वंदे मातरम् के 150 वर्ष: राष्ट्रगीत की गूंज में डूबा देश
नई दिल्ली, 7 नवंबर: आज का दिन भारत के इतिहास में एक विशेष अध्याय लेकर आया है — राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस अवसर पर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी ने इसे एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाने की घोषणा की है। देशभर में हजारों स्थलों पर सामूहिक गायन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और ऐतिहासिक प्रदर्शनी आयोजित की जा रही हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, यह भारत की आत्मा का स्वर है।” यह गीत जिसने कभी आज़ादी के आंदोलन में लाखों लोगों को एक सूत्र में बांधा था, आज फिर से राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत करने के लिए गूंज रहा है।
‘वंदे मातरम्’: एक गीत जिसने जगाई स्वतंत्रता की ज्वाला
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1875 में रचित ‘वंदे मातरम्’ केवल साहित्यिक कृति नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा बन गया था। जब-जब यह गीत ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलनों में गूंजा, तब-तब लाखों भारतीयों के हृदय में आज़ादी की ज्वाला भड़क उठी। क्रांतिकारी इसे राष्ट्र की शक्ति और मातृभूमि के प्रति समर्पण का प्रतीक मानते थे। यह गीत अखिल भारतीय एकता का ऐसा स्वर बना जिसने भाषा, प्रांत और वर्ग की सीमाओं को मिटा दिया। आज, 150 साल बाद भी यह गीत वही जोश और गर्व भरता है जो उस दौर में था, जब हर आवाज़ ‘वंदे मातरम्’ के नारे में बदल जाती थी।
बंगाल से राष्ट्रव्यापी उत्सव तक: तैयारियों का नया अध्याय
इस ऐतिहासिक वर्षगांठ को लेकर बंगाल, जहां से इस गीत का जन्म हुआ था, उत्सव का केंद्र बन गया है। भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के 1100 स्थलों पर सामूहिक गायन के आयोजन की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इसे ‘राष्ट्र एकता उत्सव’ के रूप में मनाने की मंजूरी दी गई थी। केंद्र सरकार का उद्देश्य इस अवसर के माध्यम से युवाओं और छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना को पुनर्जीवित करना है। स्कूलों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक स्थलों पर कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं ताकि लोग राष्ट्रगीत के इतिहास और सांस्कृतिक महत्त्व से जुड़ सकें। यह आयोजन राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बताया जा रहा है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा: भारत की आत्मा की अनुगूंज
150 वर्षों के बाद भी ‘वंदे मातरम्’ का स्वर उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में था। यह गीत केवल राष्ट्रगीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा की गूंज है — जो हमें याद दिलाता है कि राष्ट्र के प्रति प्रेम, एकता और बलिदान ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। अमित शाह ने कहा कि यह गीत आज भी युवाओं के मन में देशभक्ति की लौ जलाए हुए है। सरकार चाहती है कि आने वाली पीढ़ियां भी इस गीत से प्रेरणा लें और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। जैसे कभी इस गीत ने आज़ादी की लड़ाई को ऊर्जा दी थी, वैसे ही आज यह नए भारत के निर्माण का प्रेरणास्रोत बन सकता है।