• December 3, 2025

भारतीय रेलवे में में केवल हलाल मीट परोसने पर मच गया बवाल, जाने पूरी खबर

भारतीय रेलवे (Indian Railways) की खानपान सेवाओं में केवल हलाल मीट (Halal Meat) परोसे जाने की शिकायत ने एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC – National Human Rights Commission) ने हस्तक्षेप किया है। शिकायतकर्ता ने गंभीर आरोप लगाया है कि केवल एक विशेष तरीके से तैयार किया गया मांस परोसने से हिंदू, सिख और अनुसूचित जाति के लोगों के मानवाधिकारों (Human Rights) का हनन होता है। इसके साथ ही, मीट व्यापारियों के लिए रेलवे में खाद्य आपूर्ति के व्यापार का समान अवसर (equal opportunity) भी बाधित होता है। इस संजीदा मामले का संज्ञान लेते हुए, NHRC ने रेलवे बोर्ड (Railway Board) के अध्यक्ष को तत्काल नोटिस जारी किया है और उन्हें दो सप्ताह के भीतर इस संबंध में उठाई गई कदमों की विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट (Action Taken Report – ATR) पेश करने का निर्देश दिया है। यह विवाद धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं से जुड़ा होने के कारण रेलवे प्रशासन पर नीतिगत स्पष्टीकरण देने का दबाव बढ़ गया है।

केवल हलाल मीट परोसने पर उठे मानवाधिकार हनन के सवाल

भारतीय रेलवे की खानपान सेवाओं, विशेषकर लंबी दूरी की ट्रेनों में, केवल हलाल मीट परोसे जाने को लेकर पहले भी सार्वजनिक बहस होती रही है। इस बार, यह विवाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दरवाज़े तक पहुंच गया है। NHRC को मिली शिकायत में स्पष्ट रूप से यह आरोप लगाया गया है कि चूंकि केवल हलाल तरीके से तैयार किया गया मीट ही परोसा जाता है, इससे उन यात्रियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है जो धार्मिक या सांस्कृतिक कारणों से हलाल मीट का सेवन नहीं करते। शिकायतकर्ता ने यह भी उल्लेख किया है कि इससे उन मीट व्यापारियों को रेलवे में खाद्य आपूर्ति का समान अवसर नहीं मिल पाता जो ‘झटका’ या अन्य तरीकों से मीट की आपूर्ति करते हैं। यह मुद्दा भारत के विविध धार्मिक ताने-बाने और सभी नागरिकों के प्रति समान व्यवहार सुनिश्चित करने के संवैधानिक दायित्व के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

NHRC का तत्काल हस्तक्षेप: रेलवे बोर्ड अध्यक्ष को दो सप्ताह का अल्टीमेटम

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस शिकायत की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई की है। आयोग ने तत्काल प्रभाव से रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को एक नोटिस जारी किया है। नोटिस में स्पष्ट रूप से यह निर्देश दिया गया है कि रेलवे प्रशासन इस पूरे मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करे और दो सप्ताह की समय सीमा के भीतर आयोग को अपनी कार्रवाई रिपोर्ट (ATR) सौंपे। यह कदम NHRC द्वारा नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा और यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि देश के सबसे बड़े सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क में खानपान सेवाओं के नाम पर किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव न हो। आयोग की यह कार्रवाई रेलवे बोर्ड पर दबाव बनाती है कि वह या तो अपनी वर्तमान नीति को स्पष्ट करे, या फिर सभी समुदायों की संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए अपनी खानपान नीति में आवश्यक सुधार करे।

हलाल सर्टिफिकेशन: अनिवार्यता पर अस्पष्टता और रेलवे की पूर्व स्थिति

इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) ने पूर्व में यह स्पष्ट किया था कि किसी भी खाद्य पदार्थ के लिए ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ अनिवार्य (mandatory) नहीं है। इसके बावजूद, रेलवे में केवल हलाल मीट परोसे जाने को लेकर सार्वजनिक बहस और शिकायतें समय-समय पर सामने आती रही हैं। रेलवे प्रशासन का दावा रहा है कि वे सभी यात्रियों की धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं का सम्मान करते हैं। हालांकि, NHRC की इस ताज़ा नोटिस के बाद रेलवे बोर्ड को अब इस अस्पष्टता को दूर करते हुए एक स्पष्ट कार्रवाई और नीति के साथ जवाब देना होगा। यह विवाद न केवल यात्रियों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि यह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में व्यापार के समान अवसर (Level Playing Field) के सिद्धांत को भी छूता है। इसलिए, रेलवे प्रशासन के सामने अब सभी हितधारकों की चिंताओं को दूर करने की एक बड़ी चुनौती है।

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Rama Niwash Pandey

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