• October 14, 2025

यूपी स्कूल मर्जर पर सरकार का यू-टर्न: 1 किमी से दूर वाले स्कूलों का नहीं होगा मर्जर

लखनऊ/ 1 अगस्त : उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के मर्जर को लेकर चल रहा विवाद अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। विपक्ष, शिक्षकों, और अभिभावकों के भारी विरोध और प्रदर्शनों के बाद यूपी सरकार ने अपने फैसले में बदलाव किया है। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह ने 31 जुलाई 2025 को लखनऊ के लोक भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि कोई भी स्कूल स्थायी रूप से बंद नहीं होगा, और न ही किसी शिक्षक या कर्मचारी की छंटनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि 1 किलोमीटर से अधिक दूरी वाले स्कूलों और 50 से ज्यादा छात्रों वाले स्कूलों का मर्जर नहीं किया जाएगा। आइए, इस यू-टर्न की पूरी कहानी और मंत्री के बयान को विस्तार से समझते हैं।

सरकार का यू-टर्न: क्या है नया फैसला?

16 जून 2024 को यूपी बेसिक शिक्षा विभाग ने 50 से कम छात्रों वाले 27,764 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को पास के स्कूलों में मर्ज करने का आदेश जारी किया था। इस फैसले का मकसद संसाधनों का बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार बताया गया था। हालांकि, विपक्षी दलों, शिक्षक संगठनों, और अभिभावकों ने इसका जमकर विरोध किया। उनकी शिकायत थी कि इससे बच्चों, खासकर ग्रामीण और गरीब परिवारों की लड़कियों, को स्कूल पहुंचने में दिक्कत होगी, जिससे ड्रॉपआउट दर बढ़ सकती है।
खबरों के अनुसार 31 जुलाई 2025 को बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नई गाइडलाइंस जारी कीं। जिन स्कूलों के बीच की दूरी 1 किलोमीटर से ज्यादा है, उन्हें मर्ज नहीं किया जाएगा। अगर पहले मर्ज किए गए स्कूलों में यह दूरी ज्यादा है, तो उन्हें फिर से अलग किया जाएगा। जिन स्कूलों में 50 या उससे अधिक छात्र हैं, उनका मर्जर नहीं होगा। संदीप सिंह ने कहा, “कोई भी स्कूल स्थायी रूप से मर्ज नहीं किया गया है। अगर छात्रों की संख्या बढ़ती है या बैठने की जगह कम पड़ती है, तो मूल स्कूलों में कक्षाएं फिर से शुरू होंगी। UDISE कोड वही रहेंगे। सभी स्वीकृत पद, जिसमें हेडमास्टर, शिक्षक, और रसोइयों के पद शामिल हैं, बरकरार रहेंगे। जरूरत पड़ने पर नए शिक्षकों की भर्ती भी होगी। मर्जर से खाली हुए स्कूल भवनों में 15 अगस्त तक बाल वाटिका और प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू की जाएंगी, जहां 3-6 साल के बच्चे पढ़ेंगे।

संदीप सिंह का बयान

खबरों के मुताबिक संदीप सिंह ने कहा, “यह मर्जर नहीं, बल्कि स्कूलों की पेयरिंग है, जिसका उद्देश्य बच्चों को बेहतर शैक्षिक माहौल और संसाधन देना है। कम छात्रों वाले स्कूलों में बच्चे क्लासरूम इंटरैक्शन, ग्रुप एक्टिविटी, और प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग से वंचित रहते हैं। पेयरिंग से शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर होगा और आधुनिक शिक्षण विधियां लागू होंगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भौगोलिक रूप से जटिल क्षेत्रों, जैसे नदियों, रेलवे क्रॉसिंग, या हाईवे के पास वाले स्कूलों को मर्जर प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। अगर किसी जिले से दूरी या असुविधा की शिकायत आती है, तो तुरंत समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य बच्चों की शिक्षा को आसान और सुरक्षित बनाना है। 96% स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प के तहत बुनियादी सुविधाएं दी जा चुकी हैं, जिसे नीति आयोग ने भी सराहा है।”

विपक्ष की प्रतिक्रिया
खबरों के अनुसार समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस यू-टर्न को अपनी पार्टी के ‘PDA पाठशाला’ आंदोलन की जीत बताया। उन्होंने X पर लिखा, “स्कूल मर्जर का फैसला वापस लेना ‘PDA पाठशाला’ आंदोलन की बड़ी जीत है। शिक्षा का अधिकार अटल है। यह शिक्षा-विरोधी बीजेपी की नैतिक हार है।” कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने भी मर्जर को दलितों और पिछड़ों के खिलाफ बताया था।

सामाजिक और शैक्षिक प्रभाव
मर्जर की वजह से कुछ बच्चों को 2-3 किमी तक यात्रा करनी पड़ रही थी, जिसे अब 1 किमी तक सीमित किया गया है। यह खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों के लिए राहत की बात है। शिक्षक संगठनों ने मर्जर को लेकर नौकरी छिनने की आशंका जताई थी, लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि कोई पद खत्म नहीं होगा। खाली स्कूल भवनों का उपयोग प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए होगा, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप है।

 

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Rama Niwash Pandey

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