जेलेंस्की का भारत पर बड़ा हमला: यूक्रेन क्यों रोक रहा है डीजल की खरीद?
कीव, 15 सितंबर 2025: यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने भारत के खिलाफ एक नया दांव चल दिया है। रूस से तेल खरीदने के आरोप लगाते हुए यूक्रेन ने भारत से डीजल इंपोर्ट पर रोक लगाने का फैसला किया है। 1 अक्टूबर से यह नियम लागू होगा। यूक्रेन की एनर्जी कंसल्टेंसी एनकोर के मुताबिक, अब हर भारतीय डीजल की खेप की लैब टेस्टिंग होगी ताकि पता चल सके कि इसमें रूसी तेल का हिस्सा तो नहीं है। यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक तेल व्यापार को और जटिल बना देगा। भारत, जो यूक्रेन को डीजल का बड़ा सप्लायर बन चुका था, अब इस फैसले से नाराज है। आइए समझते हैं इसकी पूरी कहानी सरल भाषा में।युद्ध ने यूक्रेन को डीजल के लिए मजबूर कियारूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने यूक्रेन की ईंधन सप्लाई को बुरी तरह प्रभावित किया है।
जून 2025 में रूसी हमलों में यूक्रेन का प्रमुख क्रेमेंचुग रिफाइनरी नष्ट हो गया। इससे देश का खुद का डीजल उत्पादन कम हो गया। यूक्रेन को अब विदेशों से डीजल इंपोर्ट करना पड़ रहा है। पहले यूक्रेन बेलारूस और रूस से डीजल लेता था, लेकिन अब यूरोपीय देशों और अन्य जगहों से खरीद रहा है।इस साल जनवरी से जुलाई तक भारत ने यूक्रेन को कुल डीजल इंपोर्ट का 10.2 प्रतिशत सप्लाई किया। यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले पांच गुना ज्यादा है। जुलाई 2025 में तो भारत यूक्रेन का सबसे बड़ा डीजल सप्लायर बन गया। उस महीने भारत ने 15.5 प्रतिशत डीजल दिया, यानी रोजाना औसतन 2,700 टन। कुल मिलाकर 83,000 टन डीजल यूक्रेन पहुंचा। यह डीजल मुख्य रूप से रोमानिया के डेन्यूब नदी के रास्ते और तुर्की के ओपेट टर्मिनल से आया।यूक्रेन की डिफेंस मिनिस्ट्री ने भी भारतीय डीजल खरीदा क्योंकि यह सोवियत मानकों पर आधारित है, जो यूक्रेन के वाहनों के लिए फिट बैठता है। अगस्त 2025 में भारत ने यूक्रेन को 119,000 टन डीजल दिया, जो कुल इंपोर्ट का 18 प्रतिशत था। लेकिन अब सब बदल रहा है। एनकोर कंसल्टेंसी के अनुसार, यूक्रेन की सिक्योरिटी एजेंसियों ने आदेश दिया है कि भारतीय डीजल में रूसी कंपोनेंट्स की जांच अनिवार्य होगी। अगर रूसी तेल का कोई निशान मिला, तो इंपोर्ट रुक जाएगा।भारत का रूस से तेल व्यापार: विवाद की जड़इस फैसले की जड़ भारत का रूस से कच्चा तेल खरीदना है। 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए। लेकिन भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदना जारी रखा। रूस भारत को डिस्काउंट पर क्रूड ऑयल बेचता है, जिससे भारत की रिफाइनरियां फायदा उठाती हैं।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल खपत करने वाला देश है। रूस से तेल खरीदकर भारत डीजल, पेट्रोल और अन्य ईंधन बनाता है और एक्सपोर्ट करता है।यूक्रेन का कहना है कि भारत का यह व्यापार रूस को युद्ध जारी रखने के लिए पैसे दे रहा है। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हाल ही में अमेरिकी चैनल एबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा, “रूस का एनर्जी व्यापार पुतिन का हथियार है। हमें इसे रोकना होगा। अमेरिका का टैरिफ लगाने का आइडिया सही है।” वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस फैसले का समर्थन कर रहे थे, जिसमें भारत जैसे देशों पर रूस से व्यापार के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया। ट्रंप ने 6 अगस्त 2025 को एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया, जिसमें पहले 25 प्रतिशत टैरिफ था, फिर 27 अगस्त को और 25 प्रतिशत जोड़ा गया। जेलेंस्की ने कहा, “यूरोपीय पार्टनर्स भी रूसी तेल खरीद रहे हैं, लेकिन दबाव डालना जरूरी है।“भारत ने इसकी सफाई दी है। भारतीय राजदूत ने कहा, “हम वहां से तेल खरीदेंगे जहां सबसे अच्छा डील मिले।” भारत का तर्क है कि रूस से तेल खरीदना उसकी ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है। देश में गरीबी ज्यादा है, ऊंची कीमतों पर तेल खरीदना आम लोगों पर बोझ डालेगा। भारत ने कहा कि वह यूक्रेन युद्ध को शांति से खत्म करने के लिए प्रयासरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त में जेलेंस्की से दो बार बात की और युद्ध रोकने पर चर्चा की।वैश्विक प्रभाव: व्यापार युद्ध तेज हो रहायह फैसला सिर्फ भारत-यूक्रेन के बीच नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के तेल बाजार को प्रभावित करेगा।
यूक्रेन अब डीजल के लिए यूरोपीय देशों पर ज्यादा निर्भर होगा। जुलाई में स्लोवाकिया ने 15 प्रतिशत, ग्रीस और तुर्की ने अच्छी मात्रा में डीजल दिया। पोलैंड और लिथुआनिया के ओरलेन ग्रुप ने मिलकर 20 प्रतिशत सप्लाई की। लेकिन भारत का डीजल सस्ता और विश्वसनीय था। अब अगर इंपोर्ट रुका, तो यूक्रेन को महंगे विकल्प ढूंढने पड़ेंगे।अमेरिका का टैरिफ भारत के एक्सपोर्ट को नुकसान पहुंचा रहा है। भारत अमेरिका को सॉफ्टवेयर, दवाइयां और अन्य सामान बेचता है। 50 प्रतिशत टैरिफ से व्यापार घाटा बढ़ेगा। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत का रूसी तेल खरीदना युद्ध को लंबा खींच रहा है। लेकिन विडंबना यह है कि वही भारतीय डीजल यूक्रेन की सेना और शहरों को चला रहा था।यूक्रेन के एनर्जी सेक्टर पर असर पड़ेगा। युद्ध के कारण पहले ही बुनियादी ढांचा बर्बाद हो चुका है। अगर डीजल महंगा हुआ, तो अर्थव्यवस्था और कमजोर होगी। जेलेंस्की ने रविवार को कहा, “पार्टनर्स को मजबूत जवाब देना चाहिए।” उन्होंने रूस के हालिया हमलों का जिक्र किया, जिसमें चार लोग मारे गए।भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूक्रेन के समकक्ष से बात की। भारत का रुख तटस्थ है। वह रूस और यूक्रेन दोनों से दोस्ती रखना चाहता है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस साल भारत आने वाले हैं।क्या होगा आगे?यह घटना दिखाती है कि युद्ध कैसे वैश्विक चेन को तोड़ रहा है। भारत जैसे विकासशील देश ऊर्जा के लिए सस्ते स्रोत ढूंढ रहे हैं, लेकिन पश्चिमी दबाव बढ़ रहा है। जेलेंस्की का यह दांव रूस पर अप्रत्यक्ष हमला है। लेकिन इससे यूक्रेन खुद को नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय में तेल बाजार स्थिर होगा, लेकिन फिलहाल अनिश्चितता बनी रहेगी।भारत सरकार ने कहा कि वह अपनी नीतियां नहीं बदलेगा। यूक्रेन से डीजल एक्सपोर्ट कम हो सकता है, लेकिन कुल व्यापार प्रभावित नहीं होगा। दोनों देशों के बीच राजनयिक बातचीत जारी है। जेलेंस्की शायद जल्द भारत आएंगे। उम्मीद है कि यह विवाद शांति से सुलझे।
