• November 19, 2025

रूसी तेल पर भारत का सट्टा: प्रतिबंधों की धमकी में रिकॉर्ड खरीदारी

अक्टूबर में रिकॉर्ड आयात: भारत दूसरा सबसे बड़ा खरीदारदुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार भारत ने रूस को अपनी ऊर्जा जरूरतों का स्तंभ बना लिया है। हेलसिंकी स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में भारत ने रूस से 2.5 बिलियन यूरो (करीब 22.17 हजार करोड़ रुपये) का कच्चा तेल आयात किया, जो पिछले महीने से 11 प्रतिशत अधिक है। इसने भारत को रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार बना दिया, जहां चीन 3.7 बिलियन यूरो के साथ पहले स्थान पर है। कुल रूसी जीवाश्म ईंधन आयात 3.1 बिलियन यूरो तक पहुंच गया, जिसमें कच्चा तेल 81 प्रतिशत का हिस्सा रखता है। कोयले का आयात 351 मिलियन यूरो और तेल उत्पादों का 222 मिलियन यूरो रहा। यह बढ़ोतरी भारत की रिफाइनरियों की क्षमता विस्तार और सस्ते दामों का नतीजा है। Urals क्रूड का डिस्काउंट ब्रेंट से 4.92 डॉलर प्रति बैरल रहा। CREA के मुताबिक, रूस ने अक्टूबर में 60 मिलियन बैरल तेल निर्यात किया, जिसमें रोसनेफ्ट और लुकोइल का 45 मिलियन बैरल का योगदान था। भारत की यह निर्भरता अब 40 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, जो ऊर्जा सुरक्षा को नई दिशा दे रही है।
अन्य खरीदारों की भूमिका: चीन-तुर्की-EU का खेल
रूस के तेल बाजार में चीन का दबदबा बरकरार है, जिसने अक्टूबर में 5.8 बिलियन यूरो का कुल जीवाश्म ईंधन आयात किया, जिसमें कोयले का 760 मिलियन यूरो का हिस्सा प्रमुख था। भारत के बाद तुर्की 2.7 बिलियन यूरो के साथ तीसरे स्थान पर रहा, खासकर तेल उत्पादों में 957 मिलियन यूरो का आयात कर। तुर्की डीजल और पाइपलाइन गैस पर भारी निर्भर है। यूरोपीय संघ ने प्रतिबंधों के बावजूद 1.1 बिलियन यूरो का आयात जारी रखा, जिसमें 824 मिलियन यूरो की LNG व गैस और 31.1 मिलियन यूरो का कच्चा तेल शामिल है। दक्षिण कोरिया ने 53 प्रतिशत कोयले के साथ 215 मिलियन यूरो का आयात किया। CREA रिपोर्ट बताती है कि प्रतिबंधित देशों के आयात में 8 प्रतिशत की कमी आई, लेकिन ऑस्ट्रेलिया (140 प्रतिशत बढ़ोतरी) और अमेरिका (17 प्रतिशत) ने रूसी क्रूड से बने उत्पादों का आयात बढ़ाया। भारत-तुर्की की छह रिफाइनरियों से आयात में कमी आई, लेकिन EU-UK ने 9-73 प्रतिशत कटौती की। यह वैश्विक ऊर्जा राजनय का नया चेहरा है, जहां प्रतिबंध सख्त हो रहे हैं, लेकिन मांग बनी हुई है। रूस की कमाई अभी भी मजबूत है।
ट्रंप प्रतिबंधों का साया: रिफाइनरियां बदल रहीं रुख
अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने रूस पर दबाव बढ़ाते हुए रोसनेफ्ट और लुकोइल पर 22 अक्टूबर को सख्त प्रतिबंध लगाए, जो यूक्रेन युद्ध फंडिंग को रोकने का हथियार हैं। भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ (25 प्रतिशत रेसिप्रोकल + 25 प्रतिशत पेनल्टी) 7 और 27 अगस्त से लागू हैं। CREA का अनुमान है कि दिसंबर के आंकड़ों में असर दिखेगा। रिलायंस, BPCL, HPCL, मंगलोर रिफाइनरी और HPCL-मित्तल ने दिसंबर डिलीवरी के लिए रूसी तेल ऑर्डर रोके हैं। IOC और नयारा ही जारी रख रहे, लेकिन IOC गैर-प्रतिबंधित स्रोतों की ओर मुड़ रही है। नयारा रोसनेफ्ट की हिस्सेदारी के कारण जोखिम में है। वैकल्पिक आपूर्ति में IOC ने जनवरी-मार्च के लिए अमेरिका से 2.4 करोड़ बैरल की बोली लगाई, जबकि HPCL जनवरी में 40 लाख बैरल अमेरिका-पश्चिम एशिया से लेगी। सऊदी अरामको और ADNOC ने निरंतर सप्लाई का भरोसा दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि ये कदम रणनीतिक हैं, जो निर्भरता कम कर ऊर्जा सुरक्षा मजबूत करेंगे। हालांकि, तेल कीमतें 6 प्रतिशत चढ़ चुकी हैं, और भारत की रिफाइनरियां अनिश्चितता से जूझ रही हैं।
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Rama Niwash Pandey

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