• December 29, 2025

कार्डियोथोरेसिक विभाग में ट्रांस कैथेटर ऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन रिप्लेसमेंट

 कार्डियोथोरेसिक विभाग में ट्रांस कैथेटर ऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन रिप्लेसमेंट

मथुरा दास माथुर अस्पताल के उत्कर्ष कार्डियोथोरेसिक विभाग में पहली बार एंडोवस्कुलर तकनीक- टावी (ट्रांस कैथेटर ऑर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन/ रिप्लेसमेंट ) के माध्यम से मरीज को हृदय के सिकुड़े हुए ऑर्टिक वाल्व से निजात दिलाई गई ।

सीटीवीएस विभागअध्यक्ष डॉ सुभाष बलारा ने बताया कि नागौर निवासी 67 वर्षीय जेठाराम गत दो सालों से सीने में दर्द तथा सांस फूलने की तकलीफ से पीड़ित थे। जांचों के उपरांत यह पता चला कि उनके हृदय के ऑर्टिक वाल्व में काफी सिकुडऩ (सीविअर अयोर्टिक स्टेनोसिस) है। पहले इस बीमारी के उपचार के लिए सर्जरी (ऑर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट) ही ऑप्शन था परंतु आधुनिक टावी (टावर) प्रणाली के माध्यम से बिना चीर फाड़ के, सिर्फ निडल पंचर होल के जरिए वाल्व इंप्लांटेशन संभव है। अत: मरीज की बीमारी, उमर को देखते हुए मरीज को टावी प्रोसीजर करने का निर्णय लिया गया। इस प्रोसीजर के लिए जयपुर के राजस्थान हॉस्पिटल में कार्यरत कार्डियोलॉजिस्ट डॉ रविंद्र राव को भी बुलाया गया। पहले इस ऑपरेशन की प्रणाली के लिए मरीजों को अन्य राज्यों तथा मेट्रो शहरों में जाना पड़ता था और यह इलाज काफी महंगे हैं।

सहायक आचार्य डॉ अभिनव सिंह ने बताया कि आयोर्टिक स्टेनोसिस एक बढ़ाते हुए उम्र की बीमारी है जिसका इनसीडियस 65 वर्ष के ऊपर के लोगों में 2 से 9 फीसदी है और भारत में इसका मुख्य कारण रूमैटिक हार्ट डिजीज है, यह बीमारी हार्ट के अन्य वाल्वो को भी खराब करती है। अन्य कारणों में हाई ब्लड प्रेशर, वाल्व में चूना जमना आदि है।

इस बीमारी में मरीज की सांस फूलना, छाती में दर्द , बेहोशी आना या धडक़न की अनियमित भी रह सकती है। ऑर्टिक वाल्व में सिकुडऩ एक स्टेज के बाद आगे बढ़ जाने के बाद वाल्व रिप्लेसमेंट या टावी प्रोसीजर के जरिए बीमारी से निजात दिलाई जा सकती है । प्रोसीजर के उपरांत मरीज अब स्वस्थ है और इनका इलाज सीटीवीएस विभाग में चल रहा है।

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