• December 27, 2025

गेटवे ऑफ यूपी गाजियाबाद से कौन पहुंचेगा दिल्ली

 गेटवे ऑफ यूपी गाजियाबाद से कौन पहुंचेगा दिल्ली

गाजियाबाद को गेटवे ऑफ यूपी, यानि यूपी का दरवाजा भी कहा जाता है। इसका गठन मेरठ से अलग होकर 14 नवंबर 1976 को हुआ था। जिले का नाम ग़ाज़ी-उद्-दीन के नाम पर पड़ा माना जाता है। बाद में इसका नाम गाजियाबाद हो गया। नगर निगम की ओर से गाजियाबाद का नाम बदलकर गजनगर या हरनंदी नगर रखने का भी प्रस्ताव आया है। गाजियाबाद उद्योगों के शहर से मशहूर है। गाजियाबाद लोकसभा सीट राजधानी दिल्ली से सटी हुई है, इसलिए इस सीट को वीआईपी का दर्जा प्राप्त रहा है। यही कारण है कि इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए सभी दल पूरी ताकत झोंकते हैं।

गाजियाबाद लोकसभा सीट का इतिहास

2009 में हुए परिसीमन से पहले हापुड़-गाजियाबाद की संयुक्त लोकसभा सीट रही है। परिसीमन में हापुड़ का कुछ हिस्सा मेरठ लोकसभा और कुछ भाग गाजियाबाद में आ गया। लोनी विधानसभा क्षेत्र को मिलाकर गाजियाबाद लोकसभा सीट का गठन कर दिया गया। 2009 में पहली बार गाजियाबाद लोकसभा सीट पर चुनाव हुए। उस समय भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने यहां से चुनाव लड़े। उन्होंने उस समय के मौजूदा सांसद कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल को 90 हजार से अधिक वोटों से हराकर पहले सांसद बने। 2014 और 2019 के चुनाव में भाजपा का इस सीट पर कब्जा बरकरार रहा। गाजियाबाद पारंपिरक रूप से भाजपा का गढ़ है,यहां भाजपा के उम्मीदवार वोटों के भारी अंतर से जीतते रहे हैं। इस सीट पर राजपूत-ब्राह्मण और मुसलमान वोटर की बहुलता है।

2019 आम चुनाव के नतीजे

साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो तब 12 उम्मीदवारों के बीच चुनावी मुकाबला हुआ था। लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के तत्कालीन सांसद और उम्मीदवार विजय कुमार सिंह (वीके सिंह) और समाजवादी पार्टी के सुरेश बंसल के बीच था। सुरेश बंसल सपा और बहुजन समाज पार्टी के साझा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। इन दोनों दलों के बीच चुनावी गठबंधन था। यहां पर चुनाव एकतरफा रहा था। वीके सिंह को चुनाव में 944,503 वोट मिले थे जबकि सुरेश बंसल के खाते में 443,003 वोट आए। वीके सिंह ने करीब 5 लाख के अंतर से जीत दर्ज की थी। तीसरे नंबर पर कांग्रेस की डॉली शर्मा रही थी। डॉली शर्मा को 1,11,944 वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में भी यह सीट वीके सिंह ने जीती थी। उस समय उन्हें 7.58 वोट मिले थे और 5.67 लाख वोटों के अंतर से उन्होंने कांग्रेस के राज बब्बर को हराया था।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

बसपा ने इस सीट पर पहले अंशय कालरा को टिकट दिया था। लेकिन एक बार फिर फेरबदल करके नंदकिशोर पुंडीर को अपना उम्मीदवार बनाया है। बसपा ने इस सीट पर प्रत्याशी बदलने के लिए जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा है। भाजपा ने इस लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद केंद्रीय मंत्री जनरल बीके सिंह का टिकट काटकर उनकी जगह वैश्य समाज से आने वाले अतुल गर्ग को अपना उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में बसपा सुप्रीमो ने ठाकुर प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाकर इस सीट पर बड़ा दांव लगाया है। जबकि कांग्रेस ने डॉली शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। डॉली शर्मा ब्राह्मण समुदाय से आती हैं।

गाजियाबाद सीट का जातीय समीकरण

गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में दलित और मुस्लिम वोटर काफी निर्णायक रहे हैं। जिले में ब्राह्मण, वैश्य, गुर्जर, ठाकुर, पंजाबी और यादव वोटर भी हैं। गाजियाबाद में लगभग 5.5 लाख मुस्लिम, 4.7 लाख राजपूत, 4.5 लाख ब्राह्मण, 2.5 लाख बनिया, 4.5 लाख अनुसूचित जाति, 1.25 लाख जाट, एक लाख पंजाबी, 75 हजार त्यागी, 70 हजार गुर्जर और पांच लाख अन्य शहरी समुदाय के मतदाता हैं।

पांच विधानसभा सीट का गणित

गाज़ियाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत यहां 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनके नाम लोनी, मुरादनगर, साहिबाबाद, गाज़ियाबाद और धौलाना है। पांचों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। लोनी से नंद किशोर गुर्जर, मुरादनगर से अजीत पाल त्यागी, साहिबाबाद से सुनील कुमार शर्मा, गाजियाबाद से अतुल गर्ग और धौलाना से धर्मेंद्र सिंह तोमर को जीत मिली है। धौलाना विधानसभा सीट हापुड़ जिले में आती है।

दलों की जीत का गणित

गाजियाबाद लोकसभा सीट ऐसी सीट है, जहां पर जातीय गणित फिलहाल भाजपा के पक्ष में है। मुस्लिमों और दलितों का समर्थन कई दलों में बंटा होने से उसका फायदा भाजपा को मिलता है। पिछले लोकसभा चुनाव में डॉली इस सीट से तीसरे पायदान पर रही थीं। वो उनका पहला संसदीय चुनाव था। लेकिन इस बार उन्हें गठबंधन के वोटों का फायदा मिल सकता है। भाजपा ने गाजियाबाद से इस बार राजपूत समाज की जगह वैश्य समाज का प्रत्याशी उतारा है। इसी को देखते हुए बसपा ने राजपूत चेहरे पर दांव लगाया है। इस सीट पर राजपूत वोटरों की संख्या ठीक-ठाक है।

सामाजिक कार्यकर्ता घनश्याम शर्मा के अनुसार, गाजियाबाद में बीजेपी उम्मीदवार अतुल गर्ग के सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं है। हां, जीत के अंतर की लाइन को और बड़ा करना अतुल गर्ग के सामने जरूर एक फैक्टर है।

गाजियाबाद से कौन कब बना सांसद

2009 राजनाथ सिंह (भाजपा)

2014 विजय कुमार सिंह (भाजपा)

2019 विजय कुमार सिंह (भाजपा)

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