जितिया व्रत के दौरान चंदौली-देवरिया में बच्चों की डूबने से दर्दनाक हादसे, दो की मौत और एक घायल
उत्तर प्रदेश, 15 सितंबर 2025: जितिया पर्व, जो माताओं द्वारा अपने बच्चों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मनाया जाता है, इस बार कई परिवारों के लिए गम का कारण बन गया। रविवार को चंदौली और देवरिया जिलों में स्नान के दौरान हुए दो अलग-अलग हादसों में दो मासूम बच्चों की जान चली गई, जबकि एक बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई। ये घटनाएं नदियों और तालाबों के किनारे हुईं, जहां माताएं व्रत के बाद पूजा-अर्चना के लिए इकट्ठा हुई थीं। स्थानीय प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।जितिया व्रत, जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है, हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। माताएं निर्जला व्रत रखती हैं, यानी पूरे दिन पानी तक नहीं पीतीं। व्रत का उद्देश्य बच्चों की रक्षा और लंबी आयु की कामना होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह व्रत राजा जीमूतवाहन की कहानी से जुड़ा है, जिन्होंने अपनी जान देकर एक गरुड़ का जीवन बचाया था। इस व्रत के बाद माताएं नहाने जाती हैं और फिर पूजा करती हैं।
लेकिन इस बार, खुशी के इस पर्व पर दुख की छाया मंडरा गई।चंदौली में कर्मनाशा नदी का काला पानीचंदौली जिले के कंदवा थाना क्षेत्र के चारी गांव में रविवार शाम को सबसे पहले हादसा हुआ। यहां जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा के लिए कई माताएं अपनी संतान के साथ कर्मनाशा नदी के किनारे पहुंची थीं। नदी का पानी तेज बहाव वाला था, लेकिन बच्चे उत्साह में गहरे पानी की ओर चले गए। दो किशोर, पीयूष यादव (15 वर्ष) पुत्र सियाराम यादव और हिमांशु यादव (9 वर्ष) पुत्र रामू यादव, नहाते समय अचानक डूबने लगे।परिजनों ने चीखें मचाईं, लेकिन पानी का तेज बहाव देखकर कोई तुरंत कूद नहीं सका। ग्रामीणों ने किसी तरह डोर डालकर बचाने की कोशिश की, लेकिन दोनों बच्चे पानी के कुचले में समा गए। आधे घंटे बाद गोताखोरों की मदद से शव बाहर निकाले गए। पीयूष स्कूल में आठवीं कक्षा का छात्र था और हिमांशु चौथी कक्षा में पढ़ता था। दोनों भाई-बहनों जैसे थे और गांव के स्कूल में साथ पढ़ते थे।चारी गांव में सन्नाटा पसर गया। मांओं का रो-रोकर बुरा हाल था। पीयूष की मां सुनीता देवी ने बताया, “मैं व्रत रख रही थी ताकि मेरे बेटे सुखी रहें। पूजा के बाद नहाने गए, लेकिन अचानक हिमांशु चीखा। मैंने देखा तो दोनों गहरे पानी में थे। मेरी आंखों के सामने मेरा लाल चला गया।” गांव वालों ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। चंदौली के एसपी रवींद्र कुमार ने बताया कि नदी किनारे साइन बोर्ड लगाए जाएंगे और ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा।देवरिया में तालाब का विपत्ति भरा स्नानदूसरा हादसा देवरिया जिले के बरहलगंज थाना क्षेत्र के एक गांव में शाम को ही हुआ।
