• October 16, 2025

इंदौर ट्रांसजेंडर विवाद: सामूहिक आत्महत्या प्रयास के पीछे बलात्कार का आरोप, कौन जिम्मेदार?

इंदौर, 16 अक्टूबर 2025: इंदौर की सड़कों पर बुधवार रात एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। 24-28 ट्रांसजेंडर ने फिनाइल पीकर सामूहिक आत्महत्या का प्रयास किया, जो एक ट्रांस महिला पर हुए कथित बलात्कार के खिलाफ पुलिस की कथित निष्क्रियता का परिणाम था। अस्पताल के बाहर आग लगाने का भी प्रयास हुआ। यह घटना नंदलालपुरा के ट्रांसजेंडर ‘डेरा’ से शुरू हुई, जहां गुटबाजी, संपत्ति विवाद और यौन शोषण के आरोपों ने आग लगाई। पौराणिक सम्मान से लैस यह समुदाय आज डर और संघर्ष के चक्रव्यूह में फंस गया है। क्या समाज, पुलिस या आंतरिक कलह जिम्मेदार है? यह सवाल न सिर्फ इंदौर, बल्कि पूरे देश के ट्रांसजेंडर अधिकारों को चुनौती दे रहा है। आइए, इस त्रासदी के विभिन्न आयामों को समझते हैं।

बलात्कार का आरोप और पुलिस की ‘निष्क्रियता’: आत्महत्या प्रयास का ट्रिगर

15 अक्टूबर रात करीब 8:30 बजे नंदलालपुरा ‘डेरा’ में दो गुटों – सपना गुरु और पायल गुरु – के बीच विवाद भड़का। लेकिन असली चिंगारी जून 2025 से सुलग रही थी, जब दो व्यक्ति – अक्षय और पंकज (खुद को पत्रकार बताते हुए) – ने एक ट्रांस महिला का यौन शोषण किया और ब्लैकमेल किया। पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस की कथित सुस्ती ने समुदाय को भड़का दिया। नाराजगी चरम पर पहुंची तो 24-28 ट्रांसजेंडरों ने कमरे में बंद होकर फिनाइल पी लिया। दो की हालत गंभीर बताई जा रही है, बाकी MY हॉस्पिटल में स्थिर हैं। अस्पताल के बाहर आग लगाने का प्रयास भी विफल रहा। DCP आनंद कलाद्गी ने कहा, “हमने डेरा का दौरा किया और स्थिति नियंत्रित की। एक आरोपी सपना को हिरासत में लिया, राजा हाशमी फरार है।” बलात्कार के आरोपी अब भी फरार हैं, जिसने समुदाय को ‘न्याय की गुहार’ में धकेल दिया।

गुटबाजी और संपत्ति विवाद: सम्मान से लालच तक का सफर

इंदौर का ट्रांसजेंडर समुदाय, जो द्वापर युग की बृहन्नला जैसी पौराणिक विरासत से जुड़ा है, आज आंतरिक कलह का शिकार है। विवाद मतीन गुरु, लाडीबाई और अनीता गुरु की मौत के बाद उनकी करोड़ों की संपत्ति पर केंद्रित है। नंदलालपुरा से जूनी इंदौर, गायत्री नगर और बापू नगर तक फैला यह क्षेत्र तीन गुटों – सपना, पायल और अन्य – में बंटा है। शहर के विस्तार, महंगी शादियों, मॉल्स और सोसाइटियों ने ‘उपहार’ की मांग को हजारों तक पहुंचा दिया, जो कभी स्वैच्छिक थी। अब यह लालच आपसी हमलों, धमकियों और हंगामों में बदल गया। सनातन परंपरा में शुभ मानी जाने वाली उनकी उपस्थिति अब डर का कारण बन रही है। पुलिस ने गुटबाजी को संपत्ति और जागीरों से जोड़ा, लेकिन यौन शोषण ने इसे हिंसक बना दिया। क्या आर्थिक लालच ने सांस्कृतिक सम्मान को कुचल दिया?

समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी: सख्ती या संवाद की जरूरत?

ट्रांसजेंडर समुदाय का यह संघर्ष समाज की उदासीनता, पुलिस की कथित लापरवाही और आंतरिक कमजोरियों का आईना है। इंदौर पुलिस ने जवाहर मार्ग जाम, थानों पर घेराबंदी और अधिकारियों के पैर पकड़ने जैसे हंगामों का सामना किया। मध्य प्रदेश पुलिस ने 28 को हिरासत में लिया, लेकिन समुदाय का कहना है कि न्याय नहीं मिला तो ‘आत्मदाह’ ही रास्ता है। उत्तर प्रदेश मॉडल की तरह सख्ती की सलाह दी जा रही है, लेकिन विशेषज्ञ संवाद और काउंसलिंग पर जोर देते हैं। सवाल उठता है – क्या समाज पुरानी परंपराओं को भूल रहा है? या समुदाय खुद को अलग-थलग कर रहा है? दीपावली की पूर्व संध्या पर यह घटना खुशियों को काली परछाईं दे गई। अब जरूरी है संवेदनशील जांच, संपत्ति बंटवारे का कानूनी हल और समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ना। अन्यथा, सम्मान अभिशाप बन जाएगा।
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Rama Niwash Pandey

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