दिनकर आवास पर आयोजित की गई उनके पुत्र केदारनाथ सिंह की श्रद्धांजलि सभा
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के पुत्र केदार नाथ सिंह के निधन पर राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति द्वारा दिनकर के पैतृक आवास पर सिमरिया में श्रद्धांजलि सभा आयोजित किया गया। श्रद्धांजलि सभा में बेगूसराय जनपद के साहित्यकार और कवियों ने केदारनाथ सिंह के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
वहीं रश्मि, सोनिया एवं विजय कुमार ने ‘वैष्णव जन तेने कहिए पीर पराई जान रे’ तथा ‘कलम आज उनकी जय बोल’ का गायन किया। मौके पर केदारनाथ सिंह की पुत्री तूलिका ने कहा कि बाबूजी के लिए सिमरिया एक तीर्थ स्थल और उनका स्नेह एक जादू की तरह था। उनका जाना हम सबों के लिए अपूरणीय क्षति है। वहीं पौत्र अरविंद सिंह ने कहा कि उनके जाने से एक सूनापन है, अनाथ जैसा महसूस करता हूं। सिमरिया का बौद्धिक उधर हो यह आशीर्वाद उनके बना रहे।
केदारनाथ सिंह के पुत्र ऋतिक उदयन ने कहा कि अंतिम अवस्था उन्होंने अप्रकाशित रहे ‘थोड़ा-थोड़ा पुण्य और थोड़ा-थोड़ा पाप’ पुस्तक जो प्रकाशित कराने एवं सिमरिया का खास ख्याल रखने का जो संकल्प दिया, उसे पूरा करुंगा। दिनकर पुस्तकालय के अध्यक्ष विशंभर सिंह ने कहा कि उनकी उपस्थिति नहीं है, लेकिन हमेशा हमारे साथ हैं। बौद्धिक विकास के लिए वे हमेशा सबों को प्रेरित करते रहते थे। जन्म और मरण शाश्वत सत्य है।
बद्री प्रसाद सिंह ने कहा कि तुलसीकृत रामायण का जब हम लोग दिनकर के आवास पर पाठ किया करते थे और जब वे मौजूद होते थे तो वह भी तुलसी के रामायण को गाकर हम लोगों को सुनाया करते थे। जनपद से आए चर्चित कवि प्रफुल्ल मिश्रा ने अपने कविता ‘जिंदगी में कभी भी वह पल आएगा, छोड़कर इस जहां को तू निकल जाएगा। काल मेहमा ऐसा हर किसी के लिए, आज आए या नहीं तो कल आएगा। है सफल बस वही यह कहता है प्रफुल्ल, जिसका जाना जमाने को खल जाएगा’ के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
जनपद के वरिष्ठ पत्रकार और मुक्तक सम्राट अशांत भोले ने अपने मुक्तक ‘जब तलक जमी रहेगी, दिल में नमी रहेगी, महफिल सजेगी हर रोज, लेकिन तेरी कमी रहेगी’ से लोगों को गमगीन कर दिया। सभा में राजीव रंजन, आनंद शंकर, पारस कुमार, अमित कुमार, विश्व भूषण गुप्ता, कैलाश सिंह, रामनाथ सिंह, कुलदीप यादव, अजय कुमार सिंह एवं राजेन्द्र सिंह ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किया। सभा का संचालन राजेश कुमार एवं युवा कवि विनोद बिहारी तथा धन्यवाद ज्ञापन लक्ष्मण देव ने किया।