यहां जितिया व्रत की पूजा के बाद बच्चे तालाब में नहाने गए। चार साल की मासूम बच्ची रिया (काल्पनिक नाम, गोपनीयता के लिए) अपनी मां के साथ तालाब किनारे थी। अचानक वह फिसल गई और गहरे पानी में डूबने लगी। साथ खेल रहे दो अन्य बच्चे, 6 साल का राहुल और 8 साल का सोहन, उसे बचाने के लिए कूद पड़े। लेकिन तीनों ही पानी के भंवर में फंस गए।स्थानीय लोगों ने शोर सुनकर दौड़े और तुरंत बचाव शुरू किया। राहुल और सोहन को तो बाहर निकाल लिया गया, लेकिन दोनों की मौत हो चुकी थी। रिया को ग्रामीणों ने सीने पर दबाकर पानी बाहर निकाला और नजदीकी अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने बताया कि वह गंभीर है, फेफड़ों में पानी भर गया है। वह वेंटिलेटर पर है और उसकी हालत नाजुक बनी हुई है। राहुल के पिता रामेश्वर ने कहा, “बच्चे खेलते हुए तालाब में उतर गए। हम लोग पूजा में व्यस्त थे। जब तक पहुंचे, दो बच्चे जा चुके थे। रिया को बचाने की कोशिश जारी है।”देवरिया के जिलाधिकारी ने परिवारों को 2-2 लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया। पुलिस ने तालाब के आसपास निगरानी बढ़ा दी है। एसपी ने कहा, “पर्व के दौरान भीड़ ज्यादा होती है, इसलिए बच्चों पर नजर रखें।“जितिया पर्व की धार्मिक महत्वताजितिया व्रत मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है। माताएं तीन दिनों का व्रत रखती हैं – नहाय खाय, जितिया और परणआ। पहला दिन स्नान और भोजन का, दूसरा निर्जला व्रत का और तीसरा पारण का।
कथा सुनाने की परंपरा है, जिसमें गरुड़ और लोमड़ी की कहानी आती है। इस व्रत से बच्चों को सर्प भय, दुर्घटना से बचाव का विश्वास है। लेकिन हर साल स्नान के दौरान डूबने की घटनाएं होती हैं।पिछले वर्षों में बिहार में ही दर्जनों बच्चों की मौत हुई थी। विशेषज्ञ कहते हैं कि व्रत के बाद थकान से लापरवाही बढ़ जाती है। प्रशासन हर बार अपील करता है, लेकिन जागरूकता की कमी बनी रहती है।परिवारों का शोक और गांव का माहौलचंदौली के चारी गांव में सोमवार सुबह अंतिम संस्कार हुआ। सैकड़ों लोग जुटे। सुनीता देवी का रोना देखकर सबकी आंखें नम हो गईं। “मेरा बेटा स्कूल जाता था, सपने थे उसके। अब क्या होगा?” वह बार-बार यही कह रही थीं। हिमांशु की छोटी बहन अभी समझ ही नहीं पा रही कि भाई चला गया। गांव में जितिया की खुशी गम में बदल गई। लोग एक-दूसरे को सांत्वना दे रहे थे।देवरिया में भी माहौल उदास है। राहुल और सोहन के परिवार टूट चुके हैं।
रिया की मां अस्पताल में बैठी प्रार्थना कर रही हैं। “भगवान बचाए, मेरी बेटी को कुछ न हो,” वह कहती हैं। स्थानीय पंडित ने कहा, “व्रत का फल तो मिलेगा, लेकिन सावधानी जरूरी है।“प्रशासन की प्रतिक्रिया और सुझावचंदौली और देवरिया के जिलाधिकारियों ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि नदियों-तालाबों पर लाइफ गार्ड तैनात किए जाएंगे। ग्राम प्रधानों को निर्देश दिए गए हैं कि पर्व के दौरान बच्चों को अकेले न जाने दें। एनजीओ भी जागरूकता अभियान चला रहे हैं। एक विशेषज्ञ ने बताया, “गर्मी और थकान से बच्चे ज्यादा जोखिम लेते हैं। माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए।”उत्तर प्रदेश सरकार ने भी हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से संवेदना संदेश आया है। विपक्षी दलों ने भी मामले को उठाया और सुरक्षा के लिए सवाल किए।
