• October 14, 2025

बिहार चुनाव से पहले तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान: सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात से सियासी हलचल तेज

पटना, 15 सितंबर 2025: बिहार की राजनीति में इन दिनों चुनावी सरगर्मी चरम पर है। आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बना रही हैं। इसी बीच, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पूरे राज्य की सियासत को हिला दिया है। मुजफ्फरपुर के कांटी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कहा, “बिहार की सभी 243 सीटों पर तेजस्वी चुनाव लड़ेगा।” यह बयान महागठबंधन में सीट बंटवारे की चर्चाओं के बीच आया है, जिससे गठबंधन के सहयोगी दलों में खलबली मच गई है। क्या यह सिर्फ कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने का तरीका है या गठबंधन पर दबाव बनाने की चाल? आइए, इस बयान के पीछे की वजहों और इसके सियासी असर को समझते हैं।तेजस्वी यादव का यह बयान 13 सितंबर को मुजफ्फरपुर के कांटी हाई स्कूल के खेल मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया गया। यहां डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण हो रहा था। तेजस्वी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “तेजस्वी संघर्ष करेगा। आप सब यह समझ लीजिए कि बिहार की हर सीट पर तेजस्वी चुनाव लड़ रहा है। मेरे नाम पर वोट दें, मैं बिहार को आगे ले जाऊंगा।”
उन्होंने राज्य की एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। कहा कि सरकार केवल जुमले बोलती है, असली काम तो विपक्ष के दबाव में ही होता है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने पेंशन योजना, डोमिसाइल पॉलिसी और मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं का जिक्र किया, जो विपक्ष की मांग पर लागू हुईं। तेजस्वी ने कहा, “हमारी माई-बहिन मान योजना की नकल करके सरकार 10 हजार रुपये देने की बात कर रही है, लेकिन असल में कुछ नहीं हो रहा।”यह पहली बार नहीं है जब किसी नेता ने बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया हो। पहले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बसपा प्रमुख मायावती ने भी ऐसा कहा है। लेकिन तेजस्वी का बयान खास इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह महागठबंधन के संदर्भ में आया है। महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल, वीआईपी, जेएमएम और एलजेपी (पारस गुट) जैसे दल शामिल हैं। 2020 के चुनावों में आरजेडी ने 144 सीटों पर लड़ाई लड़ी थी, जबकि गठबंधन ने कुल 151 सीटें जीतीं। अब 2025 के चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान चल रही है। हर दल ज्यादा सीटें चाहता है, लेकिन तेजस्वी का यह ऐलान गठबंधन के संतुलन को बिगाड़ सकता है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी का यह बयान मुख्य रूप से दो वजहों से दिया गया। पहली, कार्यकर्ताओं में जोश भरना।
बिहार में आरजेडी का वोट बैंक मुस्लिम-यादव समीकरण पर टिका है, लेकिन 2020 के बाद पार्टी को मजबूत चेहरा चाहिए। तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाकर आरजेडी ने उन्हें चेहरा घोषित कर दिया है। इस बयान से कार्यकर्ता यह महसूस करेंगे कि पार्टी अकेले ही सब कुछ संभाल लेगी, जिससे उनका मनोबल ऊंचा होगा। दूसरी वजह, गठबंधन के सहयोगियों पर दबाव बनाना। खासकर कांग्रेस पर। हाल ही में राहुल गांधी से जब महागठबंधन के सीएम चेहरे के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सीधा जवाब नहीं दिया। मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा है, लेकिन तेजस्वी का बयान कांग्रेस को यह संदेश दे रहा है कि आरजेडी बिना किसी शर्त के तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार करवाना चाहती है। अगर कांग्रेस ने तेजस्वी को नेता नहीं माना, तो गठबंधन टूटने की आशंका भी जताई जा रही है।इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। एनडीए के नेताओं ने इसे महागठबंधन में दरार का सबूत बताया। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “चाहे तेजस्वी कितनी भी सीटों पर लड़ लें, एनडीए को कोई फर्क नहीं पड़ता। जनता विकास चाहती है, न कि खोखले वादे।” बीजेपी प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसा, “तेजस्वी को ख्वाब देखना बंद कर देना चाहिए। उनके पास अकेले 243 सीटों पर लड़ने की ताकत नहीं है।” वहीं, महागठबंधन के अंदर भी प्रतिक्रियाएं आईं। आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने सफाई दी कि तेजस्वी का मतलब गठबंधन की सभी सीटों पर एकजुट लड़ाई से था
। उन्होंने कहा, “महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है। जनता तेजस्वी के नेतृत्व पर भरोसा करेगी।” कांग्रेस की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया, लेकिन सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेता इस मुद्दे पर मंथन कर रहे हैं।तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में सरकार की कई कमियों को उजागर किया। उन्होंने पूर्णिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज का जिक्र किया, जहां आईसीयू और ट्रॉमा सेंटर की कमी है। कहा कि सरकार इमारतें तो बनाती है, लेकिन डॉक्टरों की भर्ती नहीं करती। नतीजतन, मरीज निजी अस्पतालों पर निर्भर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीमांचल दौरे का जिक्र करते हुए तेजस्वी ने कहा, “मोदी जी आते हैं, लेकिन बिहार के लिए कुछ नहीं करते। हमारी सरकार बनेगी तो हर महिला को सालाना डेढ़ लाख रुपये देंगे।” उन्होंने लालू प्रसाद यादव की उपलब्धियों को भी याद दिलाया, जैसे रेलवे और सड़कों का विकास। तेजस्वी ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि जाति-धर्म के बंधन तोड़कर एकजुट हों।बिहार की 243 विधानसभा सीटें चार चरणों में चुनाव लड़ेंगी। राज्य में कुल 6.6 करोड़ वोटर हैं, और चुनाव आयोग ने तारीखें जल्द घोषित करने का संकेत दिया है। महागठबंधन अगर एकजुट रहा, तो एनडीए के लिए चुनौती बढ़ सकती है। लेकिन अगर सीट बंटवारे पर विवाद बढ़ा, तो विपक्ष कमजोर पड़ सकता है।
तेजस्वी का बयान इसी उहापोह को दर्शाता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा है। आरजेडी खुद को गठबंधन का बड़ा भाई मानती है और चाहती है कि बाकी दल बिना शर्त समर्थन दें।तेजस्वी यादव की राजनीतिक यात्रा भी रोचक रही है। लालू प्रसाद के बेटे के रूप में वे 2015 में पहली बार विधायक बने। 2020 में विपक्ष के नेता बने। अब 2025 में वे सीएम बनने का सपना देख रहे हैं। उनका फोकस युवाओं पर है – नौकरी, शिक्षा और स्वास्थ्य। बयान के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई। आरजेडी समर्थक इसे जोश भरने वाला बता रहे हैं, जबकि आलोचक इसे अवास्तविक दावा कह रहे हैं।कुल मिलाकर, तेजस्वी का यह ऐलान बिहार चुनाव की दिशा बदल सकता है। अगर महागठबंधन ने जल्द सीट बंटवारा तय किया, तो तेजस्वी का दबाव कामयाब होगा। वरना, गठबंधन में नई लड़ाई शुरू हो सकती है। बिहार की जनता अब देख रही है कि यह सियासी ड्रामा कैसे खत्म होता है। चुनावी मैदान में अभी बहुत कुछ बाकी है।
Digiqole Ad

Rama Niwash Pandey

https://ataltv.com/

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *