अपना दल (एस) में बगावत के बीच अनुप्रिया पटेल का बड़ा फैसला: पति आशीष पटेल का कद घटाया
उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। इस बीच, पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए अपने पति और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल का कद घटा दिया है। आशीष पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष पद से हटाकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया है, जिसे पार्टी में तीसरी कतार की स्थिति माना जा रहा है।
गुरुवार को अपना दल (एस) के राष्ट्रीय सचिव (मुख्यालय) मुन्नर प्रजापति ने नई कार्यकारिणी की सूची जारी की। इसमें आशीष पटेल को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया, लेकिन उनकी स्थिति को माता बदल तिवारी के नीचे रखा गया, जिन्हें भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इस सूची में केके पटेल को राष्ट्रीय महासचिव, राकेश यादव, अल्का पटेल और पप्पू माली को राष्ट्रीय सचिव, जबकि डॉ. अमित पटेल और रेखा वर्मा को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है। आशीष के डिमोशन ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।
बगावत और आरोपों का दौर
आशीष पटेल पर हाल ही में उनकी साली और समाजवादी पार्टी (सपा) की सिराथू विधायक पल्लवी पटेल ने गंभीर आरोप लगाए थे। पल्लवी ने दावा किया था कि आशीष ने अपने प्राविधिक शिक्षा विभाग में विभागाध्यक्षों की नियुक्तियों में 25-25 लाख रुपये लेकर अनियमितताएं की हैं। इसके अलावा, पार्टी के संस्थापकों में शामिल रहे पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता ब्रजेंद्र प्रताप सिंह ने भी आशीष पर कई आरोप लगाते हुए ‘अपना मोर्चा’ नामक एक नया संगठन बनाया। ब्रजेंद्र ने दावा किया कि अपना दल (एस) के 13 में से 9 विधायक उनके साथ हैं, और उनका संगठन 2027 के विधानसभा चुनाव में एनडीए का समर्थन करेगा।,
अनुप्रिया की रणनीति और योगी को पत्र
पार्टी में बढ़ती बगावत से परेशान अनुप्रिया पटेल ने त्वरित कदम उठाए। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर विद्रोही नेताओं और उनके रिश्तेदारों को सरकारी मनोनीत पदों से हटाने की मांग की।, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आरपी गौतम द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया कि विद्रोही नेता ब्रजेंद्र प्रताप सिंह की पत्नी मोनिका आर्या को अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता और अरविंद बौद्ध को पूर्वांचल विकास बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया है, जो बिना पार्टी की सहमति के हुआ। गौतम ने इन नियुक्तियों को हटाने और पार्टी के कोटे से नए नाम नियुक्त करने की मांग की। यह कदम गठबंधन में संवादहीनता की ओर भी इशारा करता है।
आशीष के डिमोशन के पीछे क्या?
पार्टी सूत्रों के अनुसार, अनुप्रिया पटेल ने आशीष पटेल का कद घटाकर बगावत के सुरों को दबाने और संगठन को मजबूत करने की कोशिश की है। आशीष पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप और बगावती नेताओं के निशाने पर उनकी भूमिका ने अनुप्रिया को यह कड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर किया। कुछ समय पहले तक आशीष पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, फिर कार्यकारी अध्यक्ष बने, और अब उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। यह बदलाव पार्टी के भीतर शक्ति संतुलन और 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति को दर्शाता है।
सियासी हलचल और भविष्य की चुनौतियां
अनुप्रिया पटेल ने सोनेलाल पटेल की जयंती पर आयोजित ‘जन स्वाभिमान दिवस’ में कहा कि उनकी पार्टी सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी साजिश से नहीं डरती। हालांकि, ब्रजेंद्र प्रताप सिंह के ‘अपना मोर्चा’ और पल्लवी पटेल के आरोपों ने अनुप्रिया के लिए सियासी चुनौतियां बढ़ा दी हैं।, पार्टी के इस फेरबदल और योगी सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति से गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। आगामी समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अनुप्रिया पटेल अपनी पार्टी को एकजुट रखने और गठबंधन की मर्यादा बनाए रखने में कितनी सफल होती हैं।
