हाई कोर्ट में याचिका लगाकर दावा : विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपति नियुक्ति का कोई नियम नहीं

राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति यानि राज्यपाल को अंतरिम कुलपति नियुक्त करने का कोई अधिकार नहीं है। यह दावा कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका में किया गया है। मंगलवार को यह याचिका बर्दवान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेश दास ने लगाई है। उनके मुताबिक, यूजीसी एक्ट में अंतरिम कुलपति नियुक्त करने का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम में कुलपति की अनुपस्थिति में एक अंतरिम कुलपति का प्रावधान है, लेकिन उसे कोई शक्तियां नहीं दी गई हैं। इस मामले में शिक्षा मंत्री या शिक्षा विभाग की अनुमति लेनी होती है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, राज्यपाल के फैसले से वर्तमान में राज्य में लगभग 13 अंतरिम कुलपति नियुक्त किये गये हैं जो यूनिवर्सिटी को लेकर कई फैसले ले रहे हैं। वे बैठकें कर रहे हैं और वित्तीय निर्णय भी ले रहे हैं जो पूरी तरह से अवैध हैं।
मामले पर मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम ने कहा कि चूंकि मामला शीर्ष अदालत में लंबित है, इसलिए निपटान के बाद ही इस पर सुनवाई होगी।
संयोग से सुप्रीम कोर्ट पहले ही कुलपति की नियुक्ति के मामले में राज्यपाल सह कुलपति को पक्षकार बनाने का आदेश दे चुका है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सूर्यकांत बेनचर ने कहा कि कुलपति नियुक्ति बहस में सभी पक्षों को पक्षकार बनना चाहिए।
