तेज प्रताप का सियासी दांव: गांधीवाद, धर्म और बिहार चुनाव की रणनीति
पटना, 2 अक्टूबर 2025: विजयदशमी के पावन मौके पर बिहार की सियासत में तेज प्रताप यादव ने नया रंग भर दिया है। जनशक्ति जनता दल (JDU) के संस्थापक ने आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन और सीट बंटवारे की रणनीति का ऐलान कर हलचल मचा दी। RSS पर तंज, गांधीवादी विचारों का दम और धार्मिक सद्भाव का संदेश—उनके बयान ने सभी का ध्यान खींचा है। क्या यह नई पार्टी बिहार के सियासी समीकरण बदल देगी? तेज प्रताप की यह रणनीति RJD और महागठबंधन के लिए चुनौती है या नया अवसर? उनके बयानों के पीछे की सोच और इसका प्रभाव क्या होगा? आइए, इस सियासी ड्रामे की परतें खोलें।
दशहरे पर बयान: सीट बंटवारे का वादा
तेज प्रताप यादव ने विजयदशमी की शुभकामनाएं देते हुए बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल (JDU) की रणनीति का खुलासा किया। उन्होंने कहा, “हम दशहरे के बाद गठबंधन सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे की घोषणा करेंगे।” यह बयान RJD से अलग होकर नई पार्टी बनाने के बाद आया है, जो महुआ सीट से उनकी उम्मीदवारी की चर्चाओं को बल देता है। तेज प्रताप ने लाल बहादुर शास्त्री की जयंती का जिक्र कर जनता से भावनात्मक जुड़ाव बनाया। यह कदम बिहार की 243 सीटों पर नए गठबंधन के उभरने का संकेत देता है, जो महागठबंधन और NDA के लिए चुनौती बन सकता है।
RSS पर तीखा हमला: गांधीवाद का दावा
तेज प्रताप ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “आजादी की लड़ाई में RSS का कोई योगदान नहीं था। गांधी के साथ जो हुआ, सब जानते हैं। हम गांधीवादी हैं और गांधी, शास्त्री में विश्वास रखते हैं।” यह बयान BJP और RSS को घेरने की कोशिश है, साथ ही उनकी विचारधारा को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ता है। तेज प्रताप ने अपनी पार्टी को गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित बताया, जो बिहार के ग्रामीण और युवा वोटरों को लुभाने की रणनीति हो सकती है। यह बयान उनके भाई तेजस्वी यादव और RJD से अलग पहचान बनाने का भी प्रयास दिखता है।
‘आई लव मोहम्मद’ विवाद: धार्मिक सद्भाव का संदेश
हाल के ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद पर तेज प्रताप ने सभी धर्मों के प्रति सम्मान जताया। उन्होंने कहा, “मेरे पास कुरान शरीफ है, आओ और मुझे गिरफ्तार करो। मैं पैगंबर मोहम्मद और राम दोनों में विश्वास रखता हूं। किसी धर्म का अपमान नहीं होना चाहिए।” यह बयान बिहार की सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सियासत में समावेशी छवि बनाने की कोशिश है। सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों ने इसे ‘गांधीवादी दृष्टिकोण’ बताया, जबकि विरोधियों ने इसे ‘वोटबैंक की राजनीति’ करार दिया। तेज प्रताप का यह रुख अल्पसंख्यक और हिंदू वोटरों को एक साथ जोड़ने का प्रयास दिखता है।
सियासी निहितार्थ: बिहार में नया समीकरण
तेज प्रताप की नई पार्टी और उनका बयान बिहार की सियासत में उथल-पुथल मचा सकता है। जनशक्ति जनता दल ने हाल ही में घोसी सीट पर उम्मीदवार उतारा, जो RJD के लिए चुनौती है। विश्लेषकों का मानना है कि उनकी गांधीवादी और समावेशी छवि युवा और अल्पसंख्यक वोटरों को आकर्षित कर सकती है, लेकिन गठबंधन की सफलता सहयोगियों पर निर्भर है। RJD से अलगाव के बाद तेज प्रताप का यह कदम लालू परिवार की सियासत को नया आयाम दे सकता है। क्या उनकी पार्टी NDA और महागठबंधन के बीच तीसरा मोर्चा बनाएगी? दशहरे के बाद का ऐलान इसकी दिशा तय करेगा।
