• October 14, 2025

बलिया कोर्ट का सख्त फैसला: मजदूरों पर हमले के मामले में रिटायर्ड जवान को 5 साल की सजा

बलिया, 16 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की एक अदालत ने एक गंभीर मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। यहां के जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार झा ने एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी को दोषी ठहराते हुए पांच साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला पांच साल पुराना है, जिसमें आरोपी पर एक मजदूर और उसके भतीजे पर जानलेवा हमला करने का आरोप था। कोर्ट ने आरोपी पर एक लाख ग्यारह हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अगर जुर्माना न चुकाया गया, तो अतिरिक्त छह माह की जेल की सजा भुगतनी पड़ेगी।यह घटना बलिया जिले के एक छोटे से इलाके में घटी थी, जहां मजदूरों का एक समूह काम पर लगा हुआ था। आरोपी, जिनका नाम रामप्रकाश सिंह है, आर्मी से रिटायर हो चुके थे और स्थानीय स्तर पर रहते थे। पुलिस के अनुसार, 2020 में एक निर्माण स्थल पर मजदूरों के साथ विवाद हो गया था। रामप्रकाश सिंह को लगता था कि मजदूरों ने उनके खेत की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है। गुस्से में आकर उन्होंने लाठियों और हथियारों से लैस होकर हमला कर दिया। पीड़ित मजदूर रामलाल और उनका भतीजा राजू गंभीर रूप से घायल हो गए थे। दोनों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, जहां उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने काफी मेहनत की।रामलाल, जो एक गरीब मजदूर हैं, ने बताया कि वह और उनका परिवार दिहाड़ी मजदूरी करके गुजारा करते हैं।
“हम बस अपना काम कर रहे थे। अचानक वह आदमी आया और बिना वजह गुस्सा हो गया। हम पर लाठियां बरसाईं। अगर पड़ोसी न बचाते तो हमारी जान जा सकती थी।” रामलाल की आवाज में आज भी दर्द झलकता है। उनका भतीजा राजू, जो उस समय सिर्फ 18 साल का था, अब भी चोट के असर से जूझ रहा है। वह कहता है, “मैं पढ़ना चाहता था, लेकिन इस घटना के बाद सब कुछ बदल गया। अब मजदूरी ही करता हूं।”पुलिस ने घटना की रिपोर्ट दर्ज करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार किया था। लेकिन मुकदमे की सुनवाई में कई साल लग गए। अभियोजन पक्ष के वकील ने कोर्ट में गवाहों के बयान पेश किए। मजदूरों के अलावा कई ग्रामीणों ने भी गवाही दी कि उन्होंने हमले को अपनी आंखों से देखा था। डॉक्टरों की रिपोर्ट में भी साफ लिखा था कि चोटें जानलेवा हो सकती थीं। दूसरी तरफ, आरोपी के वकील ने बचाव में कहा कि यह सिर्फ जमीन विवाद था और कोई जानबूझकर हमला नहीं हुआ। उन्होंने रामप्रकाश के आर्मी बैकग्राउंड का हवाला देकर दया की गुहार लगाई। लेकिन कोर्ट ने सबूतों के आधार पर आरोपी को हत्या के प्रयास का दोषी माना।जज अनिल कुमार झा ने फैसले में कहा, “कानून सबके लिए बराबर है।
चाहे कोई सैन्यकर्मी हो या आम नागरिक, अपराध करने पर सजा तो मिलनी ही चाहिए। यह फैसला समाज में न्याय की मिसाल बनेगा।” कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि आरोपी को सजा देने से पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा और भविष्य में ऐसे अपराध रुकेंगे।यह फैसला सुनते ही कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया। आरोपी के परिवार वाले रोने लगे। रामप्रकाश की पत्नी ने कहा, “मेरा पति ने देश की सेवा की है। अब बुढ़ापे में जेल जाना पड़ेगा।” लेकिन पीड़ित पक्ष खुश था। रामलाल ने कहा, “आखिरकार न्याय मिला। अब हम डर के बिना जी सकेंगे।”बलिया के पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि यह केस भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 (हत्या का प्रयास) के तहत दर्ज था। एसपी ने कहा, “हमारी पुलिस ने पूरी ईमानदारी से जांच की। कोर्ट का फैसला अपराधियों के लिए चेतावनी है।” उन्होंने जिले में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार प्रयासरत रहने की बात कही।यह घटना उत्तर प्रदेश में बढ़ते जमीन विवादों की याद दिलाती है। बलिया जैसे ग्रामीण इलाकों में अक्सर छोटे-मोटे झगड़े हिंसा में बदल जाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। स्थानीय पंचायतें और प्रशासन मिलकर ऐसे विवादों को सुलझा सकते हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया, “मजदूरों को अक्सर निशाना बनाया जाता है क्योंकि वे कमजोर होते हैं। ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।”रामप्रकाश सिंह को कोर्ट के फैसले के बाद जेल भेज दिया गया। उनका परिवार अब अपील की तैयारी कर रहा है। हाईकोर्ट में यह मामला जा सकता है। लेकिन फिलहाल, बलिया के लोग इस फैसले से न्याय की उम्मीद बांधे हुए हैं। यह घटना बताती है कि कानून की नजर में कोई भी व्यक्ति ऊंचा या नीचा नहीं। सैन्य सेवा का सम्मान तो है, लेकिन अपराध माफ नहीं किया जा सकता।इस मामले ने पूरे जिले में चर्चा छेड़ दी है। सोशल मीडिया पर लोग अपनी राय दे रहे हैं। कुछ कहते हैं कि सजा सही है, तो कुछ पूर्व सैनिकों के सम्मान की बात कर रहे हैं। लेकिन एक बात साफ है कि न्याय व्यवस्था मजबूत हो रही है। पीड़ित मजदूरों को अब सहायता देने के लिए जिला प्रशासन ने कदम उठाए हैं। उन्हें मुआवजा और चिकित्सा मदद का वादा किया गया है।
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Rama Niwash Pandey

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