• November 19, 2025

बांग्लादेश में आगजनी और बम धमाकों का सिलसिला: शेख हसीना के फैसले से पहले ढाका किले में तब्दील

बांग्लादेश (Bangladesh) में राजनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के मामले में 17 नवंबर को आने वाले फैसले ने पूरे देश को दहला दिया है। राजधानी ढाका (Dhaka) में बम धमाके, आगजनी और प्रदर्शनों ने शहर को युद्ध क्षेत्र जैसा बना दिया, जबकि अवामी लीग (Awami League) ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी। दर्जनों बसें जल चुकीं, सरकारी भवनों पर हमले हुए और सुरक्षा बलों ने सख्ती बरती। विपक्षी दलों की आक्रामकता और अंतरिम सरकार की चेतावनी ने माहौल को और गरमा दिया। लेकिन आखिर यह हिंसा क्यों भड़की? क्या यह राजनीतिक साजिश का हिस्सा है? तो चलिए जानते हैं पूरा मामला क्या है, विस्तार से…

2024 के आंदोलन से उपजी राजनीतिक अस्थिरता

बांग्लादेश (Bangladesh) की राजनीति लंबे समय से अस्थिर रही है, लेकिन 2024 का छात्र-नेतृत्व वाला आंदोलन एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। जुलाई-अगस्त 2024 में कोटा सुधार की मांग से शुरू हुए प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों की कथित क्रूर कार्रवाई में 1,400 से अधिक लोग मारे गए। इस हिंसा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) की सरकार को उखाड़ फेंका, और 5 अगस्त 2024 को उनका अचानक इस्तीफा हो गया। हसीना भारत (India) भाग आईं, जहां वे अब निर्वासन में हैं। इसके बाद मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी, जिसने इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (International Crimes Tribunal) के जरिए हसीना और उनके सहयोगियों पर मानवता विरोधी अपराधों के आरोप लगाए। 2024 के दंगों में हत्या, जबरन गायब करने और अत्यधिक बल प्रयोग के आरोप हैं। फैसले की तारीख नजदीक आने से अवामी लीग (Awami League) के समर्थक सड़कों पर उतर आए, जबकि विपक्षी दल जैसे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया। यह पृष्ठभूमि अब हिंसा का आधार बन चुकी है, जो फरवरी 2026 के आम चुनावों को प्रभावित कर सकती है।

बम विस्फोटों और आगजनी की लहर ने थर्राया देश

13-14 नवंबर 2025 को बांग्लादेश (Bangladesh) में हिंसा चरम पर पहुंच गई, जब ढाका (Dhaka) और अन्य शहरों में 32 से अधिक क्रूड बम धमाके हुए। दर्जनों बसें और वाहन जला दिए गए, सार्वजनिक परिवहन ठप हो गया। ढाका एयरपोर्ट (Dhaka Airport) के पास गुरुवार रात दो बम फटे, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ। अवामी लीग (Awami League) के मुख्यालय पर हमला हुआ, और गोपालगंज (Gopalganj) जिले में सरकारी दफ्तर पर फायरबॉम्ब फेंका गया। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कीं, पथराव किया, जिससे सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। ढाका विश्वविद्यालय (Dhaka University) के आसपास भी विस्फोट हुए। अंतरिम सरकार ने इसे फासीवादी साजिश करार दिया, जबकि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं जहां बसें जलती नजर आ रही हैं। यह हिंसा 2024 के दंगों की याद दिला रही है, जहां सैकड़ों मौतें हुई थीं। विशेषज्ञों का मानना है कि अवामी लीग (Awami League) का लॉकडाउन कॉल इस उग्रता को भड़का रहा है, जो अब पूरे देश में फैल चुका है।

सुरक्षा बलों की सख्ती, दलों की बयानबाजी

हिंसा के बाद अंतरिम सरकार ने हाई अलर्ट जारी किया। ढाका (Dhaka) में 400 से अधिक पैरामिलिट्री जवान तैनात किए गए, चेकपॉइंट लगाए गए और सार्वजनिक परिवहन की जांच शुरू हुई। पुलिस ने 44 अवामी लीग (Awami League) कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया, साथ ही नारायंगंज (Narayanganj) में 29 अन्य को हिरासत में लिया। ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्नर शेख मोहम्मद सज्जात अली (Sheikh Mohammad Sajjat Ali) ने कहा, शहरवासी अवामी लीग (Awami League) की तोड़फोड़ के खिलाफ खड़े होंगे। अभियोजन पक्ष ने हसीना के खिलाफ मृत्युदंड की मांग की, जिसमें पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान (Asaduzzaman Khan) और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्लाह अल-मामुन (Chowdhury Abdullah Al-Mamun) भी आरोपी हैं। अवामी लीग (Awami League) ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया और 16-17 नवंबर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा की। BNP के रहुल कबीर रिजवी अहमद (Ruhul Kabir Rizvi Ahmed) ने कहा, हसीना भारत (India) से साजिश रच रही हैं। जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) ने सड़क पर उतरने का ऐलान किया। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर भारत (India), नजर रखे हुए है।

फैसले का इंतजार, चुनावों पर साया

15 नवंबर 2025 तक बांग्लादेश (Bangladesh) का माहौल नाजुक बना हुआ है। ढाका (Dhaka) में स्कूल ऑनलाइन हो गए, सार्वजनिक परिवहन सीमित है और प्रमुख स्थलों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई। इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (International Crimes Tribunal) 17 नवंबर को फैसला सुनाएगा, लेकिन अंतिम निर्णय एक सप्ताह बाद आ सकता है। हिंसा जारी है, और विशेषज्ञों का कहना है कि यह फरवरी 2026 के चुनावों को प्रभावित कर सकता है। मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) ने ट्रिब्यूनल को निष्पक्ष बताया, जबकि हसीना के बेटे सजीब वाजेद (Sajeeb Wazed) ने समावेशी चुनाव की मांग की। सोशल मीडिया पर एकजुटता के संदेश वायरल हैं, लेकिन तनाव बरकरार है। अंतरराष्ट्रीय निगाहें बांग्लादेश (Bangladesh) पर हैं, क्योंकि यह निर्णय क्षेत्रीय स्थिरता को हिला सकता है। फिलहाल, शांति की उम्मीद के बीच सतर्कता बरती जा रही है।
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Rama Niwash Pandey

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