ अगर बेकाबू हुई, तो आर्थिक अलगाव और बेरोजगारी बढ़ेगी। लेकिन सड़कों पर उतर आए युवा पीढ़ी का विश्वास है कि लोकतंत्र की जीत होगी। क्या यह संघर्ष जॉर्जिया को पश्चिम की ओर ले जाएगा, या रूस का साया गहरा जाएगा? समय ही बताएगा।
