भारतीय तटरक्षक बल में शामिल हुआ देश का पहला ‘फास्ट पैट्रोल वेसल’ अदम्य, समुद्री सुरक्षा को मिलेगा नया बल
नई दिल्ली/गोवा, 26 जून 2025: भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करते हुए भारतीय तटरक्षक बल (ICG) में गुरुवार को देश का पहला फास्ट पैट्रोल वेसल (FPV) ‘अदम्य’ आधिकारिक रूप से शामिल कर लिया गया। यह जहाज गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा प्रतिष्ठित 8 एफपीवी परियोजना के तहत निर्मित किया गया है और इसकी तैनाती भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा, निगरानी और खोज-बचाव अभियानों को मजबूती प्रदान करेगी।
समुद्री ताकत को मिला नया इंजन
भारतीय तटरक्षक बल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर ‘अदम्य’ की शामिल किए जाने की जानकारी साझा करते हुए लिखा:
“भारत ने अपनी समुद्री ताकत को मजबूत किया! भारतीय तटरक्षक बल ने गोवा शिपयार्ड में पहले फास्ट पैट्रोल वेसल ‘अदम्य’ को शामिल किया। 60% स्वदेशी सामग्री से बना यह पोत आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की शक्ति को दर्शाता है।”
‘मेक इन इंडिया’ का प्रतीक है अदम्य
‘अदम्य’ की खास बात यह है कि यह 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री से तैयार किया गया है, जिससे यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की अहम उपलब्धि बन गया है। यह जहाज विशेष रूप से भारत की तटीय सुरक्षा, अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की गश्त और खोज-बचाव (SAR) अभियानों के लिए तैयार किया गया है।
2024 में हुआ था लॉन्च
‘अदम्य’ को 28 अक्टूबर 2024 को GSL द्वारा बनाए गए एक और फास्ट पैट्रोल वेसल ‘अक्षर’ के साथ लॉन्च किया गया था। दोनों पोत 473 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे 8 एफपीवी श्रृंखला का हिस्सा हैं, जिसका अनुबंध गोवा शिपयार्ड और भारतीय तटरक्षक बल के बीच हुआ था।
तकनीकी विशेषताएं
‘अदम्य’ की निर्माण विशेषताएं इसे आधुनिक समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए पूरी तरह से सक्षम बनाती हैं:
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लंबाई: 52 मीटर
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चौड़ाई: 8 मीटर
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अधिकतम गति: 27 नॉट
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डिस्प्लेसमेंट: 320 टन
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प्रणोदन प्रणाली: कंट्रोल की जा सकने वाली पिच प्रोपेलर प्रणाली
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प्रमाणन: अमेरिकी शिपिंग ब्यूरो और भारतीय शिपिंग रजिस्टर से दोहरा वर्ग प्रमाणन
इन सभी विशेषताओं को भारतीय तटरक्षक बल की परिचालन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।
सुरक्षा के साथ-साथ तकनीक में भी आत्मनिर्भरता
‘अदम्य’ का शामिल होना सिर्फ सुरक्षा बलों की क्षमताओं में इजाफा नहीं है, बल्कि यह भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं और स्वदेशी तकनीक पर बढ़ते विश्वास का भी प्रमाण है। आने वाले वर्षों में ऐसे और पोत भारतीय जलसीमा की सुरक्षा के लिए सक्रिय रूप से तैनात किए जाएंगे।
