पुणे कोर्ट ने खारिज की सत्यकी सावरकर की याचिका, राहुल गांधी को पुस्तक पेश करने का नहीं दे सकती आदेश
पुणे की एक विशेष अदालत ने विनायक दामोदर सावरकर के पौत्र सत्यकी सावरकर की याचिका को खारिज कर दिया है। सत्यकी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा स्वतंत्रता सेनानी वी.डी. सावरकर के बारे में कथित तौर पर मानहानिकारक टिप्पणी में उल्लिखित पुस्तक की जानकारी मांगी थी। सांसदों और विधायकों के लिए विशेष अदालत के न्यायाधीश अमोल शिंदे ने कहा कि राहुल गांधी को उक्त पुस्तक पेश करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
याचिका में क्या था दावा?
सत्यकी सावरकर ने मई 2023 में दायर याचिका में दावा किया था कि राहुल गांधी ने जिस पुस्तक का जिक्र किया, वह मौजूद ही नहीं है। उन्होंने मांग की थी कि यदि ऐसी कोई पुस्तक है, तो राहुल गांधी को उसे अदालत में पेश करने का निर्देश दिया जाए। यह याचिका मार्च 2023 में लंदन में राहुल गांधी के एक भाषण से जुड़ी थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सावरकर ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि उन्होंने और उनके पांच-छह दोस्तों ने एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और उन्हें इस बात की खुशी हुई थी। सत्यकी ने अपनी मानहानि शिकायत में कहा कि ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई और न ही सावरकर ने ऐसा कुछ लिखा।
सत्यकी सावरकर ने मई 2023 में दायर याचिका में दावा किया था कि राहुल गांधी ने जिस पुस्तक का जिक्र किया, वह मौजूद ही नहीं है। उन्होंने मांग की थी कि यदि ऐसी कोई पुस्तक है, तो राहुल गांधी को उसे अदालत में पेश करने का निर्देश दिया जाए। यह याचिका मार्च 2023 में लंदन में राहुल गांधी के एक भाषण से जुड़ी थी, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि सावरकर ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि उन्होंने और उनके पांच-छह दोस्तों ने एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और उन्हें इस बात की खुशी हुई थी। सत्यकी ने अपनी मानहानि शिकायत में कहा कि ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई और न ही सावरकर ने ऐसा कुछ लिखा।
अदालत का फैसला: संवैधानिक अधिकारों का हवाला
न्यायाधीश अमोल शिंदे ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी आरोपी को मुकदमा शुरू होने से पहले अपने बचाव से जुड़े साक्ष्य पेश करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(3) का हवाला देते हुए कहा, “कोई भी आरोपी व्यक्ति अपने खिलाफ गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यदि आरोपी को समय से पहले साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी अपने बचाव में प्रासंगिक दस्तावेज मुकदमे के दौरान पेश कर सकता है, लेकिन उसे पहले से ऐसा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता।
न्यायाधीश अमोल शिंदे ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी आरोपी को मुकदमा शुरू होने से पहले अपने बचाव से जुड़े साक्ष्य पेश करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 20(3) का हवाला देते हुए कहा, “कोई भी आरोपी व्यक्ति अपने खिलाफ गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यदि आरोपी को समय से पहले साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी अपने बचाव में प्रासंगिक दस्तावेज मुकदमे के दौरान पेश कर सकता है, लेकिन उसे पहले से ऐसा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता।
मामले की पृष्ठभूमि
सत्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मार्च 2023 में लंदन में दिए गए भाषण के आधार पर मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था। शिकायत में कहा गया था कि राहुल के दावे झूठे और सावरकर की छवि को धूमिल करने वाले हैं। इस मामले में सुनवाई अभी जारी है, और अदालत का यह फैसला सत्यकी सावरकर की याचिका को खारिज करने के साथ ही राहुल गांधी को राहत प्रदान करता है।
सत्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मार्च 2023 में लंदन में दिए गए भाषण के आधार पर मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था। शिकायत में कहा गया था कि राहुल के दावे झूठे और सावरकर की छवि को धूमिल करने वाले हैं। इस मामले में सुनवाई अभी जारी है, और अदालत का यह फैसला सत्यकी सावरकर की याचिका को खारिज करने के साथ ही राहुल गांधी को राहत प्रदान करता है।
