बच्चों में ज्ञानार्जन सुनिश्चित करने की महत्वपूर्ण भूमिका अध्यापक की : प्रो राजीव शर्मा

पतंजलि विद्यालय समूह एवं स्वराज विद्यापीठ के तत्वावधान में “बदलते संदर्भ में स्कूलः चुनौतियां और संभावित समाधान” विषय पर चार दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता आई.आई.एम के पूर्व आचार्य प्रो. राजीव शर्मा ने कहा कि बच्चे विद्यालयी शिक्षा का केंद्र होते हैं और बच्चों में ज्ञानार्जन सुनिश्चित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अध्यापक की ही होती है। उन्होंने प्रतिभागियों को विश्वास, रिश्ते, टीम वर्क जैसे गुणों के निर्माण के विषय में जानकारी दी।
पतंजलि नर्सरी स्कूल में 29 जून से 2 जुलाई तक चले कार्यशाला में प्रोफेसर आर.सी. त्रिपाठी ने शिक्षा में बदलाव पर चर्चा करते हुए कहा कि आज शिक्षा तथा समाज के बदलते स्वरूप और भारतीय शिक्षा प्रणाली को देखते हुए इस पर गम्भीर विमर्श की जरूरत है। क्योंकि हमारी मानवता ने मात्र अंतर करना सीखा है और इस अंतर को कम करना है तो विद्यालय को संरक्षक की भूमिका में आना होगा।
चार दिवसीय कार्यशाला के दौरान ‘वर्तमान समय में स्कूलों के उद्देश्य एवं दृष्टि’, ‘स्कूल और समुदाय’, ‘बच्चे कैसे सीखते हैं ?’, ‘बदलते संदर्भ में स्कूल’, ‘सूचना प्रौद्योगिकी वरदान है या अभिशाप ?’ व ‘समुदाय, माता-पिता और स्कूल’ जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा अनेक गतिविधियों के माध्यम से की गई।
पतंजलि विद्यालय समूह की सचिव डॉ कृष्णा गुप्ता ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए, जितना कार्य हमें विद्यालय में बच्चों, शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापक के साथ करने की जरूरत होती है, उतने ही कार्य की जरूरत हमें अभिभावकों एवं समुदाय के साथ करने की भी होती हैं। पतंजलि विद्यालय समूह के प्रबंधन समिति के सदस्य रेखा वैद एवं यशोवर्धन ने कहा कि विद्यालय एवं समुदाय के बीच जितना ज़्यादा संवाद स्थापित होगा, विद्यालयों एवं बच्चों के व्यक्तित्व में बदलाव उतना ही प्रासंगिक होगा।
प्रधानाचार्य नित्यानंद सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि शिक्षा जगत में आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है। क्योंकि शिक्षा में बदलाव लाकर ही किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास तथा सामंजस्यपूर्ण व्यवस्था स्थापित की जा सकती है। इस अवसर पर पतंजलि विद्यालय की प्रधानाचार्या अल्पना डे, नित्यानंद सिंह, माधुरी श्रीवास्तव, शिक्षकगण एवं शहर के अन्य विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के शिक्षाविद् मौजूद रहे।
