जालंधर में ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद: शांति पर सवाल
जालंधर, 4 अक्टूबर 2025: पंजाब का दिल कहे जाने वाले जालंधर में शुक्रवार को उस वक्त माहौल गरमा गया, जब ‘आई लव मोहम्मद’ कैंपेन के समर्थन में निकाला गया एक मार्च विवाद की चपेट में आ गया। सड़कों पर उतरे सैकड़ों लोग बरेली में हुई गिरफ्तारियों के खिलाफ आवाज उठा रहे थे, लेकिन एक युवक के साथ कहासुनी ने तनाव को जन्म दे दिया। नारों, झड़पों और भावनाओं के टकराव ने शहर को हिलाकर रख दिया। पुलिस ने हालात संभाले, लेकिन सवाल उठता है—क्या यह सिर्फ एक स्थानीय घटना है या देश में बढ़ते धार्मिक तनाव का नया चेहरा? यह कहानी भाईचारे की मजबूत जड़ों को चुनौती देती है। आइए, इस विवाद के हर पहलू को समझें।
विवाद की शुरुआत: मार्च और नारों का टकराव
जालंधर में शुक्रवार को ‘आई लव मोहम्मद’ कैंपेन के समर्थन में एक समुदाय ने डीसी ऑफिस रोड पर मार्च निकाला। यह मार्च उत्तर प्रदेश के बरेली में कैंपेन से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी के विरोध में था। सैकड़ों प्रदर्शनकारी पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन सौंपने की तैयारी में थे। माहौल शांतिपूर्ण था, लेकिन तभी स्कूटी सवार एक युवक, जो दूसरे समुदाय से था, ने धार्मिक नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने इसे उकसावे के रूप में लिया और उसे घेर लिया। युवक का आरोप है कि उसे रोका गया, पीटा गया, और उसकी स्कूटी की चाबी छीन ली गई। इस छोटी सी घटना ने देखते-देखते तनाव को भड़का दिया, और दो समुदाय आमने-सामने आ गए।
पुलिस का हस्तक्षेप: तनाव पर काबू
विवाद बढ़ता देख स्थानीय लोगों और पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया और युवक को सुरक्षित निकाला। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। देर शाम तक माहौल शांत हो गया, लेकिन शहर में तनाव का साया बना रहा। पुलिस ने युवक की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें मारपीट, गलत तरीके से रोकने और धार्मिक भावनाएं आहत करने की धाराएं शामिल हैं। पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने लोगों के बीच बहस को और हवा दी।
समुदायों की प्रतिक्रिया: विरोध और जवाबी प्रदर्शन
घटना के बाद हिंदू समुदाय के कुछ नेताओं ने श्रीराम चौक पर धरना देकर विरोध जताया। उन्होंने मार्च के आयोजकों पर शांति भंग करने का आरोप लगाया और कड़ी कार्रवाई की मांग की। दूसरी ओर, मार्च के आयोजकों ने दावा किया कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और युवक ने जानबूझकर माहौल खराब करने की कोशिश की। दोनों पक्षों के बीच सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई, जहां ‘आई लव मोहम्मद’ और जवाबी नारों ने ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया। इस बीच, स्थानीय नेताओं और सामाजिक संगठनों ने दोनों समुदायों से संयम बरतने की अपील की, लेकिन तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा।
शांति की पुकार: पंजाब के भाईचारे की चुनौती
जालंधर कैंट से कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने दोनों समुदायों से शांति और भाईचारा बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा, “पंजाब हमेशा से एकता की मिसाल रहा है। हमें इसे बरकरार रखना होगा।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद देश में बढ़ते धार्मिक ध्रुवीकरण का हिस्सा है, जहां छोटी-छोटी घटनाएं बड़े तनाव को जन्म दे रही हैं। ‘आई लव मोहम्मद’ कैंपेन को लेकर पहले भी कानपुर, बरेली और महाराष्ट्र में विवाद हो चुके हैं। जालंधर की इस घटना ने फिर साबित किया कि भावनात्मक मुद्दों को सुलझाने के लिए संवाद जरूरी है। क्या पंजाब का भाईचारा इस चुनौती से पार पाएगा, या यह एक नए संकट की शुरुआत है?
