• September 13, 2025

जहां भगवान कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद किया था विश्राम, वह घाट भी यमुना की बाढ़ में डूबा

मथुरा, 5 सितंबर 2025: मथुरा का पवित्र विश्राम घाट, जहां पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने दुष्ट राजा कंस का वध करने के बाद विश्राम किया था, यमुना नदी की बाढ़ की चपेट में है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार करने की कगार पर है, जिसके चलते घाट के गुंबद और मंदिरों के पिलर तक पानी भर गया है। विश्राम घाट सहित केशी घाट और बंगाली घाट जलमग्न हो चुके हैं, जिससे मथुरा में बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है। इसके बावजूद, श्रद्धालुओं की आस्था अडिग बनी हुई है, और वे खतरनाक परिस्थितियों में भी पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं। प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं, लेकिन ग्रामीणों में डर और अनिश्चितता का माहौल है। इस प्राकृतिक आपदा ने मथुरा की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को चुनौती दी है।

यमुना की उफनती लहरें और बाढ़ का प्रकोप

पिछले एक सप्ताह से उत्तराखंड और हरियाणा में हुई मूसलाधार बारिश ने यमुना नदी को उफान पर ला दिया है। हथिनीकुंड बैराज से 1.78 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद मथुरा में यमुना का जलस्तर 165.81 मीटर तक पहुंच गया, जो खतरे के निशान (166 मीटर) से महज 19 सेंटीमीटर नीचे है। विश्राम घाट, जो मथुरा का प्रमुख धार्मिक स्थल है, पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। घाट के गुंबद और मंदिरों के पिलर पानी में डूब गए हैं, और आसपास की गलियां कीचड़ और पानी से भरी हैं। गोकुल बैराज से 83,720 क्यूसेक पानी आगरा की ओर छोड़ा गया, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। प्रशासन ने अनुमान लगाया है कि मथुरा और वृंदावन के 20,000 से अधिक मकानों में पानी घुस सकता है। बाढ़ ने न केवल धार्मिक स्थलों, बल्कि खेतों और बस्तियों को भी प्रभावित किया है, जिससे हजारों लोग बेघर होने की कगार पर हैं।

प्रशासन की कार्रवाई और राहत कार्य

मथुरा प्रशासन ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। जिलाधिकारी अंकित अग्रवाल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्लोक कुमार ने डंगोली और अन्य प्रभावित गांवों में राहत चौकियों का निरीक्षण किया। एनडीआरएफ की दो टीमें और पीएसी की आठ कंपनियां बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 400 से अधिक लोगों को नावों के जरिए सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। एडीएम (वित्त) पंकज कुमार वर्मा ने बताया कि बाढ़ से प्रभावित फसलों का सर्वेक्षण शुरू हो गया है, और मुआवजे की प्रक्रिया जल्द पूरी होगी। प्रशासन ने लोगों को नदी किनारे न जाने की चेतावनी दी है और जलरोधी थैलों में जरूरी दस्तावेज रखने की सलाह दी है। क्लोरीन टैबलेट्स और पीने के पानी की व्यवस्था की गई है ताकि बीमारियों को रोका जा सके। इसके बावजूद, ग्रामीणों का कहना है कि राहत कार्यों की गति धीमी है और कई इलाकों में मदद नहीं पहुंची है।

श्रद्धालुओं की अटल आस्था

यमुना की बाढ़ ने भले ही विश्राम घाट को जलमग्न कर दिया हो, लेकिन श्रद्धालुओं की भक्ति पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। सुबह-शाम होने वाली यमुना आरती अब नावों पर हो रही है, और भक्त खतरनाक जलस्तर के बीच भी पूजा के लिए पहुंच रहे हैं। स्थानीय पुजारी रामकिशोर शर्मा ने बताया, “विश्राम घाट भगवान कृष्ण की स्मृति से जुड़ा है। बाढ़ आती-जाती रहती है, लेकिन हमारी आस्था अटल है।” काशी विश्वनाथ मंदिर और अन्य घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। कई भक्तों ने नावों से घाट तक पहुंचकर जलाभिषेक किया। मथुरा के निवासी गोपेश्वर चतुर्वेदी ने कहा, “1978 की बाढ़ के बाद यह सबसे भयावह स्थिति है, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से हम डटे रहेंगे।” सावन के पहले सोमवार को मंदिरों में ‘हर हर महादेव’ और ‘राधे-राधे’ के जयघोष गूंज रहे हैं।

सियासी प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियां

इस बाढ़ ने मथुरा में सियासी हलचल भी तेज कर दी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर बाढ़ प्रबंधन में लापरवाही का आरोप लगाया और प्रभावित परिवारों के लिए तत्काल 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “मथुरा की धार्मिक धरोहर को बचाने में सरकार नाकाम रही है।” जवाब में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘टीम-11’ गठित कर राहत और बचाव कार्यों को तेज करने का आदेश दिया। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और केंद्र से अतिरिक्त सहायता मांगी। पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अनियंत्रित शहरीकरण और यमुना की सफाई में कमी के कारण बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो सकती है। भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है, जिसमें नदी तटों की सुरक्षा और ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत करना शामिल है। मथुरा की इस आपदा ने एक बार फिर धार्मिक नगरी की रक्षा के लिए ठोस नीतियों की मांग को तेज कर दिया है।

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Rama Niwash Pandey

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