• November 13, 2025

मलेशिया तट पर रोहिंग्या नाव हादसा: 300 प्रवासियों में से सैकड़ों लापता, 7 शव बरामद; बचाव अभियान जारी

10 नवंबर 2025, कुआलालंपुर: म्यांमार से मलेशिया की ओर बढ़ रही एक नाव के डूबने से हिंद महासागर में भयानक त्रासदी हो गई, जहां रोहिंग्या प्रवासियों की जिंदगियां दांव पर लग गईं। थाईलैंड-मलेशिया सीमा के पास पलटी नाव में सैकड़ों लोग सवार थे, लेकिन देरी से मिली सूचना ने हालात और बिगाड़ दिए। मलेशियाई अधिकारियों ने रविवार को बताया कि 10-13 लोग बचाए गए, जबकि 7 शव मिल चुके हैं—जिनमें बच्चे और महिलाएं शामिल। बाकी सैकड़ों लापता। यह घटना रोहिंग्या संकट की कड़वी हकीकत उजागर करती है, जहां उत्पीड़न से भागे लोग खतरनाक समुद्री रास्तों पर जुआ खेल रहे। क्या बचाव टीमें समय पर और जिंदगियां बचा पाएंगी? या यह हादसा प्रवासी गिरोहों की साजिशों का नतीजा है? इस रिपोर्ट में हम खोलेंगे हादसे की परतें।

हादसे का काला अध्याय: म्यांमार से लंगकावी तक का खतरनाक सफर

म्यांमार के रखाइन राज्य के बुथीदांग से करीब तीन दिन पहले रवाना हुई नाव थाईलैंड के को तारुटाओ द्वीप के पास पलट गई, जो मलेशिया के लंगकावी से महज कुछ किलोमीटर दूर है। मलेशियाई समुद्री प्रवर्तन एजेंसी (MMEA) के प्रथम एडमिरल रोमली मुस्तफा ने बताया कि नाव पर करीब 300 रोहिंग्या प्रवासी सवार थे, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बांग्लादेशी भी शामिल। शनिवार को मछुआरों ने समुद्र में तैरते 10-13 लोगों को बचाया, जिनमें 11 रोहिंग्या और 2 बांग्लादेशी थे। रविवार तक मौत का आंकड़ा 7-11 पहुंच गया, जिसमें 2 बच्चे (10-12 साल) और 6 महिलाएं शामिल। एक शव म्यांमार की महिला का था। घटना की सूचना देरी से मिली, क्योंकि नाव पर सिग्नल कमजोर थे और तस्करों ने मौन साध रखा। थाई और मलेशियाई नौसेनाओं ने हवाई और समुद्री खोज शुरू की, लेकिन खराब मौसम बाधा। यह रास्ता रोहिंग्या का जाना-पहचाना ‘डेथ ट्रैक’ है, जहां तस्कर असुरक्षित नावों पर हजारों डॉलर वसूलते हैं।

रोहिंग्या का पीड़ा भरा सफर: उत्पीड़न से समुद्र की चपेट तक

रोहिंग्या मुसलमान, म्यांमार में दशकों से उत्पीड़न झेल रहे, 2017 के सैन्य दमन के बाद बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों में जी रहे हैं—करीब 13 लाख। म्यांमार में उन्हें नागरिकता नहीं, हिंसा रोजमर्रा। मलेशिया में रिश्तेदारों की उम्मीद पर वे समुद्र पार करते हैं, लेकिन तस्कर गिरोह शोषण करते हैं। यूएनएचसीआर के आंकड़ों से, जनवरी से नवंबर तक 5,100 रोहिंग्या समुद्री यात्रा पर निकले, जिनमें 600 लापता या मृत। इस हादसे में नाव तीन में से एक थी—अन्य दो पर 230 लोग, अभी लापता। बचाए गए रोहिंग्या ने बताया कि नाव ओवरलोडेड थी, इंजन फेल हो गया। मलेशिया ने मानवीय आधार पर रोहिंग्या स्वीकारे हैं (1.17 लाख रजिस्टर्ड), लेकिन अवैध प्रवेश पर सख्ती। पुलिस चीफ अद्जली अबू शाह ने चेताया कि सीमा पार गिरोह सक्रिय हैं। यह घटना 2021 के 20 मौत वाले हादसे की याद दिलाती, जहां मलेशिया ने नावें धकेल दीं।

बचाव की जंग और सबक: सैकड़ों लापता, वैश्विक अपील

मलेशिया-थाईलैंड ने संयुक्त बचाव अभियान तेज किया—हेलीकॉप्टर, पेट्रोल बोट्स और ड्रोन्स तैनात। लंगकावी में प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोमली ने कहा, “हवाई संसाधन लगाए, लेकिन सटीक लोकेशन अनिश्चित।” रविवार तक 13 जीवित बचाए, लेकिन 200+ लापता। यूएनएचसीआर के बाबर बालोच ने विवरण सत्यापित करने को कहा, अपील की कि तस्करों पर कार्रवाई हो। म्यांमार की सिविल वॉर (2021 कूप के बाद) ने रोहिंग्या संकट गहराया, बांग्लादेश कैंपों में हालत बदतर। विशेषज्ञ कहते हैं, अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी—तस्कर नेटवर्क तोड़ना, सुरक्षित रास्ते बनाना। मलेशिया ने चेतावनी दी कि अवैध यात्रा घातक। अगर बाकी नावें मिलीं, तो आंकड़े बदल सकते, लेकिन फिलहाल आशा की किरणें कम। यह हादसा मानव तस्करी के वैश्विक खतरे को उजागर करता, जहां रोहिंग्या की जिंदगियां दांव पर।
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Rama Niwash Pandey

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