ये 5 फूड्स अनजाने में बढ़ा सकते हैं आपका स्ट्रेस: डाइट में करें बदलाव
कॉफी और कैफीन युक्त पेय जैसे एनर्जी ड्रिंक्स और ब्लैक टी तनाव बढ़ाने में बड़ा योगदान दे सकते हैं। इनमें मौजूद कैफीन कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाता है, खासकर जब आप पहले से तनावग्रस्त हों। अधिक कैफीन नींद को प्रभावित करता है और चिंता को बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आप थकान या तनाव में हैं, तो कॉफी का सेवन सीमित करना चाहिए। एक अध्ययन में पाया गया कि ज्यादा कैफीन ब्लड शुगर को अस्थिर करता है, जिससे मूड में उतार-चढ़ाव आता है। कॉफी की जगह ग्रीन टी या हर्बल चाय जैसे कैमोमाइल टी पीना बेहतर है, क्योंकि इनमें L-थियानिन होता है, जो दिमाग को शांत करता है। रोजाना 1-2 कप कॉफी तक सीमित रहें और इसे सुबह ही पिएं, ताकि रात की नींद पर असर न पड़े।
फ्राइड फूड्स और ट्रांस फैट
फ्रेंच फ्राइज, फ्राइड चिकन जैसे तले हुए खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर में सूजन (इन्फ्लेमेशन) को बढ़ाते हैं। यह सूजन कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाकर तनाव को और गंभीर बनाती है। न्यूट्रिशनिस्ट लवनीत बत्रा के अनुसार, फ्राइड फूड्स का नियमित सेवन मूड को अस्थिर करता है और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। ये खाद्य पदार्थ पाचन तंत्र पर भी बोझ डालते हैं, जिससे थकान और चिड़चिड़ापन बढ़ता है। इसके बजाय, ग्रिल्ड या भाप में पके खाद्य पदार्थ चुनें, जो हल्के और पौष्टिक हों। ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मछली या अखरोट सूजन को कम करने में मदद करते हैं। फ्राइड फूड्स को हफ्ते में एक बार से ज्यादा न खाएं, ताकि तनाव और स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके।
शराब का सेवन, खासकर रात में, तनाव को बढ़ाने वाला हो सकता है। एक गिलास वाइन से तात्कालिक राहत मिल सकती है, लेकिन यह कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाती है और नींद की गुणवत्ता को खराब करती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अध्ययन के अनुसार, शराब ब्लड शुगर को अस्थिर करती है, जिससे अगले दिन थकान और चिंता बढ़ती है। शराब में मौजूद टायरामाइन यौगिक भी ब्लड प्रेशर और हृदय गति को बढ़ाता है, जो तनाव को और गंभीर बनाता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि तनावग्रस्त होने पर शराब से पूरी तरह परहेज करें। इसके बजाय, हर्बल चाय या नींबू पानी जैसे पेय चुनें, जो शरीर को हाइड्रेट और शांत रखते हैं। अगर शराब पीनी ही हो, तो हफ्ते में 1-2 बार हल्की मात्रा में लें।
पैकेज्ड स्नैक्स, मीठे अनाज, और फास्ट फूड जैसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में अतिरिक्त चीनी, फैट, और रिफाइंड कार्ब्स होते हैं। ये ब्लड शुगर में तेज उतार-चढ़ाव का कारण बनते हैं, जिससे मूड अस्थिर होता है और तनाव बढ़ता है। मैदा, सफेद ब्रेड, और सफेद चावल जैसे रिफाइंड कार्ब्स जल्दी पचते हैं और कोर्टिसोल रिलीज को बढ़ावा देते हैं। न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, ये खाद्य पदार्थ शरीर में सूजन को बढ़ाते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। इनकी जगह साबुत अनाज जैसे ओट्स, क्विनोआ, और ब्राउन राइस चुनें, जो सेरोटोनिन (हैप्पी हार्मोन) को बढ़ाते हैं। तनाव कम करने के लिए डाइट में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें, जो ब्लड शुगर को स्थिर रखते हैं। प्रोसेस्ड फूड्स को पूरी तरह हटाना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इन्हें हफ्ते में एक बार तक सीमित करें।
आर्टिफिशियल स्वीटनर, जैसे एस्पार्टेम, को कई लोग चीनी का हेल्दी विकल्प मानते हैं, लेकिन ये तनाव बढ़ा सकते हैं। अध्ययनों के अनुसार, नॉन-न्यूट्रिटिव स्वीटनर (NNS) शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और सूजन को बढ़ाते हैं, जिससे कोर्टिसोल का स्तर ऊंचा होता है। ये स्वीटनर डाइट सोडा, शुगर-फ्री मिठाइयों, और पैकेज्ड फूड्स में पाए जाते हैं। ये मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर्स को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे चिंता और मूड स्विंग्स बढ़ते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि प्राकृतिक मिठास जैसे शहद या मेपल सिरप का सीमित उपयोग बेहतर है। तनाव से बचने के लिए डाइट में विटामिन C और मैग्नीशियम युक्त फूड्स जैसे बेरीज और हरी सब्जियां शामिल करें, जो मूड को स्थिर रखते हैं। आर्टिफिशियल स्वीटनर युक्त उत्पादों से दूरी बनाएं, खासकर तनावग्रस्त होने पर।
