योग शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को जोड़ने की अद्भुत कला : हंस राय

योग ही एकमात्र ऐसा उपाय है जिसके माध्यम से विश्व वसुधैव कुटुंबकम् के आदर्श को साकार किया जाता है। योग से सभी प्रकार के भेदभाव को मिटाकर सम्पूर्ण विश्व को एक करने की अद्भुत क्षमता है। योग शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा को जोड़ने की अद्भुत कला है। सच्चा आनंद हमारे शरीर, मन और बुद्धि की स्वस्थता पर निर्भर करता है।
यह बातें भारतीय योग संस्थान के पदाधिकारी हंस कुमार राय ने रनिंग कर्मचारियों के लिए आयोजित दो दिवसीय विशेष योग प्रशिक्षण शिविर में कही। उन्होंने योग की सूक्ष्म जानकारी एवं दैनिक जीवन में योग के महत्व एवं लाभ के बारे में सभी को अवगत कराया। बताया कि योग केवल व्यायाम नहीं अपितु जीवन जीने की कला है। जिससे मनुष्य का सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, मनोवैज्ञानिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक उन्नति एवं सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होने से संपूर्ण समाज एवं विश्व का कल्याण सम्भव होता है। मानव को सुख शांति एवं स्वस्थ रहने का रास्ता दिखाने के लिए योग एक सशक्त माध्यम है। योग सुन्दर व्यवस्थित जीवन जीने एवं व्यक्तित्व को निखारने की अद्भुत कला है।
जनसम्पर्क अधिकारी अमित कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि मण्डल रेल प्रबंधक हिमांशु बडोनी की प्रेरणा एवं मार्ग निर्देशन में मण्डल सभागार में 26 जून से प्रातः 6 बजे से 7.15 बजे तक नियमित योग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। रनिंग कर्मचारियों के लिए आयोजित दो दिवसीय विशेष योग प्रशिक्षण शिविर में भारतीय योग संस्थान, प्रयागराज के क्षेत्रीय प्रधान राजन श्रीवास्तव, क्षेत्रीय मंत्री हंस कुमार राय एवं वरि साधक गौतमशील के नेतृत्व में प्रयागराज मण्डल के अपर मण्डल रेल प्रबंधक परिचालन अजय कुमार राय, वरि मण्डल कार्मिक अधिकारी मनीष कुमार खरे, वरिष्ठ मण्डल बिजली इंजीनियर परिचालन प्रदीप शर्मा एवं सहायक बिजली इंजीनियर परिचालन रितेश ललवानी, मुख्य नियंत्रक वासुदेव पाण्डेय के निर्देशन में सैकड़ों की संख्या में उपस्थित लोको पायलट एवं उनके परिवार के सदस्यों ने भाग लेकर योग का लाभ उठाया एवं लाभान्वित हुए।
उन्होंने योग के बारे में बताया कि सरक्षा से जुड़े लोको पायलटों के लिए योग विशेष जरूरी है। क्योंकि उनकी ड्यूटी संरक्षा एवं सुरक्षा से जुड़ी हुई है। जिन पर सभी रेलयात्रियों की जिंदगी एवं सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी होती है। यदि उन्हें उचित माहौल देकर उनके भीतर से असुरक्षा, डर, तनाव, भय, अवसाद एवं अन्य मानसिक बीमारियों को दूर कर दिया जाए तथा उचित माहौल दिया जाए तो उनमें निडरता, एकाग्रता, धैर्य, सहनशीलता, शांति, सहजता एवं समभाव पैदा होगा तथा वह अतिरिक्त ऊर्जावान होकर पूर्ण मनोयोग से अपना कार्य निष्पादन सफलतापूर्वक संपादित कर सकते हैं।
