• October 14, 2025

डीयू छात्र संघ चुनाव में ईवीएम हेराफेरी का बड़ा आरोप: एनएसयूआई ने एबीवीपी पर लगाए गंभीर इल्जाम, वोटिंग के बीच मचा हंगामा

नई दिल्ली, 18 सितंबर 2025: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के छात्र संघ (डूसू) चुनावों में आज वोटिंग हो रही है, लेकिन यह प्रक्रिया विवादों से घिरी हुई है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में हेराफेरी करने का गंभीर आरोप लगाया है। एनएसयूआई का कहना है कि एबीवीपी के कार्यकर्ता छात्रों के नामों के आगे खुद नीली स्याही से निशान लगा रहे हैं, ताकि वोटिंग में गड़बड़ी हो सके। यह आरोप वोटिंग के बीच में सामने आया, जिससे कैंपस में हंगामा मच गया। छात्र संगठनों के बीच तनाव बढ़ गया है और दिल्ली पुलिस को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं।डूसू चुनाव दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यह चुनाव हर साल सितंबर में होते हैं और इसमें चार मुख्य पद होते हैं – अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव। इस बार भी चुनाव की तैयारियां कई दिनों से चल रही थीं। नामांकन प्रक्रिया 11 सितंबर को हुई, जिसमें कुल 82 उम्मीदवारों ने फॉर्म भरे। लेकिन जांच के बाद 73 नामांकन वैध पाए गए और 8 को खारिज कर दिया गया। मुख्य मुकाबला एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच है। दोनों संगठनों ने चार-चार उम्मीदवार उतारे हैं।
एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद के लिए जोसलीन चौधरी को चुना है, जो एक महिला उम्मीदवार हैं। उपाध्यक्ष पद पर आर्यन सिंह, सचिव पद पर नंदिता चौधरी और संयुक्त सचिव पद पर एक अन्य उम्मीदवार है। वहीं, एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए आर्यन तंवर को मैदान में उतारा है। उपाध्यक्ष के लिए जोसलीन नाम की उम्मीदवार, सचिव के लिए एक पुरुष उम्मीदवार और संयुक्त सचिव के लिए एक अन्य। इसके अलावा, अन्य छोटे संगठन जैसे ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) भी कुछ कॉलेजों में उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन मुख्य लड़ाई एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच ही है।वोटिंग आज सुबह 8:30 बजे शुरू हुई। यूनिवर्सिटी ने कुल 52 कॉलेजों में 195 ईवीएम बूथ और 780 बैलेट पेपर बूथ बनाए हैं। सेंट्रल पैनल के लिए 700 ईवीएम का इस्तेमाल हो रहा है। वोटिंग दो पालियों में हो रही है – सुबह 8:30 से दोपहर 1 बजे तक दिन की कक्षाओं के छात्रों के लिए और दोपहर 3 बजे से शाम 7:30 बजे तक शाम की कक्षाओं के लिए। कुल 2.75 लाख से ज्यादा छात्र वोट डालने के हकदार हैं। दिव्यांग छात्रों के लिए अलग बूथ भी बनाए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं, खासकर कैंपस के आसपास।लेकिन वोटिंग के बीच ही एनएसयूआई ने एबीवीपी पर हमला बोला। एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने कहा, “एबीवीपी के लोग छात्रों के वोटर लिस्ट में नामों के आगे नीली स्याही से निशान लगा रहे हैं। यह ईवीएम में हेराफेरी का साफ प्रयास है।
डीयू प्रशासन भी एबीवीपी और आरएसएस के इशारे पर काम कर रहा है। चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।” उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे एनएसयूआई को वोट देकर इस अन्याय का जवाब दें। एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने कैंपस में विरोध प्रदर्शन भी किया, जिससे कुछ देर के लिए वोटिंग प्रभावित हुई।एनएसयूआई के आरोपों की पृष्ठभूमि पहले से चल रही दुश्मनी से जुड़ी है। प्रचार के दौरान दोनों संगठनों के बीच कई बार झड़पें हो चुकी हैं। 16 सितंबर को प्रचार के आखिरी दिन किरोड़ीमल कॉलेज (केएमसी) में एनएसयूआई और एबीवीपी के सदस्यों के बीच मारपीट हुई। एनएसयूआई ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के लोगों ने उनके पूर्वांचल छात्र समर्थकों पर हमला किया। कांग्रेस नेता अजय राय एनएसयूआई प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करने आए थे, लेकिन एबीवीपी ने उन्हें रोक दिया। इस घटना के बाद पुलिस को बुलाना पड़ा। एनएसयूआई ने इसे “गुंडागर्दी” बताया और कहा कि छात्र अपने वोट से इसका जवाब देंगे। एबीवीपी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि एनएसयूआई ही आचार संहिता तोड़ रही है।13 सितंबर को भी एनएसयूआई ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर आरोप लगाया था। वरुण चौधरी ने कहा कि सीएम के इशारे पर डीयू प्रशासन एनएसयूआई उम्मीदवारों को परेशान कर रहा है। प्रचार के लिए केवल 4 दिन का समय मिलता है, लेकिन प्रशासन जानबूझकर उनका समय बर्बाद कर रहा है और छात्रों तक पहुंचने से रोक रहा है। उन्होंने इसे “आरएसएस-बीजेपी का डर” बताया। 14 सितंबर को एबीवीपी के आर्यन तंवर ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि एनएसयूआई के खिलाफ सबूत कोर्ट में पेश करेंगे और छात्रों से एबीवीपी पैनल को वोट देने की अपील की।इन सब विवादों के बावजूद डूसू चुनाव का इतिहास काफी रोचक है।
डीयू छात्र संघ 1947 में बना था और यह देश का सबसे पुराना छात्र संगठन है। चुनावों में हमेशा राजनीतिक रंग रहता है। एबीवीपी, जो आरएसएस से जुड़ी है, ने कई बार जीत हासिल की है। पिछले साल 2024 के चुनाव में एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद जीता था, लेकिन एबीवीपी ने उपाध्यक्ष और सचिव पद अपने नाम किए। इस बार भी कांटे की टक्कर है। परिणाम कल 19 सितंबर को घोषित होंगे। यूनिवर्सिटी ने कहा है कि ईवीएम की पूरी जांच हो चुकी है और कोई गड़बड़ी नहीं है।विशेषज्ञों का कहना है कि ये आरोप चुनावी ड्रामा का हिस्सा हो सकते हैं। लेकिन छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ रही है। एक छात्र ने कहा, “हमें निष्पक्ष चुनाव चाहिए। ईवीएम पर भरोसा है, लेकिन पारदर्शिता जरूरी है।” एनएसयूआई ने चुनाव आयोग से शिकायत की है और मांग की है कि वोटिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग चेक की जाए। एबीवीपी ने कहा कि ये झूठे आरोप हैं और वे कानूनी कार्रवाई करेंगे।कुल मिलाकर, डूसू चुनाव 2025 विवादों से भरा हुआ है। वोटिंग शांतिपूर्ण तरीके से चल रही है, लेकिन आरोपों ने माहौल को गर्म कर दिया है। छात्रों का भविष्य इन्हीं चुनावों पर निर्भर करता है, इसलिए निष्पक्षता बनाए रखना जरूरी है। कल के परिणाम से साफ हो जाएगा कि कौन जीतता है।
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Rama Niwash Pandey

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