‘हमारे ऊपर से 6 मिसाइलें गईं…’ इजराइल से बचाकर लाए गए बुजुर्ग दंपति ने बताया ईरानी हमले का मंजर
इजराइल और ईरान के बीच 12 दिन तक चली जंग ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। इस युद्ध के दौरान, 24 जून 2025 को भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंधु के तहत इजराइल से 161 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला, जिनमें एक बुजुर्ग दंपति, त्रियंबक कोले और उनकी पत्नी, शामिल थे। इस दंपति ने ईरानी मिसाइल हमलों के भयावह मंजर को बयां किया, जिसमें उनके ऊपर से 6 मिसाइलें गुजरीं और वह बम शेल्टर में छिपे। ऑपरेशन सिंधु के तहत भारतीय वायुसेना ने जॉर्डन और मिस्र के रास्ते इन नागरिकों को दिल्ली लाया। यह लेख इस दंपति की आपबीती, युद्ध के हालात, और भारत सरकार की निकासी प्रक्रिया को पांच हिस्सों में विस्तार से बताता है।
ईरानी हमले का भयावह मंजर
त्रियंबक कोले और उनकी पत्नी ने इजराइल में ईरानी मिसाइल हमलों के दौरान भयावह अनुभव साझा किया। त्रियंबक ने बताया, “वहां हमेशा धमाकों की आवाज आती थी। हमारे ऊपर से 6 मिसाइलें गुजरीं, फिर हम छिप गए।” उनकी पत्नी ने कहा कि सायरन बजते ही वह बम शेल्टर की ओर भागे। तेल अवीव और यरूशलम जैसे शहरों में 13 जून 2025 से शुरू हुए ईरानी हमलों ने भारी तबाही मचाई। ईरान ने 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे, जिनमें फतह-1 हाइपरसोनिक मिसाइलें शामिल थीं। इजराइल के आयरन डोम ने कई मिसाइलों को रोका, लेकिन तेल अवीव में इमारतें मलबे में तब्दील हो गईं। इस दंपति ने बताया कि हर रात सायरन और धमाकों के बीच डर में बीती।
ऑपरेशन सिंधु और भारतीयों की निकासी
भारत सरकार ने इजराइल-ईरान युद्ध के बीच फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन सिंधु शुरू किया। 24 जून 2025 को भारतीय वायुसेना का C-17 विमान 161 यात्रियों को लेकर दिल्ली पहुंचा। त्रियंबक कोले और उनकी पत्नी को जॉर्डन की सीमा के रास्ते निकाला गया और फिर मिस्र से फ्लाइट के जरिए भारत लाया गया। विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास ने निकासी में अहम भूमिका निभाई, जिसमें भोजन, पानी और अन्य सुविधाएं प्रदान की गईं। त्रियंबक ने कहा, “पीएम मोदी का बहुत धन्यवाद, हमें बहुत अच्छी व्यवस्था मिली।” इस ऑपरेशन के तहत कुल 268 भारतीयों को निकाला गया, जिसमें छात्र और तीर्थयात्री शामिल थे। यह भारत की कूटनीतिक और सैन्य क्षमता को दर्शाता है।
इजराइल-ईरान युद्ध का पृष्ठभूमि
इजराइल और ईरान के बीच युद्ध 13 जून 2025 को इजराइल के ऑपरेशन राइजिंग लायन के साथ शुरू हुआ, जिसमें ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए। जवाब में, ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III के तहत तेल अवीव पर 400 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे। इस युद्ध में इजराइल में 24 मौतें और 804 लोग घायल हुए, जबकि ईरान में 657 लोग मारे गए। अमेरिका ने भी ईरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी की, जिससे तनाव और बढ़ा। 23-24 जून की रात ईरान ने कतर में अमेरिकी बेस पर 6 मिसाइलें दागीं। 24 जून को डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम की घोषणा की, लेकिन क्षेत्र में तनाव बरकरार है।
भारतीयों की स्थिति और दूतावास की भूमिका
इजराइल और ईरान में फंसे भारतीयों, विशेषकर छात्रों और तीर्थयात्रियों, ने भयावह हालात का सामना किया। तेल अवीव में सायरन बजते ही लोग बम शेल्टर में भागे। एक भारतीय छात्र, पृथ्वीराज, ने बताया कि सायरन के बाद डेढ़ मिनट में शेल्टर में पहुंचना पड़ता था। भारतीय दूतावास ने तेल अवीव में निकासी के लिए जॉर्डन और मिस्र के रास्ते व्यवस्था की। ईरान में फंसे छात्रों को उर्मिया से आर्मेनिया लाया गया। बलिया के पांच तीर्थयात्रियों ने ईरानी और भारतीय अधिकारियों की मदद की सराहना की। दूतावास ने फंसे भारतीयों को भोजन और सुरक्षा प्रदान की। सोशल मीडिया पर लोग सरकार की त्वरित कार्रवाई की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन कुछ ने और तेजी से निकासी की मांग की।
सामाजिक प्रभाव और भविष्य की चुनौतियां
इस युद्ध ने मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ा दी, और भारतीय प्रवासियों की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया। त्रियंबक कोले जैसे लोगों की आपबीती ने युद्ध की भयावहता को उजागर किया। भारत में सोशल मीडिया पर लोगों ने ऑपरेशन सिंधु की सराहना की, लेकिन कुछ ने सरकार से और तेज कार्रवाई की मांग की। यह युद्ध क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर तनाव को दर्शाता है, जिसमें भारत जैसे देशों को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तत्पर रहना होगा। भविष्य में, भारत को मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच और मजबूत निकासी योजनाएं और कूटनीतिक प्रयास करने होंगे। त्रियंबक और उनकी पत्नी की सुरक्षित वापसी भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, लेकिन यह युद्ध की भयावहता को भी रेखांकित करता है।
