अयोध्या में आस्था और राष्ट्रवाद का संगम: प्रतिष्ठा द्वादशी पर मुख्यमंत्री योगी और रक्षा मंत्री राजनाथ ने किया रामलला का भव्य पूजन
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन जन्मभूमि अयोध्या आज एक बार फिर ऐतिहासिक और आध्यात्मिक उत्सव की साक्षी बनी। अवसर था ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ का, जो रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने की दूसरी वर्षगांठ के रूप में मनाया जा रहा है। इस विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान को गरिमा प्रदान करने के लिए देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को राम नगरी पहुंचे। भक्ति और राष्ट्रशक्ति के इस अद्भुत संगम के दौरान दोनों नेताओं ने न केवल रामलला के दरबार में शीश नवाया, बल्कि हनुमानगढ़ी में बजरंगबली का आशीर्वाद लिया और नव-निर्मित अन्नपूर्णा मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा का आरोहण कर भारतीय संस्कृति की विजय का उद्घोष किया। पूरी अयोध्या नगरी इन दिनों ‘जय श्रीराम’ के नारों से गुंजायमान है और प्रतिष्ठा द्वादशी के इस पावन पर्व ने श्रद्धालुओं के उत्साह को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है।
महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट पर आत्मीय स्वागत और यात्रा का प्रारंभ
प्रतिष्ठा द्वादशी के इस विशेष उपलक्ष्य में सम्मिलित होने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बुधवार की सुबह विशेष विमान से अयोध्या के महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे। हवाई अड्डे के रनवे पर ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं उपस्थित रहकर रक्षा मंत्री का भावपूर्ण और गर्मजोशी से स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने फूलों का गुलदस्ता भेंट कर रक्षा मंत्री का अभिनंदन किया, जिसके बाद दोनों नेता एक काफिले के रूप में अयोध्या की मुख्य नगरी की ओर रवाना हुए। हवाई अड्डे से लेकर मंदिर परिसर तक के पूरे रास्ते को सजाया गया था और स्थानीय निवासियों व श्रद्धालुओं ने जगह-जगह खड़े होकर अपने प्रिय नेताओं का स्वागत किया। यह दृश्य न केवल प्रोटोकॉल का हिस्सा था, बल्कि दो ऐसे जननेताओं के मिलन का भी प्रतीक था जिन्होंने राम मंदिर के सपने को हकीकत में बदलने के लिए अपनी-अपनी भूमिकाओं का निर्वहन किया है।
हनुमानगढ़ी में संकट मोचन के चरणों में वंदना
अयोध्या की परंपरा के अनुसार, रामलला के दर्शन से पहले अयोध्या के कोतवाल भगवान हनुमान का आशीर्वाद लेना अनिवार्य माना जाता है। इसी परंपरा का पालन करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफिला सबसे पहले प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर पहुंचा। मंदिर की ऊँची सीढ़ियों को चढ़ते समय दोनों नेताओं के चेहरों पर गहरी भक्ति के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे। हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी और संतों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उनका स्वागत किया। गर्भगृह में पहुंचकर दोनों ने संकट मोचन हनुमान के चरणों में शीश झुकाया और विधिवत दर्शन-पूजन किया। यहां की आरती में सम्मिलित होकर उन्होंने बजरंगबली से राष्ट्र की रक्षा और प्रदेश की खुशहाली का वरदान मांगा। संतों ने रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र और हनुमान जी का गदा भेंट कर सम्मानित किया, जो शक्ति और भक्ति के समन्वय का प्रतीक है।
श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भव्य अगवानी और पूजन अनुष्ठान
हनुमानगढ़ी में पूजन संपन्न करने के पश्चात रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री सीधे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर पहुंचे। मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचने पर शंखध्वनि और पुष्पवर्षा के साथ उनका स्वागत किया गया। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने दोनों नेताओं को मंदिर की स्थापत्य कला और चल रहे निर्माण कार्यों की बारीकियों से अवगत कराया। इसके बाद वे भव्य गर्भगृह में प्रवेश कर प्रभु श्रीरामलला के सम्मुख उपस्थित हुए। बालक राम की दिव्य और अलौकिक प्रतिमा को देखकर रक्षा मंत्री भावुक नजर आए। वहां मौजूद आचार्यों ने विधि-विधान से पूजन और अभिषेक संपन्न कराया। राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ ने रामलला की भव्य आरती उतारी और मंदिर की परिक्रमा की। इस दौरान पूरा परिसर ‘जय श्रीराम’ के जयघोष से गूंज उठा। दोनों नेताओं ने राम दरबार में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और देश की उन्नति तथा जनकल्याण की मंगलकामना की।
मां अन्नपूर्णा मंदिर पर धर्मध्वजा का ऐतिहासिक आरोहण
रामलला के दर्शन के उपरांत इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक क्षण तब आया जब रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री मंदिर परिसर के परकोटा क्षेत्र में नवनिर्मित मां अन्नपूर्णा मंदिर के पास पहुंचे। हिंदू धर्म में मां अन्नपूर्णा को पोषण और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। भारी सुरक्षा और संतों की उपस्थिति के बीच, वैदिक मंत्रों के सस्वर पाठ और शंखनाद की गूंज में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मां अन्नपूर्णा मंदिर के शिखर पर ‘धर्मध्वजा’ का आरोहण किया। केसरिया रंग की यह ध्वजा जैसे ही शिखर पर फहराई गई, उपस्थित जनसमूह ने करतल ध्वनि से इसका स्वागत किया। धर्मध्वजा का यह आरोहण न केवल मंदिर की पूर्णता की ओर एक कदम है, बल्कि यह सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना और सांस्कृतिक गौरव का भी प्रतीक है। मुख्यमंत्री योगी ने इस अवसर पर कहा कि यह ध्वजा भारत के कल्याण और समृद्धि का संदेश पूरी दुनिया में फैलाएगी।
श्रद्धालुओं का उत्साह और मुख्यमंत्री का आत्मीय संवाद
दर्शन-पूजन और ध्वजारोहण के सभी औपचारिक अनुष्ठान पूरे करने के बाद जब रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री मंदिर के निकास द्वार की ओर बढ़े, तो वहां हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। लोग अपने नेताओं की एक झलक पाने के लिए उत्साहित थे। श्रद्धालुओं ने हाथ जोड़कर और ‘जय श्रीराम’ के नारों के साथ उनका अभिवादन किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन स्वीकार किया। विशेष रूप से, मुख्यमंत्री ने सुरक्षा घेरे के पास खड़े बच्चों को पास बुलाकर उन्हें स्नेहपूर्वक आशीर्वाद दिया और उनसे बातचीत की। मंदिर परिसर में भक्ति, उत्साह और अपनत्व का यह वातावरण दर्शा रहा था कि राम मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों की भावनाओं का केंद्र बन चुका है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाथ जोड़कर जनता का सम्मान किया और अयोध्या में आए बदलाव पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।
प्रतिष्ठा द्वादशी की महत्ता और राममय वातावरण
प्रतिष्ठा द्वादशी का यह दिन अयोध्या के लिए किसी दीपावली से कम नहीं है। दो वर्ष पहले इसी तिथि पर रामलला अपने नवनिर्मित महल में विराजे थे, और आज उस स्मृति को पाटोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। पूरी धर्मनगरी को फूलों और रोशनी से सजाया गया है। सरयू तट से लेकर राम पथ तक, हर ओर उत्सव का माहौल है। रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री की इस यात्रा ने स्थानीय निवासियों और पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों में भी नया उत्साह भर दिया है। सुरक्षा की दृष्टि से भी कड़े प्रबंध किए गए थे, लेकिन प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि आम श्रद्धालुओं को दर्शन में कोई बाधा न आए। शाम के समय सरयू की महाआरती और दीपदान के साथ इस उत्सव का समापन होगा, लेकिन प्रतिष्ठा द्वादशी की यह गूंज आने वाले कई दिनों तक अयोध्या के आकाश में बनी रहेगी।