• October 20, 2025

जस्टिस वर्मा पर क्यों नहीं हुई FIR, कोड ऑफ कंडक्ट का पालन नहीं कर रहे जज; सांसदों ने उठाए सवाल

न्यायपालिका में कथित भ्रष्टाचार के मामले पर केंद्र सरकार को घेरते हुए संसद की स्थायी समिति ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ अब तक कोई FIR दर्ज न होने पर कड़ी नाराजगी जताई है। मंगलवार को हुई कानून एवं न्याय संबंधी संसदीय समिति की बैठक में सांसदों ने न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर चिंता जाहिर की।

क्या है मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से बड़े पैमाने पर नकदी मिलने की खबरों ने हलचल मचा दी थी। इसके बाद उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया। हालांकि, इस मामले में अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, जो खुद में सवालों के घेरे में है।

सांसदों ने सरकार से मांगा जवाब

बैठक के दौरान सांसदों ने तीखे सवाल उठाते हुए पूछा कि जब हजारों अध्यापकों को कथित अनियमितताओं के चलते नौकरी से निकाला जा सकता है, तो फिर एक जज पर सिर्फ ट्रांसफर ही क्यों हुआ? एक सांसद ने उदाहरण देते हुए कहा कि 2016 में नियुक्त हुए 25,000 से ज्यादा अध्यापकों को हटाया गया, तो फिर न्यायपालिका में ऐसी कठोर कार्रवाई क्यों नहीं दिख रही?

एक अन्य सांसद ने सवाल उठाया कि, “क्या इतने गंभीर आरोपों के बावजूद किसी जज को सिर्फ एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट ट्रांसफर कर देना ही पर्याप्त कार्रवाई मानी जाएगी?”

कोड ऑफ कंडक्ट और पारदर्शिता पर भी उठे सवाल

बैठक में 1997 में लागू जजों के लिए बनाए गए 16-बिंदुओं वाले कोड ऑफ कंडक्ट की अनदेखी पर भी चर्चा हुई। सांसदों का कहना था कि यह कोड अब सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गया है। 2023 में जजों की संपत्ति सार्वजनिक करने की सिफारिश की गई थी, लेकिन अब तक इसका पूरी तरह पालन नहीं हुआ।

सांसदों ने कहा कि कई जज अब भी संपत्ति घोषित नहीं कर रहे हैं, जो पारदर्शिता के मूल सिद्धांत के खिलाफ है।

राजनीतिक मंचों पर जजों की मौजूदगी पर आपत्ति

सांसदों ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर प्रभाव डालने वाले पहलुओं की ओर भी इशारा किया। विशेष रूप से रिटायर्ड जजों के राजनीतिक या संगठनों से जुड़ाव और राजनीतिक कार्यक्रमों में भागीदारी पर चिंता जताई गई। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने जस्टिस शेखर यादव का उदाहरण दिया, जो हाल ही में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उनके बयानों को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया था।

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Rama Niwash Pandey

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