वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी शंकर प्रसाद का निधन

करीब 37 वर्षों से अधिक समय तक पत्रकारिता, शिक्षा एवं समाज सेवा कार्यों से जुड़े 91 वर्षीय बरौनी नगर परिषद क्षेत्र के शोकहरा निवासी वरिष्ठ पत्रकार गौरी शंकर प्रसाद का निधन हो गया। सात महीने से अपने आवास पर जीवन एवं मौत के बीच संघर्ष करते हुए प्रसाद ने आज अंतिम सांस ली।
गौरी शंकर प्रसाद ने 1960 के दशक में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य प्रारंभ किया था और 1960 से 1997 तक पटना से प्रकाशित इंडियन नेशन अंग्रेजी अखबार के बरौनी क्षेत्र से सरकारी मान्यता प्राप्त संवाददाता थे। इससे पूर्व 1957 में कोलकाता से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार स्टेटमेंन, विश्वमित्र और सन्मार्ग अखबार के प्रेस में एडॉक वर्कर के रूप में कार्य करते थे।
27 जनवरी 1932 में शोकहरा ग्राम में जागेश्वर लाल एवं चाला देवी के घर जन्म लिए गौरी शंकर प्रसाद का जीवन काफी कष्टमय और गरीबी से लड़ने का संघर्षमय रहा है। जो काफी हृदय विदारक है तथा एक लंबी कहानी है। 1942 में उन्होंने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए और वे करीब चार महीनों तक जेल की यातनाएं भी काटा था।
उनके साथ स्वर्गीय कैलाशपति मिश्र भी भागलपुर जेल में थे। 1950 में उन्होंने बरौनी में सर्वप्रथम स्वतंत्र पुस्तकालय का स्थापना भी किया था। 1956 से प्रथम बार दीन-हीन (गरीबों) के निस्वार्थ सेवा भावना से ब्लाइंड रिलीफ कैंप का भी संचालन किया और तब से लगातार मुंगेर और बरौनी में ऐसे कैंपों में सेवाएं देते रहे थे, जो वर्ष 2000 तक चलता रहा।
1955 में वे सरस्वती संस्कृत उच्च विद्यालय शोकहरा में उप प्रधानाध्यापक पद पर नियुक्त हुए तथा वहीं से प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत हुए। उनके निधन पर पत्रकार-सह-आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश प्रसाद गुप्ता सहित अन्य लोगों ने शोक जताया है। बड़ी संख्या में लोगों ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर अंतिम विदाई दी।
