क्रिसमस पर ईसाई समुदाय के खिलाफ हिंसा: शशि थरूर ने सरकार की चुप्पी पर उठाए गंभीर सवाल, कहा- ‘साझा संस्कृति पर है यह हमला’
नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम। देश के विभिन्न हिस्सों से क्रिसमस के त्योहार के दौरान ईसाई समुदाय के खिलाफ कथित हिंसा और असहिष्णुता की खबरों ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद डॉ. शशि थरूर ने इन घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे भारत की धर्मनिरपेक्ष परंपरा और साझा संस्कृति पर सीधा प्रहार बताया है। थरूर ने न केवल इन हमलों की निंदा की, बल्कि केंद्र और संबंधित राज्य सरकारों की ‘रहस्यमयी चुप्पी’ पर भी तीखे सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि बहुसंख्यक समाज इन अत्याचारों पर मूकदर्शक बना रहा, तो देश की शांति और सह-अस्तित्व का ढांचा पूरी तरह बिखर सकता है।
त्योहार के उल्लास के बीच असहिष्णुता का साया
वर्ष 2025 का क्रिसमस देश के कई हिस्सों में प्रार्थना और उल्लास के बजाय डर और असुरक्षा के साये में मनाया गया। शशि थरूर ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात रखते हुए कहा कि केरल जैसे राज्य में, जो अपनी सांप्रदायिक सद्भावना के लिए जाना जाता है, वहां भी ऐसी घटनाओं का होना चिंताजनक है। उन्होंने उल्लेख किया कि केरल में त्योहार का माहौल तो था, लेकिन स्थानीय घटनाओं और देश के अन्य हिस्सों से आ रही खबरों ने ईसाई समुदाय के मन में एक अज्ञात भय पैदा कर दिया है। थरूर के अनुसार, यह केवल एक धार्मिक समूह की सुरक्षा का मुद्दा नहीं है, बल्कि उस लोकतांत्रिक मूल्य पर हमला है जो हर नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है।
केरल से लेकर उत्तर प्रदेश तक हमलों का सिलसिला
सांसद थरूर ने अपने बयान में उन विशिष्ट घटनाओं का विस्तृत विवरण दिया, जिन्होंने इस बार क्रिसमस की खुशियों को फीका कर दिया। उन्होंने विशेष रूप से केरल के पलक्कड़ जिले के पुडुस्सेरी में हुई एक घटना का जिक्र किया, जहां एक क्रिसमस कैरल समूह पर कथित तौर पर हमला किया गया। खबरों के मुताबिक, हमलावरों ने न केवल प्रार्थना और संगीत में शामिल लोगों के साथ मारपीट की, बल्कि उनके संगीत वाद्ययंत्रों को भी तोड़ दिया। थरूर ने आरोप लगाया कि इस हमले में एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ता शामिल थे, जो राज्य की धर्मनिरपेक्ष परंपरा को चोट पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा, उन्होंने छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक मॉल के भीतर सांता क्लॉज की मूर्ति तोड़े जाने, मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक दृष्टिबाधित ईसाई लड़की पर हुए हमले और उत्तर प्रदेश के एक चर्च में प्रार्थना सभा के दौरान डाली गई बाधा का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं का पैटर्न यह दर्शाता है कि असहिष्णुता अब किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह एक खतरनाक चलन बनता जा रहा है।
धार्मिक नेताओं की चेतावनी और प्रशासन की बेरुखी
शशि थरूर ने अपने लेख में ईसाई पादरियों और चर्च के शीर्ष नेतृत्व द्वारा व्यक्त की गई पीड़ा को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने आर्कबिशप नेट्यो के आधी रात की प्रार्थना के दौरान दिए गए संदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि आज भारत में ईसाई समुदाय डर के साये में जी रहा है। आर्कबिशप ने यह चेतावनी भी दी कि मणिपुर और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में जो हिंसा देखी गई, वह अब केरल के दरवाजे पर दस्तक दे रही है।
थरूर ने कार्डिनल क्लीमिस के बयानों का समर्थन करते हुए प्रशासन की निष्क्रियता पर दुख जताया। कार्डिनल ने सवाल किया था कि जब संविधान प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म के पालन का अधिकार देता है, तो उस अधिकार को सरेआम चुनौती देने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? थरूर ने जोर देकर कहा कि नागरिकों की सुरक्षा करना सरकार का कोई ‘एहसान’ नहीं बल्कि उसका प्राथमिक ‘संवैधानिक कर्तव्य’ है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर क्यों सत्ता में बैठे लोग ऐसी घटनाओं पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे उपद्रवी तत्वों को शह मिल रही है।
‘नया भारत’ और सह-अस्तित्व की चुनौती
शशि थरूर ने ‘नया भारत’ की अवधारणा पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि एक आधुनिक और प्रगतिशील देश ऐसा नहीं होना चाहिए जहां लोग अपनी प्रार्थना सभाओं के दौरान हमलों के डर में रहें। उन्होंने कहा कि सह-अस्तित्व कोई ऐसी स्थिति नहीं है जो अपने आप बनी रहती है, बल्कि यह एक सक्रिय चुनाव है। समाज के हर सदस्य को अपने पड़ोसी की शांति और उसके अधिकारों की रक्षा के लिए खड़ा होना पड़ता है।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब किसी कैरल समूह या चर्च पर हमला होता है, तो वह केवल ईसाई समुदाय का मुद्दा नहीं रह जाता, बल्कि वह केरल और पूरे भारत की उस साझी विरासत पर हमला होता है जिसे सदियों से संजोया गया है। थरूर ने चेतावनी दी कि अगर देश का बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यकों पर हो रहे इन अत्याचारों को चुपचाप देखता रहेगा, तो समाज में कभी भी स्थायी शांति कायम नहीं हो सकती। उन्होंने सरकार से अपील की कि वे अपनी चुप्पी तोड़ें और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।