जेल में बंद IAS विनय चौबे को झटका: ACB ने पत्नी, ससुर, साले तक को घेरा, नई FIR से हड़कंप!
25 नवंबर 2025, रांची: वह IAS जिसने कभी झारखंड के बड़े-बड़े विभाग संभाले, आज बिरसा मुंडा जेल की सलाखों के पीछे है। निलंबित अधिकारी विनय कुमार चौबे की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। सोमवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने तगड़ा वार किया – चौबे के साथ उनकी पत्नी, ससुर, दोनों साले-सालियाँ और करीबी सहयोगी तक को आरोपी बना दिया। आरोप इतने गंभीर कि पूरा प्रशासनिक गलियारा सन्न है। अवैध कमीशन, काली कमाई को रिश्तेदारों के नाम छिपाना और आय से सैकड़ों गुना ज्यादा संपत्ति। अब सवाल यह कि क्या इस बार चौबे परिवार की सारी दौलत जब्त हो जाएगी? कौन हैं विनय कुमार चौबे?झारखंड कैडर के 2011 बैच के IAS विनय कुमार चौबे कभी राज्य के सबसे ताकतवर अफसरों में गिने जाते थे। लेकिन मई 2025 में नई शराब नीति में 38 करोड़ के घोटाले के आरोप में ED ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। तब से वे न्यायिक हिरासत में हैं। उन पर हजारीबाग खासमहल जमीन घोटाला, वन भूमि घोटाला, मनरेगा फंड में गबन और अपराधियों से साँठ-गाँठ जैसे गंभीर आरोप हैं। 2008-2010 के दौरान जमीन के अवैध सौदों में भी उनका नाम आया था। राज्य सरकार ने उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया। अब ACB की नई FIR ने साबित कर दिया कि उनकी काली कमाई सिर्फ खुद तक सीमित नहीं थी – पूरा परिवार इसमें शामिल था।
पत्नी, ससुर, साले-सालियाँ तक फँसे, 8 लोग आरोपी24 नवंबर 2025 क ACB रांची ने थाना कांड संख्या 20/2025 दर्ज किया। आरोपी लिस्ट देखकर हर कोई दंग है:
- विनय कुमार चौबे
- पत्नी स्वप्ना संचिता
- ससुर सत्येन्द्र नाथ त्रिवेदी
- साला शिपिज त्रिवेदी
- साली प्रियंका त्रिवेदी
- सहयोगी विनय कुमार सिंह और उनकी पत्नी स्निग्धा सिंह
मामला भारतीय न्याय संहिता की धारा 49, 61(2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(b) व 13(2) के तहत दर्ज हुआ। आरोप है कि चौबे ने पद का दुरुपयोग कर अकूत संपत्ति बनाई, कमीशन खाया और सारी काली कमाई को परिवार व सहयोगियों के नाम ट्रांसफर कर दिया। ACB का दावा – उनके घरेलू खर्च नाममात्र दिखाए गए, जबकि बैंक खातों में करोड़ों का लेन-देन हुआ।
अब संपत्ति जब्ती और नई गिरफ्तारियाँ तय!
ACB की जांच में चौबे के बैंक खातों, निवेश और जमीन के कागजात खंगाले गए। पता चला कि उनकी घोषित आय से सैकड़ों गुना ज्यादा संपत्ति है। घर का खर्च सालाना सिर्फ कुछ लाख दिखाया गया, जबकि नियम के मुताबिक आय का एक-तिहाई हिस्सा घर चलाने में खर्च होना चाहिए था। पैसे को एक खाते से दूसरे खाते में घुमाकर ट्रेल मिटाने की कोशिश की गई। ACB अधिकारियों का कहना है कि साक्ष्य बेहद ठोस हैं। अब परिवार के सदस्यों से पूछताछ शुरू होने वाली है। सूत्र बता रहे हैं कि जल्द ही कई ठिकानों पर छापेमारी और संपत्ति जब्ती की कार्रवाई हो सकती है। चौबे पहले से जेल में हैं, लेकिन बाकी आरोपी फिलहाल बाहर हैं – देखना यह है कि ACB कब तक उन्हें हिरासत में लेती है। झारखंड की सत्ता और प्रशासन गलियारों में बस एक ही चर्चा है – चौबे केस अब परिवार तक पहुँच गया।