रक्षाबन्धन सामाजिक समरसता का पर्व : मुकुल कानिटकर
रक्षाबन्धन वास्तव में सामाजिक समरसता दिवस का पर्व है। इस पर्व का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। हमारे भारत में हजारों प्राचीन संस्कृतियां हैं, जो समाज को प्रेरणा देने का कार्य करती है। रक्षाबंधन पर्व केवल भाई-बहन का नहीं बल्कि एक-दूसरे को बांधकर रक्षा का संकल्प होता है। जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता बखूबी निभाते हैं। यह बातें प्रयाग संगीत समिति के खचाखच भरे आडीटोरियम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में आयोजित ‘रक्षा बन्धन महोत्सव’ पर्व पर भारतीय शिक्षण मण्डल के संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर ने बतौर मुख्य अतिथि के रूप में नागरिकों को सम्बोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन के दिन हिन्दू समाज के सभी लोग बिना भेदभाव के एक दूसरे की कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर सामाजिक समरसता का भाव भरते हैं। संघ अपनी स्थापना काल से ही समाज में आयी कुरीतियां, जातिवाद व भेदभाव को दूर करने का पूरा प्रयास कर रहा है। उन्होंने सम्पूर्ण हिन्दू समाज का आवाह्न किया कि समाज में भेदभाव दूर करने के लिए आगे आयें। संघ हमेशा से ही सामाजिक समरसता के लिए काम कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक परिस्थितियों के कारण बहुत परिवर्तन हो रहा है। आज संयुक्त परिवार बिखर रहा है। जिसे भारतीय संस्कृति के आधार पर एक होने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में पवित्र रक्षाबंधन पर्व प्रत्यक्ष रूप से सनातन धर्म व समाज की रक्षा के लिए मनाया जाता है। भारत को बनाये रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका में सनातन धर्म, लोकतन्त्र, सेना एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक हैं। सनातन धर्म का तात्पर्य है त्याग और सेवा जो पूरे विश्व में नहीं है। कहा कि धर्म व समाज की रक्षा करना हमारा दायित्व है। संघ ही सबमें एकत्व की अनुभूति कराता है। निःस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने से इसकी एक अलग छवि बनी हुई है। उन्होंने कहा सभी एक दूसरे को आगे बढ़ाने का प्रयास करें।
उप्र राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र की रक्षा सभी नागरिकों का सर्वोपरि कर्तव्य है, वेदों में भी यही कहा गया है। राष्ट्रीय भावना के प्रसार के बिना देश की तरक्की नहीं हो सकती। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने एक-दूसरे की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर सामाजिक समरसता का सन्देश दिया। कार्यक्रम में विभाग संघचालक प्रो. कृष्ण पाल सिंह, डॉ विश्वनाथ निगम, राजेन्द्र, आलोक मालवीय, डॉ मुरार त्रिपाठी, सन्तोष खन्ना सहित बड़ी संख्या में महिलाएं, अधिवक्ता, शिक्षक एवं व्यापारीगण सहित हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे।



