पहलगाम हमला: ‘कश्मीरी हमले नहीं चाहते’, सीएम उमर अब्दुल्ला बोले- 26 साल में पहली बार लोगों को ऐसे बाहर आते देखा
पहलगाम, 28 अप्रैल 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर घाटी में शांति की उम्मीदों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक भावुक बयान में कहा कि कश्मीरी लोग हिंसा और हमलों के खिलाफ हैं और वे शांति चाहते हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पिछले 26 वर्षों में पहली बार उन्होंने लोगों को इतनी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरते देखा है, जो इस हमले के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। यह लेख इस हमले के विवरण, इसके प्रभाव, और सीएम उमर अब्दुल्ला के बयान के महत्व पर प्रकाश डालता है।
पहलगाम हमले का विवरण
पहलगाम, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध है, रविवार की शाम एक आतंकी हमले का शिकार बना। स्थानीय समयानुसार शाम करीब 6:30 बजे, अज्ञात बंदूकधारियों ने पहलगाम के एक भीड़भाड़ वाले बाजार क्षेत्र में अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इस हमले में दो नागरिकों की मौत हो गई, जबकि सात अन्य घायल हो गए। घायलों में दो पर्यटक भी शामिल हैं, जिन्हें श्रीनगर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
प्रारंभिक जांच के अनुसार, हमलावरों की संख्या तीन से चार थी, और वे एक सुनियोजित तरीके से इस हमले को अंजाम देने आए थे। सुरक्षा बलों ने तुरंत क्षेत्र को घेर लिया और जवाबी कार्रवाई शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप एक आतंकी मारा गया। शेष हमलावरों की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। पुलिस और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस हमले को “कायरतापूर्ण” करार देते हुए कहा कि यह क्षेत्र में शांति को बाधित करने की साजिश का हिस्सा हो सकता है।
सीएम उमर अब्दुल्ला का बयान
हमले के कुछ घंटों बाद, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “यह हमला कश्मीरी लोगों ने नहीं, बल्कि बाहरी आतंकियों का काम है। कश्मीरी लोग शांति चाहते हैं, और वे हिंसा के खिलाफ हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह हमला जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति को बहाल करने के प्रयासों को कमजोर करने की कोशिश है।
उमर अब्दुल्ला ने अपने बयान में एक महत्वपूर्ण बात कही, “पिछले 26 वर्षों में, मैंने पहली बार कश्मीरी लोगों को इतनी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरते देखा है। वे इस हमले के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं, और यह दिखाता है कि कश्मीर का आम नागरिक अब हिंसा को बर्दाश्त नहीं करना चाहता।” यह बयान न केवल कश्मीर की बदलती सामाजिक और राजनीतिक गतिशीलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि स्थानीय लोग अब आतंकवाद के खिलाफ खुलकर बोलने को तैयार हैं।

कश्मीरी समाज का बदलता रुख
उमर अब्दुल्ला का यह दावा कि कश्मीरी लोग हिंसा के खिलाफ हैं, हाल के वर्षों में घाटी में देखे गए बदलावों से मेल खाता है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर में कई सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन हुए हैं। पर्यटन में वृद्धि, स्थानीय व्यापार का विकास, और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं ने कश्मीर के लोगों को एक नई उम्मीद दी है। हालांकि, आतंकी हमले और हिंसा की छिटपुट घटनाएं अभी भी क्षेत्र की प्रगति में बाधा डाल रही हैं।
पहलगाम हमले के बाद, स्थानीय लोगों ने न केवल हमले की निंदा की, बल्कि कई जगहों पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन भी किए। श्रीनगर, अनंतनाग, और पहलगाम में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे, जिनमें युवा, महिलाएं, और बुजुर्ग शामिल थे। इन प्रदर्शनों में लोग “हमें शांति चाहिए” और “आतंकवाद बंद करो” जैसे नारे लगा रहे थे। यह कश्मीरी समाज के बदलते रुख का एक स्पष्ट संकेत है, जहां लोग अब हिंसा को अपनी पहचान से जोड़े जाने के खिलाफ हैं।
हमले का पर्यटन पर प्रभाव
पहलगाम जम्मू-कश्मीर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है, जो हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह हमला न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पर्यटन उद्योग के लिए भी एक बड़ा झटका है। हमले के बाद, कई पर्यटकों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी, और स्थानीय होटल और टूर ऑपरेटरों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “पहलगाम जैसे क्षेत्रों में पर्यटन स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस तरह के हमले न केवल पर्यटकों का विश्वास तोड़ते हैं, बल्कि हजारों लोगों की आजीविका को भी प्रभावित करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पर्यटकों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त कदम उठा रही है, जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती और पर्यटन स्थलों पर निगरानी बढ़ाना शामिल है।
सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया
हमले के बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने पूरे क्षेत्र में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। सेना ने पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिए हैं, और खुफिया एजेंसियां हमलावरों के पीछे की साजिश का पता लगाने में जुटी हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमारे पास कुछ महत्वपूर्ण सुराग हैं, और हम जल्द ही बाकी हमलावरों को पकड़ लेंगे।”
सुरक्षा बलों ने यह भी स्पष्ट किया कि इस हमले में बाहरी आतंकियों की संलिप्तता की आशंका है। हाल के महीनों में, सीमा पार से घुसपैठ की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन आतंकी संगठन अभी भी छोटे-मोटे हमलों के जरिए अशांति फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
आगे की राह
पहलगाम हमला एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति कैसे स्थापित की जाए। उमर अब्दुल्ला ने अपने बयान में केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमें मिलकर काम करना होगा ताकि कश्मीर के लोग सुरक्षित और समृद्ध जीवन जी सकें।”
इसके अलावा, स्थानीय समुदायों को आतंकवाद के खिलाफ और अधिक जागरूक करने की जरूरत है। कश्मीरी युवाओं को शिक्षा, रोजगार, और विकास के अवसर प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा में लाया जा सकता है। साथ ही, पर्यटन और अन्य उद्योगों को बढ़ावा देकर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है।
