• October 14, 2025

सोने की कीमतों में उछाल: क्या शेयर बाजार में आएगी भारी गिरावट? ‘निक्सन शॉक’ जैसे हालात की आशंका

पिछले कुछ महीनों से सोने की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने का भाव नई ऊंचाइयों को छू रहा है, और भारत में भी सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रही हैं। इस बीच, शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ रही है, और निवेशकों के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह सोने की तेजी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट का संकेत है? कुछ विशेषज्ञ तो इसे 1971 के ‘निक्सन शॉक’ जैसे हालात से भी जोड़कर देख रहे हैं। आखिर क्या है यह माजरा? आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।सोने की कीमतों में तेजी का कारणसोना हमेशा से ही निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है। जब आर्थिक अनिश्चितता बढ़ती है, लोग शेयर बाजार या अन्य जोखिम वाले निवेशों से हटकर सोने में पैसा लगाना पसंद करते हैं। हाल के महीनों में वैश्विक स्तर पर कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने निवेशकों का भरोसा डगमगाया है।

  1. वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका: दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं, जैसे अमेरिका और यूरोप, मंदी के कगार पर हैं। ब्याज दरों में बढ़ोतरी, महंगाई, और आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटों ने आर्थिक विकास को प्रभावित किया है। ऐसे में निवेशक जोखिम से बचने के लिए सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
  2. भू-राजनीतिक तनाव: रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व में अस्थिरता, और कुछ अन्य क्षेत्रों में तनाव ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी है। ऐसी स्थिति में सोना एक ‘सुरक्षित पनाहगाह’ के रूप में उभरता है।
  3. मुद्रा का अवमूल्यन: अमेरिकी डॉलर सहित कई प्रमुख मुद्राओं की कीमत में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। सोने की कीमतें आमतौर पर डॉलर के उलट चलती हैं। जब डॉलर कमजोर होता है, सोने की मांग बढ़ती है।

भारत में भी सोने की मांग बढ़ रही है, क्योंकि लोग इसे न केवल निवेश के रूप में, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक कारणों से भी खरीदते हैं। त्योहारों और शादी के मौसम के करीब आने से भी सोने की मांग में इजाफा हुआ है।शेयर बाजार पर क्या होगा असर?सोने की कीमतों में तेजी अक्सर शेयर बाजार के लिए अच्छा संकेत नहीं मानी जाती। जब निवेशक सोने में पैसा लगाते हैं, तो वे शेयरों और अन्य जोखिम वाले निवेशों से दूरी बनाते हैं। इससे शेयर बाजार में बिकवाली बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है।हाल के हफ्तों में भारतीय शेयर बाजार, जैसे सेंसेक्स और निफ्टी, में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है। वैश्विक संकेतों के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ रहा है। अगर सोने की कीमतें और ऊपर जाती हैं, तो यह निवेशकों के बीच डर को और बढ़ा सकती है, जिससे बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका बढ़ रही है।‘निक्सन शॉक’ क्या था?कुछ विशेषज्ञ इस स्थिति को 1971 के ‘निक्सन शॉक’ से जोड़कर देख रहे हैं।

1971 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने एक बड़ा फैसला लिया था। उन्होंने घोषणा की थी कि अमेरिकी डॉलर को सोने से सीधे जोड़ने वाली व्यवस्था (गोल्ड स्टैंडर्ड) को खत्म किया जाएगा। इसका मतलब था कि अब डॉलर की कीमत सोने के आधार पर तय नहीं होगी। इस फैसले से वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारी उथल-पुथल मच गई थी।‘निक्सन शॉक’ के बाद सोने की कीमतों में भारी उछाल आया, और शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट देखी गई। मुद्राओं का अवमूल्यन हुआ, और महंगाई बढ़ गई। विशेषज्ञों का कहना है कि आज की स्थिति कुछ हद तक उस समय की तरह है, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था फिर से अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है।क्या वाकई ‘निक्सन शॉक’ जैसी स्थिति बन रही है?हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि मौजूदा हालात ‘निक्सन शॉक’ जैसे हो सकते हैं, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह तुलना पूरी तरह सही नहीं है। आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था उस समय से कहीं अधिक जटिल और एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। केंद्रीय बैंक, जैसे अमेरिकी फेडरल रिजर्व और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, के पास अब बेहतर नीतियां और उपकरण हैं, जिनसे वे आर्थिक संकट को नियंत्रित कर सकते हैं।फिर भी, सोने की कीमतों में तेजी और शेयर बाजार में अस्थिरता चिंता का विषय है। अगर वैश्विक आर्थिक स्थिति और बिगड़ती है, तो शेयर बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।निवेशकों को क्या करना चाहिए?ऐसे समय में निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

  1. पोर्टफोलियो में विविधता: अपने निवेश को केवल शेयर बाजार तक सीमित न रखें। सोना, बॉन्ड, और अन्य सुरक्षित निवेश विकल्पों में भी पैसा लगाएं।
  2. जानकारी रखें: वैश्विक और भारतीय आर्थिक खबरों पर नजर रखें। ब्याज दरों, महंगाई, और भू-राजनीतिक घटनाओं का बाजार पर बड़ा असर पड़ता है।
  3. लंबी अवधि का नजरिया: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य है। अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो छोटी अवधि की गिरावट से घबराने की जरूरत नहीं है।
  4. विशेषज्ञ की सलाह: अगर आप समझ नहीं पा रहे हैं कि कहां निवेश करें, तो किसी वित्तीय सलाहकार से बात करें।

निष्कर्षसोने की कीमतों में तेजी और शेयर बाजार में अस्थिरता निश्चित रूप से निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। हालांकि ‘निक्सन शॉक’ जैसे हालात की आशंका को पूरी तरह सच मानना जल्दबाजी होगी, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है। निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को संतुलित रखना चाहिए और बाजार की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए। यह समय धैर्य और समझदारी से फैसले लेने का है।

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Rama Niwash Pandey

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