अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता से पहले ट्रंप के सलाहकार नवारो का भारत को कड़ा संदेश: ‘यह अच्छा नहीं होगा’
वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 15 सितंबर 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकार और व्यापार विशेषज्ञ पीटर नवारो ने भारत के खिलाफ एक बार फिर तीखी टिप्पणी की है। अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं से ठीक पहले नवारो ने चेतावनी दी है कि अगर भारत अपनी नीतियां नहीं बदलता, तो ‘यह अच्छा नहीं होगा’। उन्होंने भारत को ‘टैरिफ का महाराजा’ बताते हुए कहा कि भारत दुनिया में अमेरिका के खिलाफ सबसे ऊंचे टैरिफ लगाने वाला देश है। यह बयान ट्रंप प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत आया है, जो भारत के रूस से तेल आयात और व्यापार असंतुलन पर केंद्रित है।पीटर नवारो, जो ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी व्यापार सलाहकार रह चुके हैं, ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, “भारत को कुछ न कुछ तो समझना ही पड़ेगा। अगर वे व्यापार वार्ताओं में हमारे साथ नहीं आए, तो यह उनके लिए अच्छा नहीं होगा।” उन्होंने भारत पर रूस के साथ व्यापार को ‘लाभ कमाने का धंधा’ बताया और कहा कि भारत रूस के युद्ध को चुपके से फंड कर रहा है। नवारो का यह बयान सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया, जहां उन्होंने भारत को ‘रूस का लॉन्ड्रीमैट’ (धोने का स्थान) तक कह डाला।
इससे पहले भी नवारो ने भारत पर कई हमले किए हैं। अगस्त में उन्होंने कहा था कि भारत को रूस का कच्चा तेल खरीदना बंद करना चाहिए, क्योंकि यह यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए हैं, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है। नवारो के अनुसार, भारत के ऊंचे टैरिफ अमेरिकी नौकरियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि भारत अमेरिकी सामान पर 100 प्रतिशत तक टैक्स लगाता है, जबकि अमेरिका भारत के सामान पर कम टैरिफ लगाता है। “यह अनुचित व्यापार है। अमेरिका को भारत के साथ ऐसे असमान व्यापार की जरूरत नहीं है,” नवारो ने कहा।नवारो का भारत विरोधी रुख ट्रंप की व्यापार नीति का हिस्सा लगता है। ट्रंप ने हमेशा से कहा है कि अमेरिका को व्यापार घाटा कम करना है। 2024 में अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा 30 बिलियन डॉलर से ज्यादा था। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी सेवाओं का बड़ा निर्यातक है, लेकिन अमेरिका का कहना है कि भारत सब्सिडी देकर अनुचित लाभ लेता है। नवारो ने ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “ब्रिक्स का गठबंधन ज्यादा दिन नहीं टिकेगा। ये देश एक-दूसरे से नफरत करते हैं और अमेरिका के बिना जीवित नहीं रह सकते। भारत, चीन और रूस सब अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं।”भारतीय पक्ष ने नवारो के बयानों को सिरे से खारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, “नवारो के दावे गलत और भ्रामक हैं। भारत का रूस से तेल आयात ऊर्जा सुरक्षा के लिए है और यह अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वैध है। हम अमेरिका के साथ मजबूत साझेदारी चाहते हैं, लेकिन एकतरफा आरोप स्वीकार नहीं करेंगे।” वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा कि भारत और अमेरिका नवंबर तक व्यापार समझौता कर सकते हैं, लेकिन भू-राजनीतिक मुद्दे बातचीत को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि भारत का रूस से व्यापार यूक्रेन युद्ध को फंड नहीं कर रहा, बल्कि यह वैश्विक ऊर्जा बाजार का हिस्सा है।ट्रंप और मोदी के बीच संबंध हमेशा से मिश्रित रहे हैं। ट्रंप ने मोदी को ‘मेरा दोस्त’ कहा है और भारत-अमेरिका संबंधों को ‘विशेष’ बताया है। लेकिन नवारो जैसे सलाहकार ट्रंप की कठोर नीति को आगे बढ़ा रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) ने नवारो के कई पोस्ट्स पर फैक्ट-चेक लगाए हैं। एक नोट में कहा गया कि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम और उर्वरक आयात करता है, जबकि भारत का व्यापार ट्रंप के कार्यकाल में 20 प्रतिशत बढ़ा है। नवारो ने एक्स के मालिक एलन मस्क पर भी निशाना साधा और कहा कि ये फैक्ट-चेक ‘बकवास’ हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि नवारो का यह बयान व्यापार वार्ताओं को और जटिल बना सकता है। अर्थशास्त्री अरुण कुमार कहते हैं, “अमेरिका भारत को दबाव में लाना चाहता है ताकि आईटी सेवाओं और फार्मा पर टैरिफ कम हो। लेकिन भारत को अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा करनी होगी। ऊंचे टैरिफ घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए हैं।” एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर टैरिफ बढ़े तो भारत के आईटी निर्यात पर 10-15 प्रतिशत असर पड़ सकता है, जो लाखों नौकरियों को प्रभावित करेगा।दूसरी ओर, ट्रंप प्रशासन का कहना है कि ये टैरिफ अमेरिकी मजदूरों की रक्षा के लिए हैं। नवारो ने कहा, “भारत के टैरिफ से अमेरिकी फैक्टरियां बंद हो रही हैं। हमें जवाबी कार्रवाई करनी होगी।” उन्होंने भारत को चीनी नीतियों से जोड़ा और कहा कि भारत चीन के साथ युद्ध लड़ रहा है, लेकिन रूस-चीन गठबंधन को मजबूत कर रहा है। “मोदी जी को देखना चाहिए कि चीनी जहाज हिंद महासागर में घूम रहे हैं,” उन्होंने व्यंग्य किया।भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताएं अगले हफ्ते वॉशिंगटन में शुरू होनी हैं। दोनों देश 100 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना चाहते हैं, लेकिन टैरिफ और रूस मुद्दे पर मतभेद गहरा रहे हैं। ट्रंप ने हाल ही में मोदी से फोन पर बात की और कहा कि ‘हम जल्द ही सफल समझौता करेंगे’। लेकिन नवारो के बयान से सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह दोस्ती बरकरार रहेगी?वैश्विक संदर्भ में देखें तो अमेरिका रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहा है। यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदा है, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद रहा।
2024 में भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार बना। लेकिन अमेरिका इसे ‘रक्त का पैसा’ (ब्लड मनी) कह रहा है। नवारो ने यहां तक कहा कि यूक्रेन में जितने लोग मर रहे हैं, उसके लिए भारत जिम्मेदार है। भारतीय अर्थशास्त्री सुनील कुमार कहते हैं, “यह अतिशयोक्ति है। भारत तटस्थ नीति पर चल रहा है और दोनों पक्षों से संवाद रख रहा है।“नवारो का इतिहास विवादास्पद रहा है। वे ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध के सूत्रधार थे। अब भारत को निशाना बना रहे हैं। कुछ विश्लेषक कहते हैं कि यह ट्रंप का नोबेल शांति पुरस्कार अभियान का हिस्सा है, जहां वे यूक्रेन शांति को अपने नाम जोड़ना चाहते हैं। भारत ने ट्रंप के पाकिस्तान-भारत युद्ध के दावों को खारिज किया था, जिससे नाराजगी बढ़ी।
