झुलसाती गर्मी से दिल्ली को जल्द राहत: 10 दिन पहले दस्तक देगा मानसून, बारिश लाएगी ठंडक
दिल्ली: दिल्ली और उत्तर-पश्चिम भारत के अन्य हिस्सों में इस समय भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है। तापमान 43 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है, और गर्म हवाएं (लू) लोगों का जीना मुहाल कर रही हैं। लेकिन अब दिल्लीवासियों के लिए अच्छी खबर है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार अपने सामान्य समय से 10 दिन पहले, यानी जून के तीसरे सप्ताह में दिल्ली पहुंच सकता है। यह लेख दिल्ली की मौजूदा गर्मी, मानसून की प्रगति, और इसके प्रभावों को विस्तार से समझाता है, जो दिल्लीवासियों को झुलसाती गर्मी से राहत दिलाने की उम्मीद लेकर आया है।
दिल्ली में गर्मी का कहर: तापमान और हालात
पिछले कुछ हफ्तों से दिल्ली में तापमान सामान्य से कई डिग्री ऊपर रहा है। 8 जून 2025 को सफदरजंग वेधशाला में तापमान 42.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 2.1 डिग्री अधिक था। अन्य स्टेशनों जैसे अयानगर (44.1 डिग्री) और पालम (43.6 डिग्री) में तापमान और भी ज्यादा रहा। 12 जून को तापमान 43.8 डिग्री तक पहुंच गया, जिसने इस सीजन का सबसे गर्म दिन बनाया। गर्म और शुष्क पश्चिमी हवाओं (लू) और थार रेगिस्तान से आने वाली धूल भरी आंधियों ने दिल्ली को भट्टी में तब्दील कर दिया है। भारतीय मौसम विभाग ने 9 और 10 जून के लिए “गर्म और आर्द्र” स्थिति के लिए येलो अलर्ट जारी किया था, जिसमें 30 किमी/घंटा की रफ्तार से धूल भरी हवाएं चलने की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, मौसम विभाग ने यह भी कहा कि दिल्ली में अभी तक हीटवेव की स्थिति नहीं बनी है, लेकिन पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और पश्चिमी राजस्थान में हीटवेव की चेतावनी जारी की गई है। दिल्ली में बढ़ती आर्द्रता और प्री-मानसून गरज-चमक के साथ छिटपुट बारिश के संकेत दिखने लगे हैं, जो मानसून के आगमन का संकेत दे रहे हैं।
मानसून का जल्द आगमन: 10 दिन पहले राहत
सामान्य तौर पर, दक्षिण-पश्चिम मानसून दिल्ली में 27 जून के आसपास पहुंचता है, लेकिन इस बार यह 19 से 25 जून के बीच राजधानी में दस्तक दे सकता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून ने इस साल केरल में 27 मई को, यानी सामान्य से पांच दिन पहले, अपनी शुरुआत की। यह 16 साल में सबसे जल्दी मानसून आगमन था। हालांकि, मई के अंत में मानसून की प्रगति रुक गई थी, जिसके कारण दिल्ली सहित उत्तर-पश्चिम भारत में गर्मी बढ़ गई। IMD की 12 जून 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, मानसून ने अब दोबारा गति पकड़ ली है। दक्षिण भारत में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, कोंकण, और महाराष्ट्र में भारी से बहुत भारी बारिश हो रही है। अगले हफ्ते तक मानसून पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पहुंचेगा, जिसके बाद यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, और अंत में दिल्ली की ओर बढ़ेगा। IMD के डायरेक्टर जनरल मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि दिल्ली-चंडीगढ़-हरियाणा क्षेत्र में इस साल 114% औसत बारिश (लगभग 431 मिमी) होने की उम्मीद है, जो सामान्य से अधिक है।
क्यों आ रहा है मानसून जल्दी?
इस साल मानसून के जल्दी आगमन के पीछे कई बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय और समुद्री कारक जिम्मेदार हैं। IMD के अनुसार, मानसून की शुरुआत के लिए जरूरी मापदंड, जैसे 60% दक्षिणी मौसम स्टेशनों (मिनिकॉय, अमिनी, तिरुवनंतपुरम, आदि) पर लगातार दो दिनों तक 2.5 मिमी या अधिक बारिश, और 15-20 नॉट की गति से पश्चिमी हवाओं का प्रवाह, इस साल जल्दी पूरे हो गए। इसके अलावा, प्री-मानसून बारिश और अनुकूल मौसमी परिस्थितियों ने मानसून को तेजी से उत्तर की ओर बढ़ने में मदद की। पूर्व सचिव, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, एम. राजीवन ने बताया कि मानसून की प्रगति में रुकावट के बाद अब तीसरे हफ्ते में यह फिर से सक्रिय हो सकता है।
दिल्लीवासियों के लिए राहत: मौसम में बदलाव
IMD के पूर्वानुमान के अनुसार, 14 से 17 जून तक दिल्ली में तापमान 37-42 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है, जिसमें हल्की से मध्यम बारिश और तेज हवाएं (30-40 किमी/घंटा) चलने की संभावना है। यह प्री-मानसून बारिश दिल्ली में बढ़ती आर्द्रता के साथ गर्मी से कुछ राहत देगी। सोशल मीडिया पर भी लोग इस खबर का स्वागत कर रहे हैं। मानसून का जल्दी आगमन दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों के लिए न केवल गर्मी से राहत लाएगा, बल्कि कृषि के लिए भी लाभकारी होगा। भारत की अर्थव्यवस्था में मानसून की महत्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि देश का लगभग 70% पानी खेती और जलाशयों की पूर्ति के लिए मानसून पर निर्भर करता है। इस साल केरल में समय से पहले मानसून ने किसानों को जल्दी खरीफ फसलों की बुवाई शुरू करने का मौका दिया, जिससे चावल, मक्का, और सोयाबीन जैसी फसलों की पैदावार बढ़ने की उम्मीद है। दिल्ली और उत्तर भारत में भी जल्दी बारिश से जल संकट कम हो सकता है और किसानों को लाभ मिल सकता है।
