• October 14, 2025

राहुल गांधी का ‘महाराष्ट्र चुनाव फिक्सिंग’ लेख: सियासी हंगामा और जेपी नड्डा का पलटवार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक हालिया लेख ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में कथित धांधली के आरोपों को लेकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित इस लेख में राहुल ने दावा किया कि 2024 का महाराष्ट्र चुनाव लोकतंत्र में ‘मैच फिक्सिंग’ का ब्लूप्रिंट था। उन्होंने चुनाव आयोग की नियुक्ति, वोटर लिस्ट में फर्जी मतदाताओं का शामिल होना, और मतदान प्रतिशत में अचानक वृद्धि जैसे मुद्दों को उठाया। इस लेख ने बीजेपी को निशाने पर लिया, जिसके जवाब में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल पर पलटवार करते हुए कहा कि वे हार का ठीकरा धांधली के आरोपों पर फोड़ते हैं। नड्डा ने इसे कांग्रेस की हताशा और झूठी कहानियां गढ़ने की रणनीति करार दिया। यह विवाद लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाता है।
राहुल गांधी के लेख का सार
राहुल गांधी ने अपने लेख में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कथित अनियमितताओं को चरणबद्ध तरीके से उजागर किया। उन्होंने दावा किया कि पहला कदम था चुनाव आयोग की नियुक्ति करने वाले पैनल पर कब्जा करना, जिससे निष्पक्षता प्रभावित हुई। दूसरा, वोटर लिस्ट में फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया, और तीसरा, मतदान प्रतिशत को कृत्रिम रूप से बढ़ाया गया। राहुल ने 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच 27,29,487 नए वोटरों के जुड़ने की तुलना 2024 के आंकड़ों से की, जिसमें असामान्य वृद्धि देखी गई। उन्होंने इसे ‘चुनाव की चोरी’ करार देते हुए बीजेपी पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया। यह लेख 13 भाषाओं में 15 अखबारों में छपा, जिसने इसे व्यापक चर्चा का विषय बना दिया।
जेपी नड्डा का तीखा जवाब

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल के आरोपों को ‘झूठ का पुलिंदा’ करार दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हार से बौखलाए हुए हैं और हर बार धांधली का रोना रोते हैं। नड्डा ने दावा किया कि राहुल की ये हरकतें ही कांग्रेस की हार का कारण हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि राहुल का लेख हताशा और बार-बार हार से पैदा हुई निराशा का परिणाम है। नड्डा ने यह भी कहा कि बीजेपी ने दिल्ली और असम जैसे राज्यों में हालिया जीतें विकास और जनता के भरोसे पर हासिल की हैं, न कि किसी धांधली के जरिए। उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि वे अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए फर्जी कहानियां गढ़ रहे हैं।
महाराष्ट्र चुनाव 2024 का संदर्भ

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी-एनडीए गठबंधन ने शानदार जीत हासिल की थी, जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक, जिसमें कांग्रेस शामिल थी, को करारी हार का सामना करना पड़ा। राहुल ने अपने लेख में दावा किया कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच मतदाताओं की संख्या में असामान्य वृद्धि और मतदान प्रतिशत में उछाल संदिग्ध है। 2014 में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच 27 लाख नए वोटर जुड़े थे, लेकिन 2024 में यह आंकड़ा असामान्य रूप से अधिक था। राहुल ने इसे ‘मैच फिक्सिंग’ का उदाहरण बताते हुए चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। यह पहली बार नहीं है जब राहुल ने बीजेपी पर चुनावी धांधली का आरोप लगाया हो।
चुनाव आयोग और लोकतंत्र पर बहस

राहुल के लेख ने एक बार फिर चुनाव आयोग की निष्पक्षता और भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े किए हैं। उनके दावों ने विपक्षी दलों को एक नया मुद्दा दिया है, जिसके जरिए वे बीजेपी पर हमलावर हैं। हालांकि, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है और राहुल के दावे निराधार हैं। इस विवाद ने लोकतंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह बहस 2025 के बिहार और अन्य राज्यों के आगामी चुनावों में भी विपक्ष का प्रमुख मुद्दा बन सकता है।
निष्कर्ष

राहुल गांधी का ‘महाराष्ट्र चुनाव फिक्सिंग’ लेख एक सियासी तूफान बन गया है, जिसने बीजेपी और कांग्रेस के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। राहुल के आरोपों ने जहां विपक्ष को एक नया नैरेटिव दिया है, वहीं जेपी नड्डा के पलटवार ने इसे कांग्रेस की हताशा करार दिया। सोशल मीडिया पर यह मुद्दा व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां दोनों पक्षों के समर्थक अपनी-अपनी बात रख रहे हैं। यह विवाद न केवल महाराष्ट्र चुनाव, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर गहरे सवाल उठाता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बहस राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करती है।
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Rama Niwash Pandey

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