दिल्ली धमाके पर बड़ा खुलासा: 11 साल में 5 बार बिक चुकी है ब्लास्ट में शामिल i20 कार, देखें खरीदारों की लिस्ट
नई दिल्ली, 18 सितंबर 2023: दिल्ली के लाल किला के पास हुए धमाके ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस आतंकी कृत्य में दर्जनों लोग घायल हुए और कई की मौत हुई। घटना में इस्तेमाल हुई सफेद रंग की i20 कार अब जांच के केंद्र में है। क्या है इस कार की रहस्यमयी कहानी? कौन थे इसके मालिक और कैसे यह धमाके से जुड़ी? इस रिपोर्ट में जानिए धमाके के पीछे की सच्चाई, जिसमें कार की यात्रा और खरीदारों की लिस्ट का खुलासा है। क्रिकेट की तरह यह कहानी भी टर्निंग पॉइंट्स से भरी है, जहां हर मोड़ पर नया रहस्य सामने आता है। आइए, इस धमाके की पूरी कहानी को खोलते हैं, जो न सिर्फ सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ाती है बल्कि समाज में कई सवाल खड़े करती है।
धमाके का भयानक दृश्य और कार की पहचान
दिल्ली के लाल किला के पास सोमवार को हुए धमाके ने शहर को दहला दिया। सरकार ने इसे आतंकी कृत्य करार दिया, जिसमें अब तक 13 लोगों की मौत हुई है और 20 से ज्यादा घायल हैं। घटना में इस्तेमाल हुई सफेद i20 कार को उमर नाम का व्यक्ति चला रहा था, जो अलफलाह यूनिवर्सिटी में प्लंबर का काम करता था। पुलिस की जांच में सामने आया कि यह कार धमाके का मुख्य माध्यम थी। उमर ने कार को हाल ही में खरीदा था, लेकिन इसके पीछे की कहानी चौंकाने वाली है। कार का नंबर HR26CE7476 था, और यह पिछले 11 साल से बाजार में घूम रही थी। धमाके के बाद पुलिस ने कार के रिकॉर्ड की जांच शुरू की, जिसमें पता चला कि यह कई बार हाथ बदल चुकी है। यह घटना न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश की सुरक्षा को लेकर अलर्ट बढ़ा रही है। लोगों में डर का माहौल है, और सरकार ने जांच तेज कर दी है। क्या उमर को कार मिली कैसे? क्या इसमें कोई बड़ी साजिश है? अगले हिस्से में जानिए कार की बिक्री की शुरुआती कहानी।
कार की बिक्री की पहली यात्रा: नदीम से सलमान तक
i20 कार की कहानी 2014 से शुरू होती है। पहली बार, 18 मार्च 2014 को नदीम ने गुरुग्राम के शोरूम से इसे खरीदा। नदीम ने कार को कुछ साल इस्तेमाल किया, फिर 2017 में गुरुग्राम के शांति नगर के सलमान को बेच दिया। सलमान ने इसे अपने नाम रजिस्टर्ड करा लिया, जिससे कार का कानूनी मालिकाना बदल गया। यह बिक्री सामान्य थी, लेकिन बाद में यह कार कई बार हाथ बदली। सलमान के पास रहते हुए कार का इस्तेमाल बढ़ा, और 2024 में उसने इसे एक्सचेंज ऑफर के जरिए दिल्ली के ओखला निवासी देवेंद्र को बेच दिया। हालांकि, देवेंद्र के नाम पर रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। देवेंद्र ने फिर इसे फरीदाबाद के सेक्टर-37 स्थित रॉयल कार जोन के मालिक अमित पटेल को बेच दिया। यह बिक्री भी एक्सचेंज ऑफर में हुई। अमित पटेल ने बताया कि कार की स्थिति ठीक थी, लेकिन पॉल्यूशन सर्टिफिकेट एक्सपायर हो गया था। इन बिक्रियों में कमीशन और दस्तावेजों की भूमिका रही। क्या इन खरीदारों को पता था कि कार इतनी बार बदली है? यह सवाल जांच में उठ रहा है। अगले हिस्से में जानिए अंतिम बिक्री और धमाके का कनेक्शन।
अंतिम बिक्री और धमाके का रहस्य: आमिर से उमर तक
कार की यात्रा का अंतिम मोड़ 29 अक्टूबर 2025 को आया, जब अमित पटेल ने इसे ओएलक्स पर विज्ञापन देखकर आमिर रशीद और एक अन्य व्यक्ति को बेच दिया। उन्होंने कार को देखते ही खरीदने का फैसला किया। स्टाफ में तैनात सोनू ने डील हैंडल की और 10 हजार रुपए कमीशन लिया। आमिर का पता जम्मू-कश्मीर के पुलवामा का था, और उसने आधार कार्ड और पैन कार्ड दिखाए। 1.70 लाख रुपए लेकर शाम 4:15 बजे कार हैंडओवर हुई। पैसे डॉ. उमर नबी ने दिए, जो अलफलाह मेडिकल कॉलेज में काम करता है। आमिर ने कार उमर को दे दी। कार का इंश्योरेंस बचा था, लेकिन पॉल्यूशन सर्टिफिकेट एक्सपायर था, जिसे पेट्रोल पंप पर बनवाया गया। आरसी ट्रांसफर के लिए 20-25 दिन का समय दिया गया, लेकिन इससे पहले धमाका हो गया। कार अभी भी सलमान के नाम रजिस्टर्ड है। यह बिक्री धमाके से जुड़ी है, और पुलिस उमर और आमिर की जांच कर रही है। क्या यह साजिश थी? जांच जारी है, और यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा चैलेंज है।