उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने TET पर लिया बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल करेगी योगी सरकार
लखनऊ, 16 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ रिवीजन याचिका दाखिल करे। यह आदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) को सरकारी स्कूलों के मौजूदा शिक्षकों के लिए अनिवार्य बनाने से जुड़ा है। मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और TET की अनिवार्यता से उनकी नौकरी पर खतरा पैदा हो सकता है। यह फैसला हजारों शिक्षकों के लिए राहत की उम्मीद जगाता है, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित थे।सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा था कि जिन सरकारी स्कूल शिक्षकों के पास पांच साल से ज्यादा सेवा बाकी है, उन्हें TET पास करना अनिवार्य होगा। अगर वे परीक्षा में फेल हो जाते हैं, तो उन्हें जबरन रिटायरमेंट या इस्तीफा देना पड़ सकता है। यह फैसला तमिलनाडु और महाराष्ट्र में शिक्षक भर्ती से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, लेकिन इसका असर पूरे देश पर पड़ा।
विशेषज्ञों के अनुसार, इससे करीब 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश के लगभग 2 लाख शिक्षक शामिल हैं।TET क्या है, यह समझना जरूरी है। टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है, जो प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए योग्यता जांचती है। केंद्र सरकार ने 2011 में इसे शुरू किया था। नई भर्तियों के लिए TET पास करना जरूरी होता है, लेकिन मौजूदा शिक्षकों पर पहले यह लागू नहीं था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कहता है कि अब सभी सेवारत शिक्षकों को भी इसे पास करना होगा, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर हो। लेकिन कई शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि पुराने शिक्षक सालों से पढ़ा रहे हैं और अब परीक्षा का दबाव उन पर बोझ डालेगा।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को लखनऊ में एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्देश दिए। बैठक में बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद थे।
सीएम ने कहा, “उत्तर प्रदेश के शिक्षक बहुत अनुभवी हैं। वे बच्चों को सालों से पढ़ा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उनकी मेहनत पर सवाल उठेगा। सरकार उनके हितों की रक्षा करेगी।” योगी सरकार का यह कदम शिक्षकों के बीच खुशी का कारण बना है। एक शिक्षक ने बताया, “हम चिंतित थे कि TET न पास करने पर नौकरी चली जाएगी। सीएम का फैसला हमें मजबूती देता है।”इस फैसले के पीछे कई कारण हैं। सबसे पहले, उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों में लाखों शिक्षक हैं, जो 1990 और 2000 के दशक में नियुक्त हुए थे। उस समय TET जैसी परीक्षा नहीं होती थी। अब अचानक अनिवार्य करने से उनकी जिंदगी पर असर पड़ेगा। दूसरे, सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरे देश के लिए है, लेकिन राज्यों को अपनी दलीलें रखने का मौका मिला है। योगी सरकार रिवीजन याचिका में यह तर्क देगी कि अनुभवी शिक्षकों को छूट दी जानी चाहिए। तीसरा, हाल ही में TET के फैसले से जुड़े कुछ दुखद घटनाएं भी सामने आई हैं। उत्तर प्रदेश में दो शिक्षकों ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली, क्योंकि वे परीक्षा के दबाव से परेशान थे। इससे सरकार पर दबाव बढ़ा।रिवीजन याचिका क्या होती है? सरल शब्दों में, अगर कोई कोर्ट का फैसला गलत लगे, तो ऊपरी कोर्ट में उसकी समीक्षा के लिए याचिका दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल करने से मामला फिर से खुल सकता है। योगी सरकार की याचिका में मजबूत दलीलें रखी जाएंगी, जैसे कि शिक्षकों का अनुभव, शिक्षा व्यवस्था पर असर और संवैधानिक अधिकार। विभाग को जल्द से जल्द याचिका तैयार करने का आदेश दिया गया है। अगर कोर्ट इसे स्वीकार करता है, तो सुनवाई हो सकती है।यह मुद्दा शिक्षा क्षेत्र में लंबे समय से चल रहा है। 2011 में RTE (राइट टू एजुकेशन) कानून के तहत TET को अनिवार्य किया गया था।
लेकिन कई राज्य पहले ही अपने शिक्षकों को छूट दे चुके थे। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सबको हिला दिया। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. दियांत सिंह ने कहा, “सीएम के निर्देश पर हम कोर्ट में मजबूत पक्ष रखेंगे। शिक्षकों की चिंता दूर करेंगे।” विपक्षी दलों ने भी सराहना की है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “शिक्षकों के हित में अच्छा कदम। लेकिन सरकार को और सतर्क रहना चाहिए।”इस फैसले से शिक्षक समुदाय में उत्साह है। लखनऊ के एक स्कूल में शिक्षकों ने बैठक की और सीएम का धन्यवाद किया। एक महिला शिक्षिका ने कहा, “मैं 15 साल से पढ़ा रही हूं। TET पास करना मुश्किल है। अब उम्मीद है कि नौकरी सुरक्षित रहेगी।” लेकिन कुछ विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए TET जरूरी है। अगर अनुभवी शिक्षक फेल हो जाते हैं, तो स्कूलों में कमी हो सकती है। फिर भी, योगी सरकार का फोकस शिक्षकों के समर्थन पर है।उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था पहले से सुधार की दिशा में है। योगी सरकार ने ऑपरेशन कायाकल्प के तहत स्कूलों को बेहतर बनाया है। लाखों किताबें बांटी गईं, कंप्यूटर लैब बने।
अब TET विवाद को सुलझाने से और मजबूती मिलेगी। राष्ट्रीय स्तर पर भी अन्य राज्य इस फैसले को देख रहे हैं। अगर यूपी सफल होता है, तो बाकी राज्य भी याचिका दाखिल कर सकते हैं।कुल मिलाकर, यह फैसला योगी सरकार की शिक्षक-समर्थक छवि को मजबूत करता है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल होने के बाद क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। फिलहाल, हजारों शिक्षक राहत की सांस ले रहे हैं। सरकार का वादा है कि शिक्षा के क्षेत्र में कोई समझौता नहीं होगा, लेकिन शिक्षकों के हक की रक्षा जरूर की जाएगी। यह घटना शिक्षा नीति पर नई बहस छेड़ सकती है।
