अयोध्या में राम ध्वजा का उद्घोष: 500 साल की प्रतीक्षा खत्म, मोदी का वो संदेश जो दिल जीत लेगा25 नवंबर 2025, अयोध्या
सूर्योदय के साथ ही रामनगरी में जय श्रीराम का उद्घोष गूँजने लगा। विवाह पंचमी का पावन मुहूर्त, जहाँ भगवान राम-सीता की शादी की यादें ताजा हो रही थीं। सुबह से ही सड़कें भक्तों की भीड़ से पट गईं, सांस्कृतिक झाँकियाँ और वैदिक मंत्रों की ध्वनि हवा में घुली हुई। फिर आया वो ऐतिहासिक पल – शिखर पर भगवा ध्वजा लहराने लगी। पीएम मोदी हाथ जोड़कर नतमस्तक, आँखें नम। लेकिन उनका संबोधन? वो तो एक नई क्रांति का ऐलान था। गुलामी की जंजीरों से आजादी, रामत्व का पुनरागमन। आखिर ये ध्वजा सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक क्यों बनी? और आने वाली पीढ़ियों को क्या संदेश देगी?
आस्था का सैलाब जो अयोध्या को नहला गया
मंगलवार सुबह अभिजीत मुहूर्त की घड़ी जैसे ही 11:58 बजी, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो उठा। शहर की हर गली से ‘जय श्रीराम’ के नारे गूँज रहे थे, हजारों श्रद्धालु सुबह से जुटे हुए। सात सांस्कृतिक मंचों पर लोक कलाकारों ने रामकथा के प्रसंग जीवंत कर दिए – कथक, भरतनाट्यम से लेकर भक्ति भजनों तक। रामपाठ और भक्ति पथ पर रंग-बिरंगी झाँकियाँ, फूलों की मालाएँ और ढोल-नगाड़ों की थाप ने माहौल को उत्सवी बना दिया। सुरक्षा का कड़ा इंतजाम – ड्रोन निगरानी, भारी पुलिस बल और जोनबंदी ने सबकुछ सुव्यवस्थित रखा। स्थानीय निवासी शंकर दास ने कहा, “ऐसा भव्य दृश्य लंबे अरसे बाद, पूरी अयोध्या रोशनी और आस्था में डूबी हुई लग रही।” विवाह पंचमी होने से राम-सीता विवाह की कथाएँ और भी जीवंत हो गईं। पीएम मोदी का आगमन होते ही स्वागत सत्कार, फिर सप्त मंदिरों का दर्शन – वशिष्ठ, विश्वामित्र, वाल्मीकि समेत आठ मंदिर जो रामायण की विविधता दर्शाते हैं। ये उत्सव सिर्फ ध्वजारोहण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बन गया।
प्रतीकों की वो कहानी जो रामराज्य का संदेश देती है
दोपहर 12 बजे का पल जब इलेक्ट्रिक सिस्टम से 22 फीट लंबी, 11 फीट चौड़ी भगवा ध्वजा शिखर पर लहराई। वैदिक मंत्रोच्चार, शंखनाद और घंटियों की ध्वनि के बीच पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इसे फहराया। ध्वजा पर कोविदार वृक्ष – जो राम के वनवास का प्रतीक, सूर्य चिह्न – सूर्यवंश की शान, और पवित्र ‘ॐ’ – ब्रह्मांड की ध्वनि। 11 किलो की ये ध्वजा मंदिर निर्माण की पूर्णता का ऐलान करती है। मंदिर परिसर में राम दरबार, शेषावतार मंदिर और माता अन्नपूर्णा का दर्शन कर मोदी भाव-विभोर दिखे। श्रद्धालुओं की आँखें नम, क्योंकि ये 500 साल की प्रतीक्षा का फल था। सुप्रीम कोर्ट के 2019 फैसले से लेकर 2024 की प्राण प्रतिष्ठा तक की यात्रा अब इस ध्वजारोहण से पूर्ण हुई। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, “ये यज्ञ की पूर्णाहुति नहीं, नई युग की शुरुआत है।” कार्यक्रम में गवर्नर आनंदीबेन पटेल, योगी और अन्य गरिमामय अतिथि उपस्थित। ये ध्वजा न सिर्फ आध्यात्मिक, बल्कि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बनी, जहाँ जटायु और गिलहरी की मूर्तियाँ छोटे प्रयासों की ताकत दिखाती हैं।
गुलामी की मानसिकता से रामत्व की विजय
ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी का संबोधन जो हर दिल को छू गया। “हमें राम से सीखना चाहिए – राम मर्यादा हैं, सर्वोच्च आदर्श। गुलामी की मानसिकता ने सदियों तक रामत्व को दबाया, लेकिन आज ये ध्वजा उससे मुक्ति का प्रतीक है।” उन्होंने सप्त मंदिरों का जिक्र किया – शबरी, निषादराज, अहल्या से लेकर तुलसीदास तक, जो विविधता में एकता सिखाते हैं। “प्राण जाए पर वचन न जाए, कर्मप्रधान विश्व रचि राखा” – ये संदेश आने वाली पीढ़ियों को भेदभाव से मुक्त समाज की प्रेरणा देंगे। मोदी ने कहा, “पूरी दुनिया राममय हो गई, हर भक्त के मन में असीम आनंद।” योगी ने जोड़ा, “आरएसएस की आवाज़ ने राम लल्ला को घर लाया।” मोहन भागवत ने रामराज्य की कल्पना साझा की। आयोजन के बाद अयोध्या में उत्सव और गहरा – तीर्थयात्रियों की भारी भीड़, रामपाठ पर सांस्कृतिक कार्यक्रम। प्रशासन ने यातायात और सुरक्षा बढ़ाई। विशेषज्ञों का मानना, ये ध्वजारोहण राम आंदोलन का स्वर्णिम अध्याय, जो सांस्कृतिक पुनर्जागरण की नई दिशा दिखाएगा।